पॉलिटिकल डेस्क
लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। यूपी की सियासत में लगातार घमासान देखने को मिल रहा है। बीजेपी को हराने के लिए अखिलेश यादव ने मायावती के साथ गठबंधन कर लिया है। ऐसे में चुनाव के करीब आते ही अखिलेश ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है लेकिन इसी क्रम में कई मौके पर उन्होंने सूबे के राज्यपाल राम नाईक पर चुटकी भी ली है।
अखिलेश ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा था कि भाजपा के प्रचारक राज्यपाल व सरकारी एजेंसिया कर रही है। इसको लेकर राज्यपाल ने अखिलेश को आड़े हाथों लिया है। राज्यपाल राम नाईक ने अखिलेश के उस ट्वीट पर कड़ा विरोध जताते हुए अखिलेश को पत्र लिखकर कुछ बातों का जिक्र किया है।
उन्होंने अखिलेश के ट्वीट को अत्यन्त गैर-जिम्मेदाराना बताया है। उन्होंने कहा कि राजनीति में राज्यपाल को अनावश्यक लाना संवैधानिक पदों का अनादर है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने 10 मार्च, 2019 को लोकसभा चुनाव की घोषणा की। चुनाव की घोषणा के बाद वह किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं गये है जबकि किसी तरह का राजनैतिक वक्तव्य भी नहीं दिया।
उन्होंने अखिलेश के उस बयान पर हमला बोला है जिसमें कहा गया था कि आज भी राज्यपाल लखनऊ में हुई किसी घटना को देखने गये थे। इस पर भी राज्यपाल ने कहा कि वह सोमवार को मैनपुरी के करीब हुई बस दुर्घटना में डॉ. ज्योति व उनकी छह वर्षीय पुत्री की दर्दनाक मौत पर उनके राजाजीपुरम् स्थित आवास पर शोक जताने गया था। डॉ. ज्योति राजभवन चिकित्सालय में तैनात डॉ. अनिल निर्वाण के भाई की पत्नी थी और संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में चिकित्सक थीं।
उनकी 6 वर्ष की पुत्री की भी उनके साथ जल कर मृत्यु हुई। ऐसे मौके पर अपने स्टाफ के दुःख-दर्द में पहुंचना मैं अपना दायित्व मानता हूँ। यह तो दुर्घटना की बात है, मैं तो खुशी के अवसर पर नेताजी सहित आप जैसे महानुभावों के जन्मदिवस पर बधाई देता हूँ और आवास पर भी जाता हूँ।