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कोरोना : पाकिस्तान के डॉक्टर क्यों नाराज हैं सरकार से ?

न्यूज डेस्क

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। गरीब-अमीर कोई देश नहीं बचा है। स्वास्थ्य सेवाओं में मामले में अव्वल रहने वाले अमीर देशों में कोरोना को प्रकोप को रोकने वाले हथियार मतलब मास्क, पीपीई किट की कमी आड़े आ रही है तो मध्यम और गरीब देशों की बात करना बेमानी है। पिछले दिनों भारत में डॉक्टरों से सरकार से सुरक्षा की बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की गुहार लगाई थी और अब पाकिस्तान में कोरोना से जंग लड़ रहे डॉक्टर मास्क और पीपीई किट को लेकर नाराज हैं।

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पाकिस्तान के डॉक्टरों की नाराजगी की वजह बनी  राष्ट्रपति  डॉक्टर आरिफ द्वारा ट्वीट की गई फोटो। अल्वी ने हाल ही में आधिकारियों के साथ बैठक की एक तस्वीर ट्वीट की जिसमें वो फेस मास्क पहने दिख रहे हैं। वैसे तो यह एक साधारण तस्वीर होनी चाहिए थी लेकिन इस तस्वीर के कारण उनकी पाकिस्तान में आलोचना हो रही है।

दरअसल मामला ये है कि तस्वीर में राष्ट्रपति  डॉक्टर अल्वी ने एन-95 मास्क पहना हुआ है जिसका आम तौर पर स्वास्थ्यकर्मी इस्तेमाल करते हैं। इस तस्वीर के कारण अब पाकिस्तान सरकार और कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों के बीच तनाव पैदा हो गया है।

इस मामले में पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि, “एक तरफ राजनेता और आला अधिकारी अक्सर बैठकों में और दौरों के दौरान एन-95 मास्क पहने दिखते हैं तो दूसरी तरफ स्वास्थ्यकर्मी इन मास्क और पीपीई किट (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) की कमी से जूझ रहे हैं।”

पाकिस्तान में भी डॉक्टरों को सुरक्षा की बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। पाकिस्तान के एक शहर में 25 डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। यहां पुलिस और डॉक्टरों के बीच झड़पों की खबरें मिल रही हैं और पीपीई किट की कमी के मुद्दे पर विरोध कर रहे डॉक्टरों को गिरफ्तार भी किया गया है।

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जब यह मामला विवादों में आ गया तो डॉ अल्वी ने सफाई देते हुए कहा कि ये मास्क उनके हाल के चीन दौरे के दौरान उन्हें दिया गया था, इसके धागे टूट जाने के कारण इसे फिर से सिल कर वो इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि इस मामले के बाद से वो साधारण मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, पर डॉक्टर उनके इस जवाब से संतुष्ट नहीं हैं।

पिछले महीने जब कोरोना वायरस ने पाकिस्तान में दस्तक दिया था तब से यहां खबरों में पीपीई किट की कमी का मुद्दा छाया हुआ है। देश के लिए न केवल ये अभूतपूर्व स्थिति है बल्कि महामारी के कारण मास्क की मांग अचानक बढ़ जाएगी इसका सही आकलन भी नहीं किया गया था।

छह महीने पहले पाकिस्तान सरकार ने देश में स्वास्थ्यकर्मियों के नियामक संगठन पाकिस्तान मेडिकल एंड डेन्टल काउंसिल (पीएमडीसी) को खत्म करने का फैसला लिया था। सरकार का फैसला यहां के दो लाख डॉक्टरों के लिए आश्चर्यजनक था। इस फैसले की वजह से पाकिस्तान में करीब 15 हजार मेडिकल ग्रेजुएट को जरूरी सर्टिफिकेशन नहीं मिल पाया। साथ ही देश और विदेश में प्रैक्टिस जारी रखने के लिए हर पांच साल में अपना रजिस्ट्रेशन रीन्यू करवाना बाध्यकारी हो जाने से कई डॉक्टरों को अपनी प्रैक्टिस बंद करनी पड़ी। अब भी करीब 30 हजार डॉक्टर अपना रजिस्ट्रेशन रीन्यू होने का इंतजार कर रहे हैं।

कोरोना संकट के बीच बुनियादी सुविधाओं के अभाव में सीमित संख्या में डॉक्टर काम कर रहे हैं। डॉक्टरों का समुदाय पीपीई किट की भारी कमी से भी जूझ रहा है और देश भर में स्वास्थ्यकर्मी विरोध प्रदर्शनों और हड़ताल कर रहे हैं।

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