Friday - 12 January 2024 - 1:11 PM

97 सालों से जनसंख्या न बढ़ने के पीछे क्या है कारण

न्यूज डेस्क

एक ओर जहां देश की जनसंख्या आने वाले समय में सबसे आगे निकल जाएगी तो वहीं देश में ऐसे भी गांव हैं जहां पिछले 97 सालों से जनसंख्या स्थिर है। जी हाँ ये कोई पहली नहीं सच्चाई है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में धनोरा गांव है। इस गांव की जनसंख्या साल 1922 में जितनी थी उतनी आज भी है। बता दे कि गांव की जनसंख्या 1700 है।

इस गांव में ऐसा इसलिए है कि यहां किसी भी परिवार में दो से ज्यादा बच्चे नहीं है और न ही यहां लड़का लड़की में भेदभाव है। आज देश ही नहीं दुनिया में भी जनसंख्या एक बड़ी समस्या है। ऐसा इसीलिए क्योंकि लगातार हर जगह जनसँख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है जबकि सुविधाएं सीमित है।

ऐसे में बैतूल का ये गांव ऐसी पारिस्थितियों में भी दुनिया के लिए परिवार नियोजन के क्षेत्र में ब्रांड एंबेसडर है, क्योंकि यहां जनसंख्या बढ़ नहीं रही है।

कस्तूरबा गांधी की सलाह को माना पत्थर की लकीर

दरअसल इस गांव की जनसंख्या न बढ़ने के पीछे एक रोचक कहानी है। यहां साल 1922 में यहां कांग्रेस का एक सम्मेलन हुआ था। इस सम्मलेन में शामिल होने के लिए कस्तूरबा गांधी आई थीं। उन्होंने ग्रामीणों को खुशहाल जीवन के लिए ‘छोटा परिवार, सुखी परिवार’ का नारा दिया था। उनकी इस बात को ग्रामीणों ने पत्थर की लकीर माना और फिर गांव में परिवार नियोजन का सिलसिला शुरू हो गया।

गांव के बुजुर्गो का कहना है कि कस्तूरबा गांधी का संदेश यहां के लोगों के दिल और दिमाग पर ऐसा बैठा कि सन 1922 के बाद गांव में परिवार नियोजन के लिए ग्रामीणों में जबरदस्त जागरूकता आई। गांव के हर परिवार के लोगों ने एक या दो बच्चों पर परिवार नियोजन करवाया।

गांव बन गया रोल मॉडल

इसी वजह से धीरे-धीरे गांव की जनसंख्या स्थिर होने लगी। बेटों की चाहत में परिवार बढ़ने की कुरीति को भी यहां के लोगों ने खत्म किया। एक या दो बेटियों के जन्म के बाद भी लोग परिवार नियोजन को जरूरी समझते हैं।

इसके बाद से यह गांव परिवार नियोजन के मामले में एक मॉडल बन गया है। बेटी हो या बेटा, दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन अपनाए जाने से यहां लिंगानुपात भी बाकी जगहों से काफी बेहतर है। यही नहीं यहां पर बेटी-बेटे में फर्क जैसी मानसिकता भी देखने को नहीं मिलती।

इस बारे में गांव के स्वास्थ्य कार्यकर्ता बताते हैं कि यहां कभी भी ग्रामीणों को परिवार नियोजन करने के लिए बाध्य नहीं करना पड़ा। यहां के स्थानीय लोगों में जागरूकता का ही पहल है कि वे दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन करा लेते हैं।

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