Monday - 22 January 2024 - 4:33 PM

ओपिनियन

राज्‍यपाल की जल्दबाजी की चर्चा क्‍यों न की जाए

सुरेंद्र दुबे राज्‍यपाल का पद एक संवैधानिक पद होता है। ऐसा हमारा संविधान कहता है और ऐसा ही हमें नागरिक शास्‍त्र में पढ़ाया गया था। पर अब लिखा पढ़ा कुछ काम नहीं आ रहा है। लगता है नागरिक शास्‍त्र के पाठ्यक्रम में राज्‍यपाल के पद को नए सिरे से परिभाषित …

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सिध्दांतों की दुहाई पर जनाधार बटोरने वाले दलों की स्वार्थपरिता से लेना होगी सीख

डा. रवीन्द्र अरजरिया राजनैतिक मापदण्डों का सीधा प्रभाव सामाजिक व्यवस्था पर पडता है। नेतृत्व करने वालों की सोच के अनुरूप ही प्रबंधन शुरू हो जाता है। सत्ताधारी व्यक्ति या दल के सिध्दान्तों ही सर्वोपरि होते हैं। तंत्र का रुख अपने आप मुखिया के इशारे पर मुड जाता है। अतीत में …

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महाराष्ट्र में महा आश्चर्य

रतन मणि लाल राजनीति में कब क्या हो जाए, यह सब जानते है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने वाले विश्लेषक काफी हद तक सटीक विश्लेषण कर ले जाते हैं। और उनकी राजनीतिक भविष्यवाणी सच हो जाती हैं। फिर मीडिया जगत में ऐसे भी दिग्गजों की …

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ईडी का डंडा-महाराष्‍ट्र का फंडा

सुरेंद्र दुबे आजकल राजनीति में राजनैतिक समीकरणों तथा नेताओं की तिकड़मबाजी से ज्‍यादा महत्‍व सीबीआई और ईडी का हो गया है। बड़े-बड़े नेता कहीं न कहीं भ्रष्‍टाचार के आरोपों में फंसे हुए हैं। इसलिए भाजपा सबसे ज्‍यादा इसी हथियार का इस्‍तेमाल करने लगी है। मैंने 20 नवंबर को ही अपने …

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महाराष्ट्र में सुबह सुबह की सनसनी

राजीव ओझा सुबह के सभी राष्ट्रीय अखबार महाराष्ट्र में शनिवार को शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस की सरकार बना रहे थे। टीवी चैनल भी वीकेन्ड के  मूड में थे। तभी डिजिटल मीडिया ने धमाका किया। देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे और उनके डिप्टी सीएम अजित पवार …

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महाराष्ट्र में जो हुआ, अच्छा हुआ

नवेद शिकोह महाराष्ट्र में सरकार बनाने की रस्साकशी में दो एक से दोस्ती हार गयी और सियासी बेवफाई जीत गई। यानी दो दोस्तों की जोड़ी टूटी और एक नई जोड़ी दोस्ती का रिश्ता क़ायम हो गया। लेकिन जो भी हुआ अच्छा हुआ। सबके लिए अच्छा हुआ। लोकतंत्र के लिए भी …

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सत्ता के दरवाजे कब तक खड़ी रहेगी बारात !

राजीव ओझा महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस पर सहमती जब बनेगी तब बनेगी, फिलहाल आओ महाराष्ट्र महाराष्ट्र खेलें। जनता अब क्या करेगी? जब करेगी तब करेगी, अभी तो सामने सत्ता की मलाई है, आओ मिल-बांट कर ले लें। मुख्यमंत्री जो होगा सो होगा, पहले मिनिमम कॉमन प्रोग्राम में अपना …

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पहचानो, देशद्रोही तो सामने है

शबाहत हुसैन विजेता राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (nacc) ने जुलाई 2012 में जेएनयू को देश का सबसे अच्छा विश्विद्यालय माना था। सिर्फ 7 साल में यह देशद्रोहियों का विश्वविद्यालय बन गया। Nacc से भी ज़्यादा काबिल लोगों ने इस विश्वविद्यालय को बंद कराने की सिफारिशें शुरू कर दी हैं। …

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हिंदू नेता साध्‍वी प्रज्ञा का कद अचानक बढ़ा

सुरेंद्र दुबे मालेगांव ब्‍लास्‍ट की आरोपी साध्‍वी प्रज्ञा को केंद्र सरकार की रक्षा मंत्रालय की कमेटी का सदस्य मनोनीत कर भाजपा ने साबित कर दिया है कि प्रखर हिंदूवाद की छवि के नाम पर देश में राजनीति करना उनके एजेंडे में सबसे ऊपर है। अगर ऐसा नहीं होता तो जो …

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संस्कृत को खतरा फिरोज खान से नहीं “पाखंडियों” से

राजीव ओझा बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में संस्कृत विभाग में एक मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर बेवजह का विवाद खड़ा हो गया है। यहाँ हिन्दू आचरण की बात करने वालों की आँखों पर अज्ञानता की पट्टी बंधी है। नियुक्ति को लेकर गतिरोध जारी है और बीएचयू प्रशासन ने …

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