Sunday - 7 January 2024 - 1:07 PM

जेएनयू ने फीस बढ़ाने की क्या वजह बताई

न्यूज डेस्क

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विश्वविद्यालय के छात्र और सरकार आमने-सामने है। जहां छात्र पूरी तरह से फीस रोलबैक की मांग कर रहे हैं, वहीं जेएनयू ने 21 नवंबर को यह स्पष्ट कर दिया है कि वह फीस क्यों बढ़ाना चाहता है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में चल रहे हॉस्टल फीस और मैनुअल का विवाद बढ़ता जा रहा है। वहीं जेएनयू का फीस बढ़ाने को लेकर कहना है कि संस्थान 45 करोड़ के घाटे में है। उस पर ठेका श्रमिकों के वेतन, बिजली और पानी के बिलों का बोझ बढ़ गया है। इसे देखते हुए संस्थान ने फैसला लिया है कि छात्रों पर सर्विस चार्ज लगाना जरूरी है।

हालांकि संसदीय समिति के सामने पेश हुए शिक्षक संघ ने इसको गलत बताया है। संघ ने कहा कि पैसे की कमी फिजूलखर्ची के चलते हुई है।

इस मामले में जेएनयू ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, ‘हॉस्टल फीस में वृद्धि को लेकर गलत बातें फैलाने का अभियान चल रहा है। दावा किया जा रहा है कि इससे बड़ी संख्या में गरीब छात्र प्रभावित होंगे। असलियत यह है कि पहले सेवा शुल्क नहीं लिया जाता था। नुकसान को देखते हुए अब शुल्क लेने का फैसला लिया गया है। जेएनयू में अभी भी अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों से कम पैसे लिए जा रहे हैं। यहां छात्रों से विकास शुल्क नहीं लिया जाता। चार दशकों से एडमिशन फीस में भी वृद्धि नहीं की गई।’

वहीं जेएनयू शिक्षक संघ के 13 सदस्यों और तीन सदस्यीय समिति की 21 नवंबर को मंत्रालय में बैठक हुई। विश्वविद्यालय प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठाते हुए संघ ने बैठक में जेएनयू एक्ट के तहत काम न करने का आरोप लगाया है।

जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. डीके लोबियाल के मुताबिक, समिति के समक्ष तीन बिंदुओं पर फोकस किया गया। हॉस्टल मैनुअल को रोलबैक के बगैर किसी भी तरह कैंपस सामान्य नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि प्रशासन की फिजूलखर्ची के चलते विश्वविद्यालय में पैसे की कमी आई है।

यह भी पढ़ें : ‘2025 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सवाल ही नहीं है’

यह भी पढ़ें : 91 फीसदी से ज्यादा चुनावी बॉन्ड एक करोड़ रुपये के खरीदे गए

यह भी पढ़ें : कब तक चलेगी ‘3 तिगाड़े काम बिगाड़े’ वाली सरकार?

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com