Monday - 8 January 2024 - 5:15 PM

लिट्फेस्ट

असगर की जीत हो गई हर एतबार से

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो लखनऊ. आकर गमें हुसैन ने फिर सौंप दी मुझे जन्नत निकल चुकी थी मेरे इख्तिसार से अकबर का हुस्न तूर के जलवे से कम नहीं नाबीना कर दे गर न मिले इन्त्कार से तीरे सितम शुजाअते असगर पे दंग था वो मुस्कुराए भी तो अली के वकार …

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 बड़े अदब से : यहां कुछ तूफानी हो रहा है

नेता पल्टूराम एक गुप्त स्थान पर विराजमान हैं। चेले -चापड़ सीक्रेट टास्क में ऐसे लगे हुए हैं मानो पोखरण  में परमाणु विस्फोट की टेस्टिंग हो  अमेरिका ने भूखे जासूसी कुत्ते छोड़ रखे हों। नेता पल्टूराम का सबसे बड़ा बेटा हाथ में लिस्ट लेकर आ रहे मटीरियल के मिलान में जुटा …

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Video : विदाई का वक्त करीब था लेकिन दुल्हन ने अचानक से…

जुबिली स्पेशल डेस्क सोशल मीडिया पर अक्सर कोई न कोई वीडियो वायरल होता है। आलम तो यह रहता है कि वायरल वीडियो को देखने की होड़ मची रहती है। इन दिन सोशल मीडिया पर हाल में एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। आलम तो यह है कि इस …

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स्वतंत्रता दिवस पर नन्हें-मुन्हें बालकों ने दिखाया हुनर

लखनऊ। राजधानी लखनऊ इंदिरा नगर सेक्टर—14 स्थित शिवजी मंदिर पार्क में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नन्हें मुन्हें बालकों ने क्राफ्ट कला प्रदर्शन में अपने हुनर का प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में लगभग दर्जनों बालकों ने प्रतिभाग किया। प्रदर्शनी में बालकों ने राफेल, ज्वालामुखी, बिल्डिंग, पार्क, वन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सजावट, …

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बड़े अदब से : आजादी का नाटक

तीन घंटे गर्मी और उमस में तपकर निकले बच्चों के हाथ में मिठाई दी जा रही थी। आजादी आसानी से नहीं मिलती, आजादी मीठी होती है, यह बच्चे जान गये थे। गांधी, नेहरू क्रांतिक्रारी बने बच्चे भी मिठाई पाकर खुश थे। ये बच्चे आजादी के नाटक के पात्र थे। बच्चों …

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व्यंग्य / बड़े अदब से : ये दाग अच्छे हैं

पश्चिमी बंगाल की राजधानी के एक सीलन भरी पुरानी इमारत के अंधेरे कमरे से, देश की सबसे बड़ी विधान सभा के चुनाव के लिए, उन्हें निकाला गया। झाड़ा-पोंछा गया। उनके सारे सर्किट मकड़जाल में घिरे हुए थे। कुशल हाथों में आकर उनमें आक्सीजन का संचार हुआ। बत्तियां जल उठीं। उन …

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चरित्रों को गढ़ने में वेशभूषा सबसे महत्वपूर्ण होती है

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो लखनऊ। किसी मंचीय नाटक, टीवी धारावाहिक या फिर फिल्मों में दर्शकों के सामने आने वाले चरित्रों को गढ़ने में उनकी वेशभूषा भी महत्वपूर्ण होती है। वेशभूषा इस तरह डिजाइन की जानी चाहिए कि जो देश, काल, वातावरण के साथ सम्बंधित चरित्र के व्यक्तित्व को पहचानने में मददगार …

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जयंती विशेष : मुंशी प्रेमचंद भी कोई लेखक हैं

वीरेंदर भाटिया  बात उन दिनों की है जब मैं स्कूली छात्र था। गांव में सरकारी स्कूल की पढ़ाई का स्तर बहुत अच्छा था। हमारे सभी शिक्षक बेहद कुशल और ज्ञानवान थे। मुझे हिंदी अध्यापक ज्यादा पसंद थे क्योंकि उनका समझाने का ढंग बेहद सरल और रोचक था। एक दिन उन्होंने …

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बड़े अदब से : मुद्दों की सेल

प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव सेल…सेल…सेल… मुद्दों की सेल। सामने बोर्ड देखकर मैं चौंका। बात थी भी चौंकाने वाली। मैं उतना ही चौंका जितना मुद्दों की जगह ‘मुर्दों” लिखा देखा होता। किसने खोली? आखिर क्यों खोली गयी? किसके दिमाग का यूनीक स्टार्टअप है? यह पहली है या इस तरह की दुकानों की प्रशांत …

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ये पर्वत प्रहरी से जो खड़े दुश्मन की नजर न तुझपे पड़े

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो लखनऊ। कारगिल विजय दिवस का उल्लास आज संगीत की स्वर लहरियों और काव्य सरिता के तौर पर उभरकर आया। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अंतर्गत अकादमी परिसर गोमतीनगर की वाल्मीकि रंगशाला में आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव ऑनललाइन कार्यक्रम में …

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