Sunday - 7 January 2024 - 8:40 AM

लिफ्ट का दरवाज़ा खुला तो देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के रीवा जिले में संजय गांधी अस्पताल में साल भर से खराब पड़ी लिफ्ट को ठीक करने के लिए खोला गया तो लिफ्टमैन से लेकर वहां मौजूद लोग मौके से भाग खड़े हुए. लिफ्ट के अन्दर का दृश्य इतना भयावाह था कि देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए.

रीवा में संजय गांधी अस्पताल की लिफ्ट पिछले एक साल से खराब पड़ी थी. साल गुज़र गया लेकिन अस्पताल प्रशासन को यह चिंता ही नहीं थी कि इसे भी ठीक कराना चाहिए. शनिवार को रीवा के डीएम ने संजय गांधी अस्पताल का निरीक्षण करने का सन्देश भेजा तो पूरे अस्पताल की झाड़-पोछ शुरू हो गई. अस्पताल के सभी कील कांटे दुरुस्त किये जाने लगे.

अस्पताल में जब सब कुछ चमकाया जा रहा था तब अस्पताल की लिफ्ट का भी ध्यान आया और उसे भी ठीक करा देने की सुधि आयी. लिफ्टमैन बुलाया गया. लिफ्ट के बाहर लगे मकड़ी के जालों को हटाया गया. सफाईकर्मी से लिफ्ट की बाहर से ठीक से सफाई कराई गई. इसके बाद लिफ्टमैन ने लिफ्ट का दरवाज़ा खोला. मगर यह क्या, दरवाज़ा खुलते ही उसकी चीख निकल गई. वह लिफ्ट छोड़कर भाग खड़ा हुआ. और भी जो लोग वहां जमा थे वह भी तितर-बितर हो गए.

दरअसल साल भर से बंद इस लिफ्ट के भीतर एक मानव कंकाल पड़ा हुआ था. अस्पताल की लिफ्ट में कंकाल की खबर जंगल में आग की तरह से पूरे अस्पताल परिसर में फैल गई. अस्पताल प्रशासन के साथ ही जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी सकते में आ गए.

संजय गांधी अस्पताल रीवा का सबसे बड़ा अस्पताल है. इतने बड़े अस्पताल की लिफ्ट में कंकाल के मिलने की खबर से लोग हैरत में पड़ गए. इस अस्पताल में यूं तो एक दर्जन लिफ्ट हैं मगर अस्पताल प्रशासन का प्रबंधन इसी बात से पता चलता है कि सिर्फ दो ही लिफ्ट काम करती हैं. बाकी की दस एक ज़माने से बंद पड़ी हैं. साल भर से बंद पड़ी लिफ्ट में किसकी मौत हुई और लाश कब कंकाल में बदल गई इसकी जानकारी भी किसी को नहीं हो पाई.

अस्पताल प्रशासन ने पूरी तरह से सूख चुके कंकाल को लिफ्ट से बाहर निकलवाया. यह कंकाल किसका है इसकी पहचान अब बहुत मुश्किल काम है क्योंकि कंकाल को देखकर यही पता लगा पाना मुश्किल है कि यह कंकाल किसी पुरुष का है या महिला का.

कंकाल किसका है. लिफ्ट में किसकी मौत हुई यह सवाल तो अब बहुत छोटे हो गए हैं. सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि साल भर पहले जब यह लिफ्ट खराब होने की खबर मिली थी तो अस्पताल प्रशासन ने फ़ौरन लिफ्टमैन बुलाकर उसे चेक क्यों नहीं करवाया था. यह अस्पताल प्रशासन की ज़िम्मेदारी थी कि अस्पताल की खराब हुई लिफ्ट में कहीं कोई मरीज़ तो नहीं फंस गया है. लापरवाही का यह आलम कि खराब होने के बाद लिफ्ट को साल भर तक खोलने की ज़रूरत भी महसूस नहीं हुई.

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सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि कहीं किसी की हत्या कर तो उसकी लाश खराब लिफ्ट में नहीं डाली गई थी. अगर लिफ्ट की खराबी की वजह से लिफ्ट में फंसा व्यक्ति दम घुट जाने से मर गया है तो भी अस्पताल प्रशासन पर ही इस मौत की ज़िम्मेदारी आती है. अस्पताल प्रबंधन कहने को तो यह कह रहा है कि हम पता लगाएंगे की मरने वाला कौन था लेकिन साल भर पुराने कंकाल से जिसमें यह तक पता नहीं लग रहा है कि मरने वाला पुरुष है कि औरत उसमें यह कैसे पता लगेगा कि लिफ्ट में किसकी मौत हुई थी.

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