जुबिली न्यूज डेस्क
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 34 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान कानून वापसी की मांग पर डटे हुए हैं। किसान और सरकार के बीच में आज एक बार फिर बातचीत होगी। आज यानी बुधवार को केंद्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच ठहरी हुई सातवें दौर की बातचीत होगी।
हालांकि, सरकार से बुधवार को होने वाली ताजा बातचीत से पहले किसानों ने एक और मांग रख दी है। अब किसानों का कहना है कि सरकार बिजली सुधार बिल को भी वापस ले जबकि पहले किसान संगठन इस बिल में जरूरी बदलावों पर सहमत थे। अभी तक बिजली सुधार बिल बहुत बड़ा मुद्दा नहीं था क्योंकि केंद्र सरकार इसमें बदलावों के लिए पूरी तरह तैयार थी, लेकिन अब इस बिल को वापस लेने की मांग गतिरोध खत्म करने की प्रक्रिया को मुश्किल बना सकती है।
मंगलवार को यह बताया गया है कि 40 किसान संगठनों की ओर से सरकार से सातवें दौर की वार्ता के न्यौते को स्वीकार करने लिए लिखी गई चिट्ठी में बिजली बिल को लेकर उनका रुख एक ‘गलती’ की वजह से था।
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किसानों की इस नई मांग से कृषि मंत्रालय के अधिकारी हैरान हैं। उनका मानना है कि इससे गतिरोध का समाधान ढूंढना और मुश्किल हो जाएगा। अगर आज की वार्ता से गतिरोध खत्म करने में कोई मदद नहीं मिलती तो केंद्र सरकार और किसान संगठन अब स्थिति को जस का तस छोड़ने की तैयारी में हैं।

इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अमित शाह से मुलाकात कर उन्हें बातचीत की रणनीति से अवगत कराया। अभी तक किसान संगठनों और सरकार के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है। इसमें 8 दिसंबर को हुई वह वार्ता भी शामिल है, जिसमें खुद गृह मंत्री अमित शाह भी थे।
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बता दें कि केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को चिट्ठी लिख बातचीत बहाल करने का न्यौता दिया था। कृषि मंत्रालय की ओर से लिखी इस चिट्ठी में कहा गया था कि सरकार किसानों के हर मुद्दे का तार्किक समाधान खोजने को प्रतिबद्ध है। इसके जवाब में मंगलवार को किसानों ने लिखा कि यह बातचीत उनके द्वारा सुझाई 4 मांगों पर आधारित होनी चाहिए।
इन चार एजेंडों में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करनना, अधिक से अधिक एमएसपी दिए जाने की कानून गारंटी, पराली जलाने के मामलों में जुर्माना दिए जाने के दायरे से किसानों को बाहर रखना और चौथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए बिजली सुधार बिल को वापस लेना शामिल है।
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