कृष्णमोहन झा वर्तमान लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को दो मोर्चों पर विपक्ष की चुनौती मिल रही है। एक और उसे समजवादी पार्टी ,बहुजन समाज पार्टी एवं राष्ट्रीय लोकदल के महागठबंधन का मुकाबला करना है तो दूसरी और कांग्रेस उसे कड़ी टक्कर देने की कोशिश में लगी …
Read More »जुबिली डिबेट
हिन्दू राष्ट्रवाद बनाम बांग्ला राष्ट्रवाद की लड़ाई में फंसा बंगाल
उत्कर्ष सिन्हा कभी बंगाल कम्युनिष्टो के लाल झंडे से भरा रहता था लेकिन फिलहाल चल रहे लोकसभा चुनावो में बंगाल की जमीन हिंसा से लाल हो रही है। कोलकाता में मंगलवार को अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई हिंसा के बीच ईश्वरचंद विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने पर लोगों …
Read More »दुनिया को कौन सा पाठ पढ़ाने के लिए है विश्व गुरू बनने की हसरत
के पी सिंह गुजरात में एक सप्ताह से भी कम समय में दलित दूल्हों की बारात रोकने के लिए उन पर हमले की चार घटनाएं सामने आ चुकी हैं। गुजरात वह राज्य है जिसे विकास के सबसे सुनहरे मॉडल के रूप में पेश किये जाने की वजह से नरेन्द्र मोदी …
Read More »रमजान सब्र का महीना है और सब्र का फल जन्नत है
प्रदीप कुमार सिंह रमजान का महीना रहमतों, बरकतों, नेकियों और नियामतों का है। इस दौरान बंदगी करने वाले हर शख्स की ख्वाहिश अल्लाह पूरी करता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नवां महीना रमजान का होता है। इसमें सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीना रोजा रखते हैं। इस साल रमजान …
Read More »पाकिस्तान क्यों बन रहा है शिया शिकारगाह ?
फैज़ान मुसन्ना ‘ मदारपुरी ‘ पाकिस्तान के बलूचिस्तान के क्वेटा में 12 अप्रेल को प्रमुख शिया कबीले हज़ारा बहुल इलाक़े में हुए बम धमाके में इस बिरादरी के 16 लोगो के मरे जाने की खबर आयी है। पाकिस्तान से ऐसी खबरों का आना कोई नयी या अनोखी बात नहीं है …
Read More »अब तक 56…
शबाहत हुसैन विजेता 56 भोग, 56 इंच की छाती, अब तक 56 और अब 56 गालियाँ। यह वक्त के बदलाव का ग्राफ है। इस ग्राफ को ध्यान से देखें तो आज़ाद हिन्दुस्तान में बदलते दौर की तस्वीर बहुत साफ़ दिखाई देती है। इस तस्वीर में गुज़रे हुए ज़माने के …
Read More »राष्ट्रहित की कीमत पर अस्वीकार होना चाहिये अल्पसंख्यक संरक्षण
डा. रवीन्द्र अरजरिया विकृतियों का बाहुल्य होते ही बीमारियां पैदा होने लगतीं हैं। समय रहते इनका उपचार करना नितांत आवश्यक होता है अन्यथा यही साधारण सी बीमारी समय के साथ असाध्य रूप लेने लगती है। इन विकृतियों का प्रादुर्भाव आखिर होता कहां से है, क्यों होता है और कहां तक …
Read More »उन्माद की राजनीति का भविष्य
के पी सिंह लोकतंत्र में लोक यानी आम आदमी के हितों की पूरी सुरक्षा की जाती है, यह धारणा तो यूटोपिया की तरह है लेकिन यह एक प्रबंधन है जिससे किसी राष्ट्र राज्य की स्थिरता सुनिश्चित हो जाती है। शासन के खिलाफ भड़ास निकालने के अवसर की व्यवस्था लोकतंत्र का …
Read More »बनारसी अड़ी : पहलवान के लौंडे मजबूर हैं!
अभिषेक श्रीवास्तव यह टुकड़ा लिखते समय मैं दो पत्रकार साथियों के संग रोहनिया की तरफ जा रहा हूं। हमारे सारथी जब शहर से निकले तो उन्हें रोहनिया का रास्ता पता नहीं था। उन्होंने फोन लगाया और बहुत धीमे स्वर में किसी से पता पूछा। उसने बताया दाएं मुड़ो, भाई ने …
Read More »खुल गए कितने राज़, भला हो चुनाव प्रचार का
रतन मणि लाल आज से दो महीने पहले शुरू हुआ आम चुनाव का चक्र अब अपने अंतिम दौर में है। चुनाव आयोग ने जब 10 मार्च को मतदान की तिथियाँ और परिणाम की तिथि की घोषणा की थी, तब यह अंदाज़ तो लग गया था कि इस बार चुनावी प्रचार …
Read More »