Sunday - 7 January 2024 - 9:04 AM

सऊदी अरब की शान को कैसे लगा झटका?

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना वायरस ने खाड़ी देशों की हालत खराब कर दी है। इस महामारी ने इन देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित किया है।

पिछले चार माह से सऊदी अरब कोरोना महामारी से उबरने की कोशिश में लगा हुआ है। पिछले महीने सऊदी अरब सरकार ने कहा था कि उनकी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं सरकार ने टैक्स भी बढ़ा दिया। अब खबर है कि सऊदी अरब की शान समझी जाने वाली सरकारी तेल कंपनी अरामको की कोरोना महामारी ने हालत पतली कर दी है।

तेल कंपनी अरामको की इस साल की दूसरी तिमाही में कंपनी की कमाई में 73 फ़ीसदी की गिरावट आई है।

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दरअसल कोरोना वायरस की महामारी और उसके संक्रमण से बचने के लिए दुनिया भर में लगी पाबंदियों के कारण तेल की मांग और कीमतों में भाई गिरावट आई है, जिसका सीधा असर सऊदी की इस तेल कंपनी पर भी पड़ा है।

कंपनी को इस साल 75 अरब डॉलर लाभांश के तौर पर भुगतान करना है और वैश्विक बाजार में तेल की पस्त हालत के कारण अरमाको इस मामले में भी ख़ुद को फंसी हुई पा रही है। हालांकि कंपनी के सीईओ आमीन नासीर ने कहा है कि वैश्विक बाजार में तेल की स्थिति सुधर रही है।

हालांकि इस साल की दूसरी तिमाही में सभी तेल कंपनियां मुश्किलों का सामना कर रही हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया भर में ट्रैवेल पर भी कई तरह की पाबंदियां लगी हुई हैं। जिसकी वजह से तेल की खपत कम हो रही है और इस वजह से तेल की कीमतें दो दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं।

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अरमाको पिछले साल ही शेयर मार्केट में आई थी और रिकॉर्ड 29.4 डॉलर के शेयर बिके थे। अरामको के सीईओ आमीन नासीर ने पत्रकारों से कहा कि लॉकडाउन में दी जा रही छूट के कारण स्थिति धीरे-धीरे सुधरेगी।

नासीर ने कहा, ”चीन को देखिए तो पता चलता है कि वहां गैसोलीन और डीजल की मांग कोविड-19 से पहले की तरह ही हो गई है। हम देख रहे हैं कि एशिया की स्थिति सुधर रही है। जैसे-जैसे तालाबंदी में छूट बढ़ाई जाएगी, हालात सुधरेंगे। हम 75 अरब डॉलर के लाभांश को लेकर प्रतिबद्ध हैं। यह मामला बोर्ड की मंज़ूरी और बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।”

सऊदी अरब के राजस्व घाटे को संतुलित रखने में अरामको के इस लाभांश की अहम भूमिका होती है। इस साल 30 जून को खत्म हुई दूसरी तिमाही में कंपनी की कमाई में 6.57 की गिरावट आई है। पिछले महीने के आखिर में ही आरामको को पछाड़ कर ऐपल दुनिया की सबसे बड़ी पब्लिक कंपनी बन गई थी।

 

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