Sunday - 14 January 2024 - 9:56 PM

धार्मिक स्थल पर क्यों हो रहा है सैनिटाइजर का विरोध

जुबिली स्पेशल डेस्क

कोरोना वायरस अब पहले से ज्यादा खतरनाक हो गया है। कोरोना को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन लगाया गया है लेकिन इसका असर कोई खास होता नजर नहीं आ रहा है। भारत में 2,56611 लोग कोरोना की चपेट में है जबकि 7,135 लोगों की इस वायरस से जान भी जा चुकी है।

सरकार ने लॉकडाउन-5 लगाया है लेकिन इस लॉकडाउन में कई तरह की छुट भी दे रखी है। हालांकि इस दौरान कोरोना के मामले एकाएक बढ़ गए है। कोरोना का कहर एक मई के बाद से ज्यादा बढ़ गया है जबकि 8 जून से कई राज्यों में धार्मिक स्थल खोलने की तैयारी है। हालांकि कुछ शर्तों के साथ धार्मिक स्थल को खोला जाएगा।

सरकार ने इसके लिए गाइडलाइन भी जारी कर दिया है लेकिन गाइडलाइन में मंदिर-मस्जिद के प्रमुख द्वार पर सैनिटाइजर मशीन होनी चाहिए। मंदिर-मस्जिद में प्रवेश से पहले लोग हाथ सैनिटाइज कर ही अंदर प्रवेश करेंगें लेकिन सैनिटाइज करने को लेकर अब विरोध भी सामने आ रहा है।

धर्म स्थलों में प्रवेश से पहले सैनिटाइजर के इस्तेमाल को लेकर लोगों में हिचकिचाहट साफ देखी जा सकती है। दरअसल सैनिटाइजर में अल्कोहल होने की वजह से इसका विरोध किया जा रहा है। देश के कई राज्यों में इसका विरोध देखने को मिल रहा है।

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मनकामेश्वर मठ की महंत देव्या गिरि की इस पर एक अलग राय है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सैनिटाइजर का प्रयोग से कोरोना से इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहां तक जायज है या नहीं लेकिन इसपर ज्यादा पडऩे की जरूरत नहीं है। अभी केवल कोरोना को कम करना जरूरी है। इसलिए धार्मिक स्थलों पर मजबूरी में सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना होगा। हालांकि जहां भी पानी और साबुन की व्यवस्था हो तो उसका ही प्रयोग करे तो बेहतर है।

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भोपाल के एक मंदिर के पुजारी चंद्रशेखर तिवारी ने इसका कड़ा विरोध किया है और कहा है कि हम शराब पीकर जब मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं तो अल्कोहल से हाथ सैनिटाइज करके कैसे घुस सकते हैं। आप हाथ धोने की मशीन सभी मंदिरों के बाहर लगाइए,वहां पर साबुन रखिए उसको हम स्वीकार करते हैं वैसे भी मंदिर में तो व्यक्ति घर से नहा कर ही प्रवेश करता है।

सैनिटाइजर में 70 प्रतिशत अल्कोहल होता है, इस वजह से लोगों में थोड़ी हिचकिचाहट है।

उधर लखनऊ में मौलाना यासूब अब्बास ने इस मामले पर जुबिली पोस्ट से कहा कि लोग अगर मस्जिदों में अगर हाथ धोकर जाये तो बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि सैनिटाइजर में अल्कोहल होता है और इस्लाम में अल्कोहल पूरी तरह से हराम और नपाक होता है। अगर कोई अपना हाथ सैनिटाइजर करता है तो वो कोशिश करे कि किसी मस्जिद या इमामबड़ा को न छूए। उन्होंने आगे कहा कि अल्कोहल से हाथ धोने के बाद इबादत की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसलिए हम साबुन से हाथ धोने की व्यवस्था हो तो बेहतर होगा। क्योंकि अल्कोहल का प्रयोग धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। अगर साबुन और अन्य विकल्प मौजूद हैं तो पहले उनको अपनाया सही रहेगा।

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दूसरी ओर मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि इस्लामिक दृष्टि से पानी से धोना जायज बताया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की गाइडलाइन का कोई खास फायदा नहीं है। सैफ अब्बास के मुताबिक मस्जिदों में पांच आदमी की इंट्री है। ऐसे में जमात नहीं हो सकती है। इतना ही नहीं हर जगह थर्मल स्क्रीनिंग होना भी संभव नहीं है। जहां तक सैनिटाइजर की बात है तो यह भ संभव नहीं है क्योंकि इस्लाम में पानी का इस्तेमाल करना जायज बताया गया है।

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