Sunday - 14 January 2024 - 3:12 PM

उच्च शिक्षा का बुरा हाल, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पड़े हैं 4,000 आरक्षित पद

जुबिली न्यूज डेस्क

दिल्ली: भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों की बदहाली पर चर्चाएँ तो बहुत हो रही हैं , मगर खुद केंद्र सरकार के एक बयान ने इसके कारणों का खुलासा कर दिया है.  सरकार के इस बयान  से विपक्षी पार्टियों के उन आरोपों को भी बल मिल रहा जिसमे सरकारी नौकरियों में आरक्षण को उपेक्षित करने के आरोप लगते रहे हैं.

संसद में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया है  कि देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और विकलांगों के लिए लगभग 4,000 पद खाली हैं. ऐसे 1,400 से अधिक उम्मीदवारों की भर्ती एक वर्ष में पहले ही की जा चुकी है.

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य धर्मेंद्र कश्यप द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए ये जानकारी दी. शिक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि समग्र आंकड़ों में 549 आरक्षित पद खाली हैं, क्योंकि विश्वविद्यालयों ने ‘पिछले पांच वर्षों के दौरान किसी को भी उपयुक्त नहीं पाया’ घोषित किया है. पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने खाली आरक्षित पदों के लिए यह कारण बताया है, जिनमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय शामिल हैं.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में सबसे अधिक पद खाली 

संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में शिक्षकों के सबसे अधिक खाली पद हैं. सभी श्रेणियों में 576 खाली पदों में से दलितों के लिए 108, आदिवासी उम्मीदवारों के लिए 81, ओबीसी के लिए 311, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 53 और 23 पीडब्ल्यूडी के लिए हैं. इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में 526 आरक्षित श्रेणी के पद खाली हैं. इसमें एससी के लिए 123, एसटी के लिए 61, ओबीसी के लिए 212, ईडब्ल्यूएस के लिए 86 और पीडब्ल्यूडी के लिए 44 सीटें हैं.

डीयू और बीएचयू में क्रमश: 299 और 228 एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर आरक्षित श्रेणियों के लिए सबसे अधिक रिक्तियां हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में प्रत्येक में 200 से अधिक रिक्तियां हैं.

मालूम हो कि बीते फरवरी महीने में सरकार ने बताया था कि देश भर के केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 58,000 से ज्यादा पद खाली हैं. सरकार के अनुसार, केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के 12,099 तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 1,312 पद खाली हैं. इसी तरह जवाहर नवोदय विद्यालयों में शिक्षकों के 3,271 तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 1,756 पद खाली हैं.

ये भी पढ़ें-न्‍यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन फायनेंसिंग में निभा सकता है भारत महत्‍वपूर्ण भूमिका: विशेषज्ञ

उच्च शिक्षण संस्थानों में सर्वाधिक पद खाली

उच्च शिक्षण संस्थानों में सर्वाधिक खाली पद केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हैं, जहां शिक्षकों के 6,180 तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 15,798 पद अभी भरे जाने हैं. लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में शिक्षकों के 4,425 और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 5,052 पद, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा भारतीय आभियांत्रिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में शिक्षकों के 2,089 तथा गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 3,773 पद खाली हैं. इसी तरह भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में रिक्त शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की संख्या 353 और 625 है. भारतीय प्रबंधन संस्थानों में 1,050 टीचिंग और गैर-शैक्षणिक पद खाली हैं.

ये भी पढ़ें-ऑडी खरीदने पर ट्रोल हुईं 13 साल की रीवा अरोड़ा, जानें क्यों एक्ट्रेस से चिढ़ गए लोग!

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com