Sunday - 14 January 2024 - 3:34 AM

निजी कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

  • निजी कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई रोक
  • 29 मार्च को गृह मंत्रालय की ओर से इस संबंध में सर्कुलर जारी किया था

न्यूज डेस्क

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने के केंद्र सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन समेत 41 कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

कोरोना महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार ने जब लॉकडाउन की घोषणा की थी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निजी संस्थानों से आग्रह किया था कि लॉकडाउन के दौरान न तो किसी कर्मचारी को नौकरी से निकाले और न ही सैलरी में कटौती करें। इसके बाबत गृह मंत्रालय की ओर से एक आदेश जारी कर मध्यम एवं लघु उद्योगों को भी कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने को कहा गया था।

यह भी पढ़ें :  चीन पर भड़के डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा

उच्चतम न्यायालय ने गृह मंत्रालय के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने गृह मंत्रालय से कहा है कि वह अपने नीतिगत निर्णय के बारे में बताए। इसके अलावा कोर्ट ने यह स्पष्टीकरण देने का भी आदेश दिया है कि आखिर बिना किसी कटौती के वेतन देने के उसके आदेश पर रोक क्यों नहीं लगाई जानी चाहिए।

जस्टिस एनवी रमाना की बेंच ने सरकार को नोटिस जारी किया और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।

उच्चतम न्यायालय ने लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन समेत कई कंपनियों की ओर से इस संबंध में दाखिल याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए यह बात कही।

यह भी पढ़ें :  मुनाफाखोरी : रैपिड टेस्ट किट में लिया गया 145% का फायदा

29 मार्च को गृह मंत्रालय की ओर से इस संबंध में सर्कुलर जारी किया गया था कि लॉकडाउन के दौरान भी प्राइवेट संस्थानों को कर्मचारियों को पूरी सैलरी देनी होगी। यही नहीं ऐसा न करने पर कंपनियों को कानूनी कार्रवाई किए जाने की चेतावनी भी दी गई है।

लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन समेत 41 कंपनियों ने यह कहते हुए याचिका दाखिल की थी कि सरकार ने इस सर्कुलर को जारी करते समय उनका ध्यान नहीं दिया।

इन कंपनियों ने कहा कि सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि इससे कंपनियों पर क्या असर होगा और क्या उनकी आर्थिक क्षमता इतनी है कि वे लॉकडाउन के दौरान भी पूरी सैलरी दे सकें।

कंपनियों ने यह भी कहा कि यदि ऐसा किया गया तो फिर कई यूनिट्स को बंद ही करना पड़ेगा। इससे स्थायी तौर पर लोग बेरोजगार हो जाएंगे और यह अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव डालेगा।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि पूरी सैलरी देने का आदेश असंवैधानिक और मनमाना है। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों को इससे छूट दी जानी चाहिए। किसी भी कॉन्ट्रैक्ट में सिर्फ एक पक्ष पर ही दबाव डालना उचित नहीं है।

लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन ने कहा कि यह आदेश प्राइवेट कंपनियों के कारोबार करने के अधिकार का उल्लंघन है, जो संविधान के आर्टिकल 19(1) (g) में दिया गया है।

यह भी पढ़ें : प्लाज्मा थेरपी और कोरोना का इलाज

यह भी पढ़ें : भूखों को खाना खिलाने के लिए मुजम्मिल जैसे कितने लोग अपनी जमीन बेंचते हैं?

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com