Saturday - 6 January 2024 - 4:07 PM

मुसलमानों की तारीफ में कसीदें क्यों पढ़ रहीं हैं मायावती

 

संजय सनातन

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती अपने खासमखास रहे नसीमुद्दीन को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर अब मुसलमानों की एकदम हिमायती दिखाना चाह रही है। आखिर इसके पीछे बसपा सुप्रीमो की मंशा क्या है। वह भी ऐसे में जब उनके पास इस समय मुसलमान का कोई बड़ा चेहरा नहीं है। अब देखना यह है कि क्या मायावती की तारीफ मुसलमानों को भाती है या नहीं।

हरिजनों के साथ मुसलमानों को एकसाथ करना चाहती हैं ध्रुवीकरण

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती हरिजनों को अपना एकदम पक्का वोट मानती हैं। इसीलिए वह हरिजन वोटों के ट्रांसफर कराने का पूरा दावा करती है। भाजपा में हरिजन और मुसलमान के अलग रहने से मायावती इसका पूरा लाभ लेना चाहती हैं। चूंकि मुसलमान अभी यह तय नहीं कर पा रहा है कि उसे किधर जाना है। ऐसे में मायावती जान रही हैं कि इनकी तारीफ कर इन्हें अपने पाले में कर लिया जाए।

आज उपचुनाव की बैठक में मायावती ने फिर दोहराया मुसलमान प्रेम

जब से लोकसभा चुनाव 2019 की शुरुआत हुई। बसपा का सपा से समझौता हुआ। दोनों पार्टियों के प्रचार-प्रसार में भी मायावती हमेशा मुसलमानों को ही अपने पक्ष में करने को कहती रहीं। इसके पीछे बसपा की प्रमुख मायावती की अपनी रणनीति रही। जानकारों का कहना है कि वह समझ रहीं हैं कि अब मुसलमान उन्हीं के साथ आ जायेगा। ऐसे में आज संपन्न हुई उपचुनाव को लेकर बैठक में मायावती ने स्पष्ट कहा कि मुसलमान हमारे साथ है।

कांग्रेस, सपा से मुसलमान को अलग कर अपने पाले में करने की पहल

कभी कांग्रेस पार्टी के साथ रहने वाले और उसके बाद समाजवादी पार्टी में गये मुसलमान भाइयों को बहुत ही बारीक से बसपा सुप्रीमों अपने पाले में आना मान रही हैं। बहरहाल इसका पता तो आने वाले उपचुनाव में ही पता चलेगा कि मुसलमान कहा गया। लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन को मुसलमानों ने वोट दिया। बस इसी के बाद मायावती अब अपने पाले में मुसलमानों को करने पर लग गयी हैं।

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