जुबिली स्पेशल डेस्क
हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर देश में राजनीतिक घमासान देखने को मिल रहा है। अगर इस नई रिपोर्ट पर गौर करें तो इसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति के खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं।
नई रिपोर्ट में कहा है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी समूह के कथित वित्तीय कदाचार से जुड़ी ऑफशोर एंटिटी में हिस्सेदारी है।
व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि ये संस्थाएं गौतम के बड़े भाई विनोद अडानी की ओर से रुपयों की हेराफेरी करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नेटवर्क का हिस्सा थीं।
अब इस रिपोर्ट को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया है और तत्काल इस मामले की जांच की मांग कर डाली है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “अडानी मेगास्कैम की जांच करने के लिए सेबी की अजीब अनिच्छा लंबे समय से देखी जा रही थी, खासकर सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति की ओर से.. उस समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सेबी ने 2018 में विदेशी फंडों के अंतिम लाभकारी (यानी वास्तविक) स्वामित्व से संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कमजोर कर दिया था और 2019 में पूरी तरह से हटा दिया था। ”
जयराम रमेश के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोप गौतम अडानी की ओर से सेबी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने के तुरंत बाद बुच के साथ लगातार दो 2022 बैठकों के बारे में नए सवाल खड़े करते हैं।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि असली अडानी शैली में, सेबी अध्यक्ष भी उनके समूह में एक निवेशक हैं. क्रोनी कैपिटलिज्म अपने चरम पर है। मोइत्रा ने यह भी मांग की कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करे।