Wednesday - 10 January 2024 - 4:01 AM

शपथ लेते ही जो बाइडन ने बदले ट्रंप के ये फैसले

जुबिली न्यूज़ डेस्क

अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने तेज तरार तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। वे शपथ ग्रहण समारोह के कुछ ही घंटे बाद ही एक्शन में आ गये और डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों को बदल दिया है। जो बाइडन ने ट्रंप के पेरिस समझौते को बदल दिया है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय पेरिस जलवायु समझौते में अमेरिका की वापसी की घोषणा की है।

खबरों के अनुसार, राष्ट्रपति जो बाइडन ने बीते दिन पेरिस जलवायु समझौते में अमेरिका को फिर से शामिल करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर साइन कर दिया। उनका कहना है कि हम एक तरह से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने जा रहे हैं, जो हमने अब तक नहीं किया है।

इसके अलावा नव निर्वाचित राष्ट्रपति ने अन्य का फैसले भी लिए जिसमें कोरोना महामारी को कंट्रोल करने के लिए फैसला, आम लोगों को बड़े स्तर पर आर्थिक मदद देने का ऐलान, पेरिस क्लाइमेट चेंज के मसले पर अमेरिका की वापसी, नस्लभेद को खत्म करने की ओर कदम, बॉर्डर पर दीवार बनाने के फैसले को रोका, फंडिंग भी रोक दी, विश्व स्वास्थ्य संगठन से हटने के फैसले को रोका, ट्रंप प्रशासन द्वारा जिन मुस्लिम देशों में बैन लगाया था, उसे भी जो बाइडन ने वापस लिया। इसके अलावा जो बाइडन ने स्टूडेंट लोन की किस्त वापसी को भी सितंबर तक टाल दिया है।

इसलिए खास है ये फैसले

गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने साल 2015 में पेरिस जलवायु समझौते को साइन किया था। लेकिन साल 2017 में ट्रंप ने इस समझौते को छोड़ दिया था। वहीं अब जो बाइडेन ने ठीक इसका उल्टा किया। उन्होंने कहा था कि अमेरिका पेरिस एग्रीमेंट में वापस लौटेगा, सत्ता संभालते ही उन्होंने क्लाइमेट चेंज की ओर बड़ा कदम बढ़ा दिया है।

इसके अलावा कोरोना संकट के बीच डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपना रिश्ता तोड़ लिया था। इस वजह से उनकी काफी आलोचना हुई थी। लेकिन जो बाइडेन ने चुनाव में वादा किया था कि वो शुरुआती फैसला डब्लूएचओ में वापस आने का ही करेंगे। संयुक्त राष्ट्र की ओर से अमेरिका के इस फैसले का स्वागत किया गया है।

व्हाइट हाउस की नई प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी के अनुसार, कार्यकाल के पहले दिन सिर्फ कुछ ही फैसले लिए गए हैं। लेकिन आने वाले दिनों में और भी फैसलों को लिया जाएगा, ताकि अमेरिका को वापस पटरी पर लाया जा सके।

साल 2015 को अस्तित्व में आया था पेरिस समझौता

फ्रांस की राजधानी पेरिस में 12 दिसंबर 2015 को 196 देशों के प्रतिनिधियों ने पेरिस जलवायु समझौते में शामिल हुए थे। इसमें करीब एक साल बाद 3 नवंबर 2016 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन के दौरान इस समझौते को स्वीकार किया था। जबकि राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन की ओर से अगस्त 2017 में औपचारिक रूप से इस समझौते से बाहर होने की बात कही गई थी।

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बता दें कि बाइडन ने संयुक्त राज्य अमेरिका को 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन पर लाने का वादा किया है। वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवाश्म ईंधन का बड़े पैमाने पर उपयोग करके और ग्लोबल वार्मिंग के सबसे विनाशकारी प्रभावों से बचने के लिए आवश्यक है।

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