Thursday - 11 January 2024 - 8:41 AM

‘आसमां पे है खुदा और जमीं पे हम’

सुरेन्द्र दुबे

चलिए आज की बात साहिर लुधियानवी के एक गीत से शुरु करते हैं, जिसे सुर दिया था खय्याम हाशमी ने, जिन्हें संगीत जगत सिर्फ खय्याम के नाम से जानता है। ये गीत आज की परिस्थितियों पर हर तरह से मौजू है। इसलिए सोचा कि चलो दीन दुनिया की बात करते-करते बहुत ही उम्दा संगीतकार खय्याम साहब को श्रद्धांजलि भी दे दें और इस बात पर चर्चा भी कर लें कि जो दुनिया आज हमारे बीच है वह यूं ही नहीं आ गई उसकी यह यात्रा लंबे समय से चली आ रही है। वर्ष 1958 में स्व. राजकूपर की फिल्म ‘फिर सुबह होगी’ ने बहुत धमाल मचाया था। देखिए तब भी वैसी ही जिदंगी थी जैसी जिंदगी जीने को आज हम मजबूर हैं।

साहिर लुधियानवी द्वारा इस फिल्म के लिए लिखे गए गीत के कुछ अंश मुलाहिजा फरमाइये-

आसमां पे है खुदा और जमीं पे हम , आजकल वो इस तरफ देखता है कम
आजकल किसी को वो टोकता नहीं, चाहे कुछ भी कीजिए रोकता नहीं
हो रही है लूटमार फट रहे हैं बम, आसमां पे है खुदा और जमीं पे हम
आजकल वो इस तरफ देखता है कम, आसमां पे है खुदा और जमीं पे हम

साहिर लुधियानवी की ये पक्तियां ये बताती हैं कि वर्ष 1958 में भी दुनिया वैसी ही थी जैसी आज है। आसमां पर खुदा विराजमान है और हम जमीं पर खुराफात करते चले जा रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे वह खुदा भी बेवश सा है। उसे मालूम है कि ये दो टके का इंसान उसकी भी नहीं सुनेगा। इसलिए किसी को कुछ भी करने से रोकता नहीं। इसलिए जिसकी मर्जी में जो आ रहा है वो कर रहा है। हर तरफ लूटमार चल रही है और बम फट रहे हैं। कब कहां क्या हो जाए कुछ पता नहीं। बस दो ही चीजे शास्वत हैं। एक-आसमान पर खुदा है और जमीं पर हम।

आज जिस दुनिया में हम रह रहे हैं वहां हमने प्यार मोहब्बत छोड़ लूटमार, दंगा-फसाद, भ्रष्टाचार, पद लोलुप्ता जैसे तमाम अवगुण आत्मसात कर लिए हैं, जिससे खुदा भी बेवश हो गया है और 21वीं सदी के मानव को दंगा-फसाद, बमबाजी, खूनखराबा व हर कीमत पर सफलता हासिल करता देख मौन हो गया है। उसे मालूम है कि यह आदमी जिसे इसने स्वयं बनाया है उसकी भी नहीं सुनेगा। इसलिए टोकाटाकी से क्या फायदा। बस ऊपर बैठकर टुकुर-टुकुर देख रहा है।

खय्याम साहब के संगीत को सिर्फ एक लफ्ज में समझना हो तो कह सकते हैं एक एहसास भरा सुकून। वैसे जिस गीत का मैंने ऊपर जिक्र किया उसे लिखा तो साहिर लुधियानवी साहब ने था और उसे जीवंत बनाया खय्याम साहब ने। मेरा मानना है कि गीत अमर तभी होते हैं जब खय्याम साहब जैसा कोई संगीतकार उसमें अपनी आत्मा उड़ेल देता है। इसलिए यहां मैं कुछ ऐसे अन्य लाजवाब गीतों का भी उल्लेख करूंगा जिन्हें खय्याम साहब ने अपने संगीत से अमरता प्रदान की।

ये देखिए, वर्ष 1966 में आखिरी खत फिल्म का कैफी आजमी द्वारा लिखित एक गीत जो खय्याम साहब के संगीत के आगोश में आकर आज भी लोगों के लबों पर गुनगुना रहा है। ये उनके संगीत का जादू ही रहा होगा जिसने नजारों, बहारों, कजरा व गजरा को लचकती डालियों से घुमाते हुए फिल्म की नायिका के जीवन में प्रकृति के श्रृंगार को उतार दिया।

बहारों मेरा जीवन भी संवारों, बहारों
कोई आए कहीं से, यूं पुकारो, बहारों …
तुम्हीं से दिल ने सीखा है तड़पना
तुम्हीं को दोष दूंगी, ऐ नजारों, बहारों …
सजाओ कोई कजरा, लाओ गजरा
लचकती डालियों तुम, फूल वारो, बहारों …

उमराव जान को तो आप जानते ही होंगे। इस फिल्म का याद आते ही अपनी जमाने के मशहूर अदाकारा रेखा का चित्र जेहन में उभर आता है। वर्ष 1981 में आई इस फिल्म के इस गाने ने उस जमाने में धूम मचा दी थी। कारण था शहरयार के इस गीत को खय्याम ने कुछ ऐसा नचाया कि आज भी उस गाने को याद कर पुराने जमाने के लोग मुजरे की महफिल में खो जाते हैं।

 

इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं
इन आंखों से वाबस्ता अफसाने हजारों हैं
इक तुम ही नहीं तन्हा, उलफत में मेरी रुसवा
इस शहर में तुम जैसे दीवाने हजारों हैं
इक सिर्फ हम ही मय को आंखों से पिलाते हैं
कहने को तो दुनिया में मयखाने हजारों हैं
इन आंखों…

खय्याम साहब ने जिस भी गीत को संगीत दिया वह अमर हो गया। चाहे शगुन फिल्म तुम अपना रंजो गम…, बात करें या कभी-कभी फिल्म मैं पल दो पल का शायर हूं…, आज भी लोगों की जुबा पर गुनगुना रहे हैं। समुद्र को लफ्जों में नहीं समेटा जा सकता। उनकी याद में थोड़ा-बहुत जो याद आया उसे बताकर खय्याम साहब को याद कर लिया, ताकि नई पीढ़ी याद रखे कि खय्याम साहब का खुमार कुछ अलग ही था, आसानी से उतरेगा नहीं।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

ये भी पढ़े: ये तकिया बड़े काम की चीज है 

ये भी पढ़े: अब चीन की भी मध्यस्थ बनने के लिए लार टपकी

ये भी पढ़े: कर्नाटक में स्‍पीकर के मास्‍टर स्‍ट्रोक से भाजपा सकते में

ये भी पढ़े: बच्चे बुजुर्गों की लाठी कब बनेंगे!

ये भी पढ़े: ये तो सीधे-सीधे मोदी पर तंज है

ये भी पढ़े: राज्‍यपाल बनने का रास्‍ता भी यूपी से होकर गुजरता है

ये भी पढ़े: जिन्हें सुनना था, उन्होंने तो सुना ही नहीं मोदी का भाषण

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com