Thursday - 11 January 2024 - 2:01 AM

तो क्या ,अब लोहिया अस्पताल में मुफ्त इलाज नहीं देगी सरकार ?

स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पताल लगातार अपने कारनामों की वजह से सुर्खियोंमें रहते हैं। इतना ही नहीं राजधानी के अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा की सांसें आयेदिन दम तोड़ती हुई नजर आती है।

ऐसे में किसी भी गरीब के लिए भले ही सरकारी अस्पताल इलाज का सबसे आसान रास्ता हो, लेकिन यहीं सरकारी अस्पताल खराब व्यवस्थाओं के जाल में फंसकर गरीबों की उम्मीदों को भी तोड़ जाते हैं।

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अगर बात यूपी की राजधानी लखनऊ की जाये तो केजीएमयू से लेकर बलरामपुर में भले ही गरीबों का इलाज होता हो लेकिन इस दौरान आये दिन खराब चिकित्सा का रोना भी रोया जाता रहा है। ऐसे में राजधानी लखनऊ का लोहिया अस्पताल गरीबों के लिए एक नई उम्मीद बनकर सामने आया लेकिन बाद में भ्रष्ट अधिकारियों और राजनेताओं के गठजोड़ ने इस अस्पताल का बेड़ा गर्क कर दिया।

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शुरुआती दौर में लोहिया अस्पताल गरीबों के लिए मसीहा बनाकर अच्छे इलाज के लिए खूब चर्चा में रहा,लेकिन इस अस्तपाल की उलटी गिनती तब शुरू हो गई जब इस अस्पताल का लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में विलय हो गया है। इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद से ही लोहिया अस्पताल गरीबों के लिए इलाज नहीं बल्कि कारोबार का जरिया खोजने लगा।

विलय के बाद से ही लगातार बदलाव की नयी-नयी खोज सामने आने लगी। इसके बाद गरीबों पर तलवार चलाने की योजना भी आलाधिकारियों ने बंद कमरे में तैयार कर डाली। जानकारी के मुताबिक अब गरीबों को मिलने वाला सस्ता इलाज महंगा होगा क्योंकि संस्थान के आलाधिकारियों ने मुफ्त इलाज खत्म करने की तैयारी कर ली है।

ऐसे बना बड़ा अस्पताल

गोमती नगर में स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय वर्ष 2002 में मुलायम सरकार ने शुरू किया था । बाद में बसपा के कार्यकाल में इस 467 बेड के अस्पताल को बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश की गई। लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ-साथ समर्पित कर्मचारी अधिकारी तैनात किए गए , जिसके बल पर गोमती नगर का यह चिकित्सालय प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का एक बेहतर चिकित्सालय बन गया और इसे देश का पहला एन.ए.बी.एच. मानकीकृत राजकीय चिकित्सालय बनने का गौरव भी मिला। यहां लखनऊ क्षेत्र के अलावा पूर्वाचल के जिलों से भी मरीज इलाज कराने के लिए आने लग गए।

क्या कहता है लोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा

लोहिया कर्मचारी अस्तित्व बचाओ मोर्चा के अनुसार, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ रजनीश दुबे भ्रष्ट अधिकारियों और राजनेताओं के गठजोड़ ने साजिश करके लिए स्वार्थवश वर्ष 2014 में लोहिया संस्थान को मेडिकल कॉलेज बनाने की अनुमति ले ली। फिर चिकित्सालय को संस्थान में शामिल कराने का आदेश भी 2019 में जारी करा दिया।

अब मुफ्त इलाज खत्म करने की तैयारी

विलय का आदेश जारी होने के बाद ही शासन स्तर पर होने वाली बैठकों में प्रमुख सचिव एवं उनकी टीम ने चिकित्सालय में दी जा रही नि:शुल्क सुविधाओं के बारे में कोई प्रस्ताव नहीं दिया।  कमेटी के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कमेटी को गरीबों के निशुल्क उपचार में कोई दिलचस्पी नहीं थी और कहा गया कि धीरे मुफ्त इलाज खत्म करके सभी शुल्क लागू कर दिया जायेगा। बाद में इसपर कोई ध्यान नहीं देगा।

अब यह बात निकल कर आ रही है कि लोहिया संस्थान की तरह ही लोहिया चिकित्सालय( अब लोहिया वार्ड) में ओपीडी पर्चा ?  100 रुपये का बनेगा तथा द्वितीयक (भर्ती ,जांच) का शुल्क संस्थान के अनुसार लिया जाएगा और दवा भी निशुल्क नहीं होगी।

2 साल तक पुरानी दर बनाए रखने का जारी हुआ था शासनादेश 

डॉ राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय का डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में विलय का डॉ रजनीश दुबे, प्रमुख सचिव,चिकित्सा शिक्षा,उत्तर प्रदेश शासन ने आदेश,संख्या -1985/71 -2-2019-आर0एम0-11/2013-टी0सी0चिकित्सा शिक्षा विभाग- 2 ,दिनांक 27 अगस्त 2019 में जारी किया था।

इस शासनादेश के अनुसार 

डॉ राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय लखनऊ द्वारा वर्तमान में जिन दरों पर मरीजों को चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है ,विलय के प्रश्चात डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ,लखनऊ द्वारा उन्हीं दरों एवं शर्तों पर मरीजों को प्राथमिक एवं द्वितीयक चिकित्सा सुविधा इस शासनादेश के निर्गत किए जाने की तिथि से 2 वर्ष तक यथावत दी जाएगी। तत्पश्चात परिस्थितियों के दृष्टिगत शासन द्वारा यथोचित निर्णय लिया जाएगा।

शासनआदेश के सातवें पैरा में साफ लिखा हुआ दो वर्ष तक दर नहीं बढ़ायी जाएगी लेकिन प्रमुख सचिव एवं भ्रष्टाचारियों का गठजोड़ संयुक्त चिकित्सालय को गरीबों को मुफ्त इलाज न देने के अपने इरादे में सफल होता दिख रहा है।निदेशक,लोहिया संस्थान के अनुसार लोहिया हास्पीटल ब्लाक मेंभी शुल्क लागू करने की प्रक्रिया चल रही है जो जल्द ही लागू होगी।

 

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