Wednesday - 10 January 2024 - 8:33 AM

कब छूटेंगे कश्मीर में हिरासत में लिए गए नेता?

न्यूज डेस्क

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी हुए तीन माह से अधिक समय हो गया है। सरकार ने 5 अगस्त को धारा 370 निष्प्रभावी किया था। गृहमंत्रालय का कहना है कि वहां जनजीवन सामान्य हो रहा है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत हिरासत में लिए गए नेताओं को कब रिहा किया जाएगा लेकिन इसके लिए अभी कोई समयसीमा तय नहीं की गई है।

15 नवंबर को गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने संसद की एक समिति को यह जानकारी दी। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसद की स्थायी समिति को केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार और अन्य अधिकारियों ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हालात से अवगत कराया।

समिति के कुछ सदस्यों ने सरकारी अधिकारियों से कहा कि उन्हें कश्मीर जाने दिया जाने दिया जाना चाहिए, लेकिन इस मांग को खारिज कर दिया गया।

गृहमंत्रालय के अधिकारियों से सांसदों ने हिरासत में लिए गए नेताओं, खासतौर पर तीन बार मुख्यमंत्री रहे फारुख अब्दुल्ला के बारे में सवाल किए। फारुख को 17 सितंबर को जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था।

इस पर गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि जिन्हें जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है वे इसे संबंधित अदालत में चुनौती दे सकते हैं और उसके आदेश से अंसतुष्ट होने पर उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। फारुख अब्दुल्ला एकमात्र नेता हैं जिन्हें कश्मीर में पीएसए कानून के तहत हिरासत में रखा गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सांसदों ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को लंबे समय तक हिरासत में रखने का विरोध किया। दोनों पांच अगस्त से हिरासत में हैं।

सूत्रों के मुताबिक गृह सचिव ने सांसदों को बताया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं, स्कूल खुल गए हैं और सेब का कारोबार हो रहा है।

जब सांसदों ने कश्मीर घाटी में पांच अगस्त से इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी का मुद्दा उठाया तो अधिकारियों ने बताया कि यह प्रतिबंध आतंकवादियों को विध्वंसक कार्रवाई को अंजाम देने से रोकने और असामाजिक तत्वों को अफवाह फैलाने से रोकने के लिए लगाया गया है।

उनका यह भी कहना था कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लैंडलाइन फोन सेवाएं और पोस्टपेड मोबाइल फोन सेवाएं बहाल कर दी गई हैं। घाटी में रात के प्रतिबंध को छोड़कर धारा 144 के तहत आवाजाही पर लगी रोक हटा ली गई है।

सांसदों के सामने दी गई प्रस्तुति के दौरान अधिकारियों ने भारत के नए राजनीतिक मानचित्र को भी प्रदर्शित किया। इसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में दिखाया गया है। साथ ही इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान को भी इन केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल किया गया है।

यह भी पढ़ें : स्वाति सिंह ने कराई योगी की फजीहत

यह भी पढ़ें : तो क्या झारखंड चुनाव परिणाम राजग की सेहत पर डालेगा असर

यह भी पढ़ें :  बजट के फेर में लखनऊ का विकास फंसा

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com