Sunday - 7 January 2024 - 9:37 AM

पटना में कृषि कानून के खिलाफ सड़क पर उतरे किसानों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज

जुबिली न्यूज डेस्क

बिहार की राजधानी पटना में मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानून के खिलाफ सड़क पर उतरे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसमें कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

राजधानी पटना में दोपहर करीब एक बजे  अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और लेफ्ट पार्टियों के आह्वान पर गांधी मैदान से राजभवन तक निकाले जा रहे किसान मार्च को पुलिस ने डाक बंगला चौराहे पर रोकने का प्रयास किया। लेकिन सैकड़ों की संख्या में मौजूद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की बात नहीं मानी।

इसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। फिर क्या पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। पुलिस के लाठीचार्ज करने के बाद डाकबंगला चौराहे पर भगदड़ सी मच गई। लाठी से बचने के लिए भाग रहे किसानों को भी पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इस भगदड़ में कई महिला किसान सड़कों पर गिरकर चोटिल हो गईं। उन्हें इलाज के लिए पीएमसीएच भेजा गया।

इसी बीच, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने उन आरोपों पर चुप्पी तोड़ी, जिनमें कहा जा रहा है कि नए कृषि कानूनों पर विपक्षी दल किसानों को गुमराह कर रहे हैं। टिकैत ने कहा कि अगर विपक्ष मजबूत होता, तो फिरकिसानों को आंदोलन करने की क्या जरूरत पड़ती?

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उधर, पूर्व कांग्रेस चीफ राहुल गांधी ने भी किसानों के मुद्दे पर एक ट्वीट किया। लिखा, “युवा पर बेरोजगारी की मार। जनता पर महंगाई का अत्याचार। किसान पर ‘मित्रों’  वाले कानूनों का वार। यही है मोदी सरकार।”

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने यह आरोप भी लगाया कि तीनों कृषि कानून लाना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म करने की साजिश है। दरअसल, सरकार ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों पर अगले दौर की वार्ता के लिए 30 दिसंबर को बुलाया है। इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही थी।

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पिछले 26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर देशभर से जुटे किसान केंद्र सरकार के तीन नये कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
कई दौर की बातचीत के बावजूद कृषि कानून को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। वहीं एक बार फिर से केंद्र सरकार ने 30 दिसंबर को किसान संगठनों को बातचीत का न्योता भेजा है।

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