Saturday - 6 January 2024 - 4:02 PM

उच्च शिक्षा के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने पर हाइकोर्ट की रोक..

ओम प्रकाश सिंह

लखनऊ/अयोध्या। उच्च शिक्षा क्षेत्र के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष किए जाने के सिंगल बेंच आदेश पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने स्टे कर दिया है। योगी सरकार का जोर नई भर्तियों पर है। ऐसे में बेरोजगारी के बोझ से दबी उत्तर प्रदेश की सरकार के लिए यह राहत भरा निर्णय है।

प्रदेश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में गिरती शैक्षणिक व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षक, न्यायालय की आड़ लेकर सेवा में बने रहना चाहते हैं। सेवानिवृत्त हो रहे इन शिक्षकों को पढ़ने पढ़ाने के बजाय उच्च वेतनमान ज्यादा आकर्षित कर रहा है। इसके अलावा सभी विश्वविद्यालयों में अधिकांश शिक्षक पढ़ाने से ज्यादा प्रशासनिक कार्यों में रूचि लेते हैं और कुलपति की गणेश परिक्रमा करते हैं। अवध विश्वविद्यालय के एक शिक्षक ने तो बिना प्रशासनिक आदेश के, एकल पीठ के आदेश की आड़ में उपस्थित पंजिका पर हस्ताक्षर करना भी शुरू कर दिया है। इसकी शिकायत राज्यपाल से हुई है।

प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा संस्थानों में शैक्षणिक कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष करने के लिए सेवानिवृत्त हो रहे कुछ शिक्षकों ने याचिका डाली थी। याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर 65 वर्ष सेवानिवृत्ति की आयु किए जाने का अनुरोध किया था कि प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रावधानों को स्वीकार किया हुआ है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रावधान शैक्षणिक कर्मचारियों को 65 वर्ष तक सेवा करने की अनुमति देते हैं। इसी आधार पर सिंगल बेंच कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 65 वर्ष तक सेवा दिए जाने का निर्देश दिया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी फैसले को डबल बेंच कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट में सरकार की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रावधानों को पूरा अंगीकृत नहीं किया है बल्कि उसके कुछ हिस्से ही स्वीकार किए गए हैं, जिसमें सेवानिवृत्त संबंधी प्रावधान नहीं है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष तभी की जा सकती है जब विश्वविद्यालय की नियमावली में संशोधन करके इसे स्वीकार लिया जाए। इसपर प्रतिपक्ष ने काउंटर एफिडेविट जमा करने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा। वहीं डबल बेंच कोर्ट ने राज्य सरकार को अपना रेजॉइंडर दायर करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है और तब तक के लिए सिंगल बेंच के फैसले पर स्टे लगा दिया है।

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