Friday - 19 January 2024 - 9:04 AM

लॉकडाउन बढ़ा तो कौन सी चुनौतियां आयेंगी?

न्यूज डेस्क

कोरोना से निपटने के लिए कई देशों में लॉकडाउन का उपाय किया गया है। भारत में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिनों का लॉकडाउन लगाया था। ये 21 दिन जल्द खत्म होने वाले हैं। और अब लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने पर चर्चा चल रही है। उम्मीद है भारत सरकार जल्द ही इस बारे में कोई फैसला कर लेगी। भारत के कुछ राज्यों ने पहले ही इसे अप्रैल के अंत तक बढ़ाने की घोषणा कर चुकी हैं और इसके कारण हैं कोरोना वायरस के बढ़ते मामले।

लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर राज्य सरकारें मोदी सरकार से गुहार लगा रही है। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने साफ लहजे में कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन बढ़ाना ही विकल्प है। फिलहाल जल्द ही इस पर से पर्दा उठ जायेगा कि मोदी सरकार लॉकडाउन को बढ़ाती या खत्म करती है। अब सवाल उठता है कि यदि लॉकडाउन बढ़ता तो इसके लिए सरकार की तैयारी कितनी है?

पिछले 18 दिनों से पूरे देश लॉकडाउन है।राशन-दवा की दुकानों के अलावा कुछ जरूरी दफ्तर खुले हुए हैं। बाकी सब बंद हैं। इस बीच बहुत से लोगों के साथ ऐसा वाकया हुआ होगा कि राशन की दुकानों में उन्हें वह सामान नहीं मिल पाया होगा जिसके लिए वह गए होंगे। दरअसल अधिकांश दुकानों पर बहुत कम सामान बचे हैं।

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21 दिन के लॉकडाउन में जरूरी सामानों पर तो कोई रोक नहीं थी, लोगों को सामना मिलता भी रहा है, लेकिन चिंता जताई जा रही है कि अगर लॉकडाउन बढ़ा तो आने वाले दिनों में आटा, दाल, पैक्ड फूड जैसी जरूरी चीजों की किल्लत हो सकती है।

दुकानदारों का कहना है कि उनके पास फिलहाल एक हफ्ते का स्टॉक है। हालांकि कुछ ब्रैंड्स की चीजें उनके यहां खत्म भी हो चुकी हैं। वहीं इन दुकानदारों को सामान सप्लाई करने वाले डिस्ट्रिब्यूटर्स का कहना है कि उनके पास दस से पंद्रह दिन का स्टॉक है, लेकिन ट्रांसपोर्ट की दिक्कत की वजह से कई जगह डिस्ट्रिब्यूटर्स, रिटेलर्स तक सामान नहीं पहुंचा पा रहे हैं।

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लॉकडाउन की वजह से बहुत सारी जीते अव्यवस्थित हो गई हैं। यदि यह कहें कि सप्लाई चेन बाधित हो गई हैं तो गलत नहीं होगा। दरअसल किसानों से फसलें मंडियों तक पहुंचती हैं। वहां से फैक्ट्रियों में जाती हैं, फिर वहां से सामान बनकर पैक होकर होल सेलर के पास पहुंचता है। डिस्ट्रिब्यूटर से फिर रिटेल के पास जाता है। इसे कहते हैं सप्लाई चेन।
लॉकडाउन की वजह से कई फैक्ट्रियों में उत्पादन रूका हुआ है, जिसका सीधा असर आगे चलकर हम पर पड़ सकता है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गुडग़ांव चैंबर फॉर कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विकास जैन कहते हैं कि अगर लॉकडाउन दो या तीन सप्ताह बढ़ता है तो निश्चित ही जरूरी सामान की किल्लत होगी। एफएमसीजी में डिस्ट्रिब्यूटर से लेकर रीटेलर तक भी एक पूरी सप्लाई चेन होती है, जिसमें आम तौर पर तीन-चार हफ्ते का गैप होता है, जिससे उनके पास कम से कम तीन-चार हफ्ते का स्टॉक रहता है। इसलिए तीन-चार हफ्ते के अब तक के लॉकडाउन में कोई दिक्कत नहीं आई, लेकिन इसके आगे अब चुनौतियां आएंगी।

एफएमसीजी यानी फास्ट मूविंग कन्जूमर गुड्स को आम तौर पर कन्जूमर पैकेज्ड गुड्स भी कहा जाता है, जिसमें साबुन, डिटर्जेंट, शैम्पू, शेविंग प्रोडक्ट, टूथपेस्ट, जूते की पॉलिश, पैकेज्ड खाना, स्किन केयर का सामान जैसे सामान शामिल हैं।विकास जैन के अनुसार, अब फैक्ट्रियों से डिस्ट्रिब्यूटर तक माल नहीं पहुंचा, तो आगे की राह मुश्किलों से भरी होगी।

लेबर की है किल्लत

कुछ फैक्ट्री मालिकों को सरकार से जरूरी सामानों की फैक्ट्री चलाने की अनुमति मिली हुई है। वह चलाना भी चाह रहे है, लेकिन उनके पास लेबर नहीं है। लॉकडाउन लागू होने के बाद बड़ी संख्या में शहरों से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट गए हैं। वहीं परमानेंट वर्कर भी फैक्टियों में नहीं आ रहे हैं। उनके सिर्फ10 या 15 प्रतिशत वर्कर ही आ रहे हैं।

लॉकडाउन बढऩे पर कौन सी चुनौतिया बढ़ेंगी के सवाल पर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स में रिटेल कमिटी के चेयरमैन साकेत डालमिया कहते हैं अभी फिलहाल अगले 10 से 15 दिन तक दिक्कत नहीं होगी। सिर्फ यह होगा कि जो ब्रांड पहले कम बिकते थे, अब उनका माल बिकेगा। मतलब जब किसान कैचअप नहीं मिलेगा तो आप मैगी कैचअप या कोई और ढूढेंगे। मैगी नूडल नहीं मिलेगा तो आप दूसरा खोजेंगे। आपको शक्तिभोग आटा नहीं मिलेगा तो आप दूसरा विकल्प देखेंगे, लेकिन उसके बाद चुनौती खड़ी हो जाएगी। इसलिए जरूरी है कि फैक्ट्रियों को चलाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। ”

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