Thursday - 11 January 2024 - 7:29 PM

शिवकुमार के बाद क्‍या कमलनाथ का नंबर है!

सुरेंद्र दुबे

कर्नाटक के महत्‍वपूर्ण कांग्रेसी नेता डीके शिवकुमार को आखिर प्रवर्तन निदेशायल ने गिरफ्तार कर लिया। ये कोई खबर नहीं है। खबर की खबर ये है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत प्राप्‍त करने के बाद ढूंढ-ढूंढ कर शक्तिशाली व संकट मोचक कांग्रेसी नेताओं को जेल पहुंचाने का मन बना लिया है। ताकि कांग्रेस भविष्‍य में भी भाजपा के लिए चुनौती न बन सके। जाहिर है कि जब देश को कांग्रेस मुक्‍त बनाना है तो इतना उन्‍मुक्‍त होकर तो कार्रवाई करनी ही पड़ेगी।

एक जमाना था जब राजनैतिक पार्टियां विरोधियों के साथ अच्‍छे संबंध बनाए रखने को प्राथमिकता देती थी। ताकि समाज में बदले की राजनीति किए जाने का संदेश न जाए। नेता अपने विरोधी को बड़े करीने से निपटाता था। परंतु इस बात का ध्‍यान रखता था कि विरोधी को राजनीति के मैदान में ही उठाकर पटका जाए। न कि जेल भेजकर अपनी पीठ थप-थपाई जाए।

मुझे अच्‍छी तरह याद है कि बदले की राजनीति का यह खुला खेल तमिलनाडु से शुरू हुआ था, जहां द्रमुक नेता करूणानिधि और अन्‍नाद्रमुक नेता जयललिता सत्‍ता की अपनी-अपनी पारी में एक-दूसरे को जेल में भिजवाने का हुनर खुलेआम दिखाते थे, जिसको लेकर दोनों ही नेताओं की पूरे देश में कटु आलोचना होती थी। पर अब दौर बदल गया है। बदले की राजनीति को भी राजनैतिक कौशल के रूप में परिभाषित किया जाने लगा है।

आइए फिर कर्नाटक वापस लौटते हैं। आप लोगों को याद होगा कि जब कर्नाटक में 2018 में कांग्रेस और जनता दल (एस) की मिली-जुली सरकार बनी थी तो उसमें कांग्रेसी नेता डीके शिवकुमार की बहुत बड़ी भूमिका थी। जो राजनैतिक बल के साथ ही धन बल के भी बड़े शक्तिशाली नेता हैं। हाल ही में भाजपा कांग्रेस-जेडीएस सरकार को दलबदलुओं के बल पर गिराने और अपनी सरकार बनाने में सफल रही। इस समय भी कांग्रेस की ओर से संकट मोचक डीके शिवकुमार ही बने हुए थे। ये बात अलग है कि इस बार वह  अपने प्रयासों में असफल रहे।

भारतीय जनता पार्टी को ये लगा कि अगर कर्नाटक में निर्बाध रूप से भाजपा की सरकार चलानी है तो शिवकुमार जैसे संकट मोचक को राजनैतिक परिदृश्‍य से हटाना जरूरी है। ऐसी खबरें हैं कि पहले उन्‍हें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के लिए पटाने की कोशिश की गई। नहीं माने तो प्रवर्तन निदेशालय के जरिए उन्‍हें जेल भिजवा दिया।

प्रवर्तन निदेशालय जैसी संस्‍थाएं अपने आकाओं की आकांक्षाओं को बखूबी समझती हैं। वर्षों केस लटकाए रहती हैं और सत्‍ताधारी दल का इशारा मिलते ही अचानक बाज की तरह नेता पर झपट्टा मार देती हैं। ये सब इतना पारदर्शी ढंग से हो रहा है कि जनता को सबकुछ आसानी से समझ आ जाता है।

सत्‍ताधारी दल इससे चिंतित नहीं होता है क्‍योंकि जहां सत्‍ता पर कब्‍जा बरकरार रखना ही उद्देश्‍य हो वहां नीति या अनीति के बातों का कोई मतलब नहीं रह जाता। न्‍यू इंडिया में कुछ तो अलग होना ही चाहिए।

राजनैतिक हल्‍कों में बड़ी चर्चा है कि शिवकुमार के बाद अब किस कांग्रेस नेता का नंबर है। सुनते हैं कि मध्‍यप्रदेश भाजपा की आंखों में खटक रहा है। वहां के मुख्‍यमंत्री कमलनाथ मुख्‍यमंत्री बनने के समय से ही भाजपा के निशाने पर हैं। विधायकों को तोड़ने फोड़ने का कोई फॉर्मूला काम नहीं कर पा रहा है। उल्‍टे कमलनाथ ने कुछ और विधायक जुटा लिए हैं। पर इससे क्‍या होता है।

आखिर सीबीआई और ईडी भी कोई चीज है। दोनों संवैधानिक संस्‍थाएं हैं। समझा जाता है कि दोनों संस्‍थाओं का मुख्‍य संवैधानिक दायित्‍व सत्‍ता पक्ष के अनुकूल रहना ही है। इसलिए कमलनाथ के भांजे पहले ही जेल की हवा खा रहे हैं। अब कमलनाथ को भी लपेटे में लेने के तिकड़म चल रहे हैं।

ऐसा लगता है कि कांग्रेस के सारे संकट मोचक धीरे-धीरे सत्‍ता पक्ष के निशाने पर आते जा रहे हैं। इन सब पर किसी न किसी तरह के आरोप हैं जो सीबीआई व ईडी के काम आते हैं।

पर सवाल ये है कि शारदा चिट फंड घोटाला के आरोपी पूर्व टीएमसी सांसद मुकुल रॉय जो अब भाजपा के सांसद हैं और असम सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाईयां अचानक कैसे रूक जाती है। ये दो नेता बानगी भर हैं। वरना ऐसे भाजपा माफ नेताओं की लंबी फेहरिस्‍त है, जिनके भगवा नदी में डुबकी लगाते ही सीबीआई और ईडी की घिगघी बंध गई है। इसलिए अनेक प्रकार के सवाल तो राजनीति के आसमान पर बादलों की तरह मंडरा ही रहे हैं।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

ये भी पढ़े: ये तकिया बड़े काम की चीज है 

ये भी पढ़े: अब चीन की भी मध्यस्थ बनने के लिए लार टपकी

ये भी पढ़े: कर्नाटक में स्‍पीकर के मास्‍टर स्‍ट्रोक से भाजपा सकते में

ये भी पढ़े: बच्चे बुजुर्गों की लाठी कब बनेंगे!

ये भी पढ़े: ये तो सीधे-सीधे मोदी पर तंज है

ये भी पढ़े: राज्‍यपाल बनने का रास्‍ता भी यूपी से होकर गुजरता है

ये भी पढ़े: जिन्हें सुनना था, उन्होंने तो सुना ही नहीं मोदी का भाषण

ये भी पढ़े: भाजपाई गडकरी का फलसफाना अंदाज

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com