Sunday - 14 January 2024 - 5:34 AM

कोरोना के बाद का मंकीपॉक्स का कहर, भारत सरकार हुई सतर्क, जारी की गाइडलाइंस

जुबिली स्पेशल डेस्क

कोरोना महामारी के बीच इस समय दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के केस सामने आ रहे हैं। इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि क्या अब मंकीपॉक्स वैश्विक महामारी का रूप लेगा।

लोगों की इस आशंकाओं को देखते हुए अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बड़ी जानकारी साझा की है। सोमवार को डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसे अभी इस बात की चिंता नहीं है कि अफ्रीकी देशों से परे मंकीपॉक्स एक वैश्विक महामारी को जन्म दे सकता है।

उधर भारत सरकार भी सतर्क हो गई और उसने एक गाइडलाइंस जारी कर दी है। हालांकि अच्छी बात ये हैं कि भारत में अभी तक इसका कोई केस नहीं आया है लेकिन अलग-अलग देशों में मंकीपॉक्स के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार सतर्क हो गई और भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गाइडलाइंस जारी की हैं।

मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी करते हुए हुए साफ कर दिया है कि वो इसको लेकर सतर्क है। सरकार की गाइडलाइन में कहा गया है कि लैब में टेस्टिंग के बाद ही मंकीपॉक्स के केस को कंफर्म माना जाएगा। इसके लिए पीसीआर या डीएनए टेस्टिंग को माना जायेगा। अगर लगे कि कोई मामला संदिग्ध है तो फौरन स्टेट और शहर में इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के नेटवर्क के जरिए इसका सैंपल आईसीएमआर-एनआईवी के पुणे स्थित शीर्ष लैब में भेजा जाएगा।

डब्ल्यूएचओ ने समलैंगिकों को लेकर दी ये चेतावनी

वही डब्ल्यूएचओ की विशेषज्ञ डॉक्टर रोजमंड लुईस ने कहा कि एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह बीमारी फैलती कैसे है। एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या दशकों पहले चेचक टीकाकरण पर रोक लगाए जाने की वजह से इस तरह इसका प्रसार तेज हो सकता है।

यह भी पढ़ें : कांग्रेस से राज्यसभा का टिकट न मिलने पर बोले पवन खेड़ा, शायद मेरी तपस्या में कुछ…

यह भी पढ़ें : IPL का नया सरताज बना टाइटंस, रॉयल्स को 7 विकेट से चटाई धूल

यह भी पढ़ें : शरीयत में दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे मुसलमान

एक सार्वजनिक कार्यक्रम में डॉ. लुईस ने कहा, इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि दुनिया के दर्जनों देशों में अधिकतर समलैंगिक, उभयलिंगी या पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष मंकीपॉक्स के शिकार हुए हैं। इसलिए वैज्ञानिक इसके बारे में और अधिक स्टडी कर सके और जो लोग इसका शिकार हो सकते हैं, उन्हें ऐहतियात बरतने की सलाह दे सकें।

मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरस

डॉ. लुइस ने कहा, इस बीमारी की चपेट में कोई भी आ सकता है, भले ही उसकी लैंगिक पहचान कुछ भी हो। फिलहाल इस बात की आशंका नहीं है कि यह बीमारी महामारी का रूप ले लेगी।

उन्होंने कहा, मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरस संक्रमण है। पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में यह वायरस पाया गया था।

डॉ. लुइस ने कहा, मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com