Wednesday - 10 January 2024 - 7:13 PM

और 15000 किसानों ने घेर लिया अम्बानी का मुख्यालय

जुबिली न्यूज डेस्क

दिल्ली बार्डर पर पिछले 26 नवंबर से देशभर के किसान तीन नये कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर डटे हुए हैं। किसानों के इस आंदोलन में देशभर के किसानों का समर्थन मिल रहा है। देश के हर राज्यों से किसानों का दिल्ली आना लगा हुआ है।

इस आंदोलन के बीच मुंबई में मंगलवार को बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में अंबानी व अडानी के मुख्यालय पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति(AIKSCC) के किसानों ने भारी विरोध किया। करीब 15,000 से ज्यादा किसानों ने अंबानी का मुख्यालय घेर लिया।

इस मौके पर महाराष्ट्र व पंजाब के नेताओं ने संबोधित किया। AIKSCC  के नेताओं ने कहा है कि सरकार ने कानून की धारावार आलोचना प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया, फिर खुद इनमें से 8 सवाल चुन लिए और कह रही है कि इन्हें हल करने को तैयार है।

AIKSCC ने कहा कि कृषि मंत्री तोमर लोगों की आंख में धूल झोंंक रहे हैं। समिति ने भाजपा शासित हरियाणा, यूपी में गिरफ्तारी व दमन की निन्दा की है।

AIKSCC के वर्किंग ग्रुप ने कहा है कि कृषि मंत्री का पत्र दिखाता है कि सरकार किसानों की 3 नये खेती के कानून रद्द करने की मांग को हल नहीं करना चाहती। इनमें समस्या कानून के उद्देश्य में ही लिखी है, जो कहते हैं कि कारपोरेट को अब कृषि उत्पाद में व्यापार करने का, किसानों को ठेकों में बांधने का और आवश्यक वस्तु के आवरण से मुक्त खाने के सामग्री को स्टॉक कर कालाबाजारी करने की छूट होगी, का कानूनी अधिकार देते हैं। यह भी लिखा है कि इन सभी कारपोरेट पक्षधर व किसान विरोधी पहलुओं को सरकार बढ़ावा देगी।

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AIKSCC ने कहा है कि विश्व भर में कारपोरेट छोटे मालिक किसानों की खेती की जमीनें छीन रहे हैं और जल स्रोतों पर कब्जा कर रहे हैं ताकि वे इससे ऊर्जा क्षेत्र, रीयल स्टेट और व्यवसायों को बढ़ावा दे सकें। इसकी वजह से किसान विदेशी कम्पनियों और उनकी सेवा करने वाली सरकारों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। भारत में चल रहे वर्तमान आन्दोलन को इसी वजह से दुनिया भर में समर्थन मिला है और 82 देशों में लोगों ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किये हैं।

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AIKSCC ने किसानों की मांग के खिलाफ प्रधानमंत्री के तानाशाहपूर्ण भाषा की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुधारों के अमल से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। देश के लोगों को ये बात साफ होनी चाहिए कि ये सुधार वे हैं जो कारपोरेट व विदेशी कम्पनियों का मुनाफा बढ़ाएंगे और किसानों को बरबाद कर देंगे।

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