Saturday - 6 January 2024 - 5:34 PM

अब फंड की कमी से जूझ रही कांग्रेस, पार्टी इस तरह जुटायेगी पैसे

जुबिली न्यूज डेस्क

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस एक साथ कई परेशानियों को जूझ रही है। सत्ता का संकट, नेताओं का पार्टी छोडऩे का संकट, नेतृत्व का संकट के साथ-साथ अब कांग्रेस आर्थिक मुश्किलों से भी घिरती जा रही है।

ऐसी खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस पार्टी बड़े स्तर पर फंड की कमी से जूझ रही है। कहा यह भी जा रहा है कि पार्टी फंड की कमी को दूर करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एम) के रास्ते पर भी चलने की तैयारी कर रही है।

चुनाव आयोग में कांग्रेस ने जो ऑडिट रिपोर्ट दाखिल किया है उसमें बताया गया था कि पार्टी की आय 2020-21 में 58 फीसदी से कम कम हो गई है।

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न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी फंड की कमी का सामना कर रही है। इस समस्या से निपटने के लिए पार्टी वाम दल के केरल मॉडल को अपनाने की तैयारी भी कर रही है।

केरल मॉडल क्या है यह भी जान लेते हैं। इसमें वाम दल डोर-टू-डोर अभियान चलाता है, जिसके तहत बड़े स्तर पर घर-घर पहुंचकर धन जुटाया जाता है। साथ ही दानदाताओं को इसके बदले में पर्ची भी दी जाती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिनों पहले उदयपुर में आयोजित हुए पार्टी के चिंतन शिविर में भी सीपीआई एम के मॉडल को लेकर चर्चा की गई थी।

शिविर में केरल कांग्रेस के पूर्व प्रमुख रमेश चेन्नीथला ने इस मॉडल को अपनाने का प्रस्ताव रखा था। खबर है कि इस सत्र के दौरान साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए संसाधन जुटाने को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस पर विचार किया जा रहा है कि इसे कैसे लागू किया है। वैसे फंड मैनेजमेंट और पारदर्शिता अहम मुद्दा है। फिलहाल टास्क फोर्स 2024 की बैठकों में चर्चा की जाएगी।’

चुनाव आयोग में दाखिल कांग्रेस की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में पार्टी की आय 285.7 करोड़ रुपये थी, जबकि इससे पहले वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 682.2 करोड़ रुपये था। वित्तीय वर्ष 2018-19 में पार्टी की आय 918 करोड़ रुपये थी।

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रिपोर्ट के अनुसार, खासतौर से अहमद पटेल के निधन के बाद पार्टी पर आर्थिक मार अधिक पड़ी है। पटेल अपने कॉर्पोरेट और अन्य कॉन्टैक्ट्स की मदद से पार्टी फंडिंग का काम संभालते थे।

इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी आर्थिक मोर्चा देखते हैं, लेकिन मोदी सरकार में कांग्रेस की आय काफी कम हुई है।

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