Friday - 12 January 2024 - 2:25 AM

नई शिक्षा नीति से विश्वगुरु बन सकता है भारत

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। कुमारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर में शिक्षा का वैश्विक परिदृश्य तथा समग्र विकास नई शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन शनिवार को किया गया। उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा अनुदानित इस राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ मां सरस्वती की आराधना एवं दीप प्रज्वलन के साथ में हुआ।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि पद्मश्री से सम्मानित प्रोफेसर जगमोहन सिंह राजपूत पूर्व निदेशक एनसीआरटी एवं भारतीय प्रतिनिधि यूनेस्को एग्जीक्यूटिव बोर्ड एवं मुख्य वक्ता पीके मिश्रा एवं अशोक कुमार गाड़ियां, चेयरमैन मेवाड़ ग्रुप का स्वागत महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. दिव्या नाथ द्वारा किया गया।

प्राचार्य डॉ. दिव्या नाथ ने अपने स्वागत उद्बोधन में समस्त विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को अत्यधिक उपयुक्त एवं प्रासंगिक बताया।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति सूर्योदय के रूप में आकर भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने में समर्थ है। यदि एक वाक्य में कहा जाए तो भारतीयता के गौरव बोध के साथ वैश्विक नागरिक के रूप में कुशल युवा शक्ति का आगाज है नई शिक्षा नीति।

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इसके बाद सेमिनार संयोजक डॉ. संजीव कुमार ने सेमिनार के विषय पर प्रकाश डालते हुए इस विषय की चयन एवं उपयोगिता पर विस्तृत रूप से चर्चा की। प्रोफेसर जगमोहन सिंह राजपूत ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए इसे शिक्षा के क्षेत्र मे वर्तमान की आवश्यकता बताया।

उन्होंने आध्यात्मिक विकास पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि गुरु वह है जो मनुष्यत्व से देवत्व की ओर ले जाए। उन्होंने नई शिक्षा नीति में जिज्ञासा एवं सृजनात्मक क्षमता वृद्धि कौशल पर विशेष बल दिया एवं शिक्षा नीति को भारत की ज्ञानार्जन परंपरा से जोडऩे का प्रयास बताया नई शिक्षा नीति विश्लेषण क्षमता का विकास करने में समर्थ है।

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अपने बीज वक्तव्य में डॉक्टर पी के मिश्रा , पूर्व डीन शिक्षा विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में नई शिक्षा नीति के संदर्भ में समग्र विकास पर विशेष बल दिया जिसमें शारीरिक मानसिक मनोवैज्ञानिक आध्यात्मिक चारित्रिक आदि सर्वांगीण विकास की बात की गई है।

उन्होंने के तीन चरण सुनना, गुनना एवं बुनना को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद शिक्षा मंत्री दिनेश चंद शर्मा का आशीर्वचन पूर्ण संदेश वीडियो क्लिपिंग के माध्यम से प्राप्त हुआ।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग और शिक्षा निदेशक प्रोफेसर अमित भारद्वाज का संदेश वीडियो क्लिपिंग के माध्यम से प्राप्त हुआ जिसमें सेमिनार की सफलता की शुभकामनाएं प्रेषित की गई।

उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. रश्मि कुमारी द्वारा किया गया एवं अंत में धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ दिनेश शर्मा द्वारा किया गया।

इसके बाद में विशिष्ट सत्र में डॉ. अनीता रानी राठौर एंकर भाषा ग्रुप राष्ट्रीय शिक्षा नीति पाठ्यक्रम पुनर्निर्माण समिति एवं प्रोफेसर शारदा सिन्हा शिक्षक शिक्षा विभाग एनसीईआरटी दिल्ली एवं डॉ वीके सिंह एसोसिएट प्रोफेसर एंकर विज्ञान राष्टï्रीय शिक्षा नीति पाठ्यक्रम पुनर्निर्माण समिति विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे।

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विशिष्ट सत्र का संचालन सेमिनार के आयोजन सचिव डॉ. रमाकान्ति द्वारा किया गया रिपोर्टर के रूप में डॉक्टर सतीश चंद्र रहे। इसके बाद तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया।

जिसमें डॉ उमा जोशी, एसोसिएट प्रोफेसर गृह विज्ञान वीएमएलजी कॉलेज गाजियाबाद ,डॉ प्रदीप कुमार, विवाह के अध्यक्ष शिक्षा विभाग डीएस कॉलेज अलीगढ़, डॉ राकेश राना एसोसिएट प्रोफेसर समाजशास्त्र एमएमएच कॉलेज गाजियाबाद, डॉक्टर रिंकल शर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर शारदा विश्वविद्यालय डॉक्टर संजय सिंह एसोसिएट प्रोफेसर इतिहास विभाग एमएमएच कॉलेज गाजियाबाद एबीसी जाट भूगोल विभाग राजकीय पीजी महाविद्यालय राज खेड़ा राजस्थान आदि की अध्यक्षता में विभिन्न तकनीकी सत्रों में विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

जिनके माध्यम से नई शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं एवं आयामों पर विस्तृत चर्चा की गई ताकि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सके।

इसके पश्चात समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर कुमार रत्नम, सदस्य सचिव भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली एवं भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली, अतिथि वक्ता डॉ. आर के गुप्ता क्षेत्रीय अधिकारी मेरठ उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन कर रही डॉ अर्चना सिंह ने समस्त अतिथियों का स्वागत किया।

इसके बाद अतिथि वक्ता डॉ. आर के गुप्ता ने नई शिक्षा नीति 2020 पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए आयोजित इस सेमिनार की अत्यधिक प्रशंसा की एवं इसे चिंतन मनन तक ही सीमित ना रख कर क्रियान्वयन के लिए प्रेरित किया।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर कुमार रत्नम ने नई शिक्षा प्लास्टिक प्रसिद्ध भूमि एवं उसमें आध्यात्मिकता पर विशेष बल देते हुए नई शिक्षा नीति गहन चिंतन मनन के लिए आयोजित इस सेमिनार की भूरी भूरी प्रशंसा की इस सेमिनार के आयोजन के लिए महाविद्यालय प्राचार्य एवं सेमिनार आयोजक समिति की बहुत-बहुत बधाई दी।

अंत में संपूर्ण सेमिनार की आख्या आयोजन सचिव डॉ. रमाकान्ति असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षा संकाय द्वारा प्रस्तुत की गई। सेमिनार का सफल आयोजन महाविद्यालय प्राचार्य डॉ दिव्या नाथ के कुशल निर्देशन में सेमिनार संयोजक डॉ संजीव कुमार सह संयोजक डॉ मीनाक्षी लोहानी आयोजन सचिव डॉ. बलराम सिंह एवं डॉ रमाकांतितथा संपूर्ण आयोजन समिति एवं महाविद्यालय समस्त प्राध्यापकों का उल्लेखनीय योगदान रहा। इस सेमिनार में विभिन्न राज्यों से आए लगभग 700 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया एवं अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्य बलराम सिंह व डॉ रामाकांत भी मौजूद थे। इसके आलावा डॉ. मीनाक्षी लोहानी, डॉ संजीव कुमार व डॉ दिव्या नाथ भी मौजूद थी।

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