जुबिली स्पेशल डेस्क
गाजा में इजराइल की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ विरोध अब अंतरराष्टï्रीय स्तर पर देखा जा सकता है। दरअसल इजराइल को फ्रांस के द्वारा बड़ा झटका दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक फ्रांस के दक्षिणी बंदरगाह फोस-सुर-मेर में डॉक वर्कर्स ने इजराइल के लिए जा रही हथियारों की खेप को लोड करने साफ मना कर दिया है। इस तरह से फ्रांस के इस कदम से इजराइल को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि कुछ लोग फ्रांस सराकर पर भी सवाल उठा रहे हैं।
फ्रांस के मार्सेई के पास स्थित फोस-सुर-मेर बंदरगाह पर डॉक वर्कर्स ने इज़राइल के लिए भेजे जा रहे हथियार सामग्री को लोड करने से इनकार कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, इन पैलेट्स में मशीन गनों के लिए इस्तेमाल होने वाले मेटल लिंक शामिल थे, जो तेज़ फायरिंग में मदद करते हैं।
मज़दूर यूनियन CGT ने साफ कहा कि वे ऐसे किसी भी कार्य का हिस्सा नहीं बन सकते जो इज़राइल द्वारा गाज़ा में हो रहे हमलों से जुड़ा हो। यूनियन का कहना है कि वे किसी भी तरह के मानवाधिकार उल्लंघन या नरसंहार का समर्थन नहीं कर सकते।
इज़राइल को हथियार सप्लाई से इनकार: फ्रांस के डॉक वर्कर्स ने दिखाई मानवता की मिसाल
मार्सेई (फ्रांस)। गाज़ा में चल रहे संघर्ष के बीच फ्रांस के बंदरगाह श्रमिकों ने एक अहम और साहसिक कदम उठाया है। मार्सेई के पास फोस-सुर-मेर पोर्ट पर डॉक वर्कर्स ने इज़राइल के लिए जा रही हथियार सामग्री की खेप को लोड करने से साफ इनकार कर दिया। इस खेप में मशीन गनों के मेटल लिंक शामिल थे, जो भारी गोलाबारी में काम आते हैं।
डॉक वर्कर्स यूनियन CGT के नेता क्रिस्टोफ क्लेरे ने बताया कि उन्हें गुरुवार को इस खेप की जानकारी मिली थी। उन्होंने फ्रांसीसी न्यूज़ एजेंसी AFP को बताया,
“हमने कंटेनर की पहचान कर उसे अलग रख दिया। जब डॉक वर्कर्स किसी खेप को लोड करने से इनकार करते हैं, तो उसे कोई और नहीं छू सकता।”
हालांकि अन्य सामान्य माल को जहाज में लोड कर दिया गया।
“यह सिर्फ एक यूनियन फैसला नहीं, इंसानियत की आवाज है”
CGT यूनियन की महासचिव सोफी बिनेट ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा:
“हमारे साथियों की यह कार्रवाई फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मूल्यों की रक्षा का प्रतीक है। सरकार को तुरंत इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति पर रोक लगानी चाहिए।”
उन्होंने यह बयान स्ट्रासबर्ग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया।
फ्रांस की विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन
इस कदम को फ्रांस की कई वामपंथी पार्टियों का समर्थन मिला है। सोशलिस्ट पार्टी के नेता ओलिवियर फॉर ने कहा:
“ह्यूमनिज्म कोई बिकने वाली चीज़ नहीं है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अप्रैल और मई में इसी तरह के दो हथियार शिपमेंट पहले ही इज़राइली बंदरगाह हैफा भेजे जा चुके हैं, जिससे विवाद और गहरा गया है।
सरकारी स्पष्टीकरण पर उठे सवाल
फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नु ने दावा किया था कि ये पुर्जे केवल ट्रांजिट में हैं और इज़राइली सेना इन्हें इस्तेमाल नहीं करेगी। लेकिन अधिकारिक जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी के चलते इस दावे पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हथियारों की आपूर्ति से जुड़ी Eurolinks कंपनी ने भी AFP के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया।
कूटनीतिक असर और भविष्य की दिशा
फ्रांस में सरकारी नीति से इतर उठी यह आवाज़ इज़राइल के लिए एक कूटनीतिक झटका मानी जा रही है। गाज़ा संकट के बीच फ्रांस जैसे प्रमुख यूरोपीय देश से इस तरह की असहमति अंतरराष्ट्रीय मंच पर इज़राइल की छवि को प्रभावित कर सकती है। साथ ही, यह घटना भविष्य में यूरोपीय हथियार डिप्लोमेसी की दिशा तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।