Wednesday - 10 January 2024 - 5:35 AM

‘डायबिटीज मरीजों और पुरुषों को ब्लैक फंगस का खतरा सबसे ज्यादा’

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी के बीच अब एक नई महामारी लोगों की नींद उड़ाए हुए है। भारत यह नई महामारी तेजी से लोगों को अपने चपेट में ले रही है।

जी हां, हम बात कर रहे हैं ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर्मिकोसिस के बढ़ते मामले की। देश के कई राज्यों में इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। कई राज्यों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है।

ब्लैक फंगस ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। अभी कोरोना की महामारी कंट्रोल हुई नहीं की एक नई आफत ने दस्तक दे दी है।

ब्लैक फंगस को लेकर एक खुलासा हुआ है। चार भारतीय डॉक्टरों द्वारा की गई स्टडी के मुताबिक, पुरुषों में म्यूकोर्मिकोसिस से संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है।

डाक्टरों ने अपने इस अध्ययन को इस स्टडी का नाम ‘COVID-19 में म्यूकोर्मिकोसिस: दुनिया भर में और भारत में रिपोर्ट किए गए मामलों की एक व्यवस्थित समीक्षा’ दिया है।

डॉक्टरों ने गंभीर फंगल संक्रमण, म्यूकोर्मिकोसिस से संक्रमित कोरोना मरीजों के 101 मामलों का विश्लेषण किया है। इसमें पाया गया कि संक्रमितों में 79 पुरुष थे। स्टडी में डायबिटीज को सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक के रूप में पाया गया, जिसमें 101 में से 83 डायबिटीज से पीडि़त थे।

यह स्टडी एल्सेवियर जर्नल में प्रकाशित किया जाना है। स्टडी करने वाले डॉक्टरों में कोलकाता में जीडी अस्पताल और डायबिटीज संस्थान से डॉ अवधेश कुमार सिंह और डॉ रितु सिंह, मुंबई में लीलावती अस्पताल से डॉ शशांक जोशी और नई दिल्ली में राष्ट्रीय डायबिटीज, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन से डॉ अनूप मिश्रा शामिल हैं।

इन लोगों ने एक साथ 101 रोगियों का अध्ययन किया, जिसमें 82 भारत से थे, 9 अमेरिका से और तीन ईरान से।

देश में कोविड -19 से संबंधित म्यूकोर्मिकोसिस एक गंभीर बीमारी बन गई है, जिसमें अब तक सबसे अधिक मौतें (90) महाराष्ट्र से हुई हैं।

स्टडी के मुताबिक 101 मरीजों में से 31 लोगों की मौत फंगल संक्रमण के कारण हुई। आंकड़ों से पता चला है कि म्यूकोर्मिकोसिस विकसित करने वाले 101 व्यक्तियों में से 60 में सक्रिय कोविड -19 संक्रमण था और 41 ठीक हो गए थे। साथ ही, 101 में से 83 लोगों को डायबिटीज था, वहीं तीन को कैंसर था।

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डॉ. शशांक जोशी, जो एक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट भी हैं, ने कहा कि उन्होंने अध्ययन किया कि कोरोना के लिए म्यूकोर्मिकोसिस के रोगियों का क्या उपचार किया गया। कुल 76 रोगियों में एक इम्यूनोसप्रेसेन्ट के रूप में उपयोग किए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इतिहास था। 21 को रेमेडिसविर और चार टोसीलिज़ुमैब दिए किए गए थे।

एक मामले में, डायबिटीज से पीडि़त मुंबई के एक 60 वर्षीय व्यक्ति को स्टेरॉयड और टोसीलिज़ुमैब दोनों दिए गए। फंगल इंफेक्शन के कारण उनकी मौत हो गई।, लेकिन मुंबई में एक 38 वर्षीय व्यक्ति बिना डायबिटीज के बच गया।

अध्ययन में कोविड -19 के साथ डायबिटीज रोगियों में मृत्यु और गंभीरता का संबंध अधिक पाया गया।

म्यूकोर्मिकोसिस नाक, साइनस, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, फेफड़े, जठरांत्र संबंधी मार्ग, त्वचा, जबड़े की हड्डियों, जोड़ों, हृदय और गुर्दे को प्रभावित कर सकता है।

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स्टडी से पता चला है कि ज्यादातर मामलों में, 89 से अधिक, नाक और साइनस में फंगल का संक्रमण पाया गया था। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि कोविड-19 श्वसन तंत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि कम ऑक्सीजन (हाइपोक्सिया), उच्च ग्लूकोज, अम्लीय माध्यम और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स के उपयोग के कारण सफेद रक्त कोशिकाओं की गतिविधि में कमी के आदर्श वातावरण में कोविड -19 वाले लोगों में फगस म्यूकोरालेस बीजाणु फैल रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि जहां इस फंगल संक्रमण का वैश्विक प्रसार प्रति मिलियन जनसंख्या पर 0.005 से 1.7 है, वहीं भारत में डायबिटीज की आबादी अधिक होने के कारण यह 80 गुना अधिक है।

जोशी ने कहा कि अध्ययन ने “मरीजों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के विवेकपूर्ण साक्ष्य-आधारित उपयोग” और उनके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने की सलाह दी है।

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