Saturday - 6 January 2024 - 7:20 PM

योगी के 3 साल पर वरिष्ठ पत्रकारों की क्या है राय

स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जानता पार्टी (BJP) की योगी सरकार ने 18 मार्च को अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे कर लिये हैं। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ मुुुुख्‍यय

तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के मामले में बीजेपी के पहले सीएम भी बन गए हैं। बीजेपी ने अखिलेश सरकार के काम बोलता है के नारे को फेल करते हुए 312 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था।

सरकार के तीन साल पूरे होने से पहले बीजेपी योगी की शान में कसीदा पढऩे लगी है। हालांकि विपक्ष योगी सरकार को अपने रडार पर ले रहा है। कांग्रेस से लेकर सपा ने योगी की कड़ी आलोचना की है। माना जा रहा है कि बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलते हुए प्रियंका गांधी को यूपी में ज्यादा सक्रिया करने का फैसला किया है। इसी के तहत प्रियंका गांधी अब पहले से ज्यादा यूपी में नजर आ रही है।

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इतना ही नहीं हर मुद्दों पर योगी सरकार को अकेले चैलेंज करती नजर आई है। चाहे वो किसानों का मुद्दा हो या फिर आम नागरिकों की आवाज बुलंद करने को। दूसरी ओर सपा की साइकिल को दोबारा सड़क पर दौड़ाने के लिए अखिलेश भी लगातार मेहनत कर रहे हैं।

हालांकि यूपी में विधान सभा चुनाव में दो साल का वक्त बाकी है लेकिन अखिलेश अभी से ही योगी को कड़ी चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल योगी को कानून व्यवस्था को लेकर अखिलेश पहले से ज्यादा हमलावार नजर आ रहे हैं।

जुबिली पोस्ट ने योगी के तीन साल के पूरे होने पर वरिष्ठ  पत्रकारों से जानना चाहा कि योगी का कार्यकाल कैसा रहा। इस पर इन पत्रकारों की अलग-अलग राय देखने को मिली है।

वन मैन शो की तरह चली है योगी सरकार : ज्ञानेंद्र शर्मा

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शर्मा ने योगी सरकार को वन मैन शो करार दिया है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ठीक वैसी ही है जैसे केंद्र में मोदी सरकार है। हालांकि कुछ मामलों में सूबे की योगी सरकार तारीफों की हकदार है लेकिन कानून व्यवस्था के मामले में योगी सरकार को अभी और काम करने की जरूरत है। बीते तीन सालों में कानून व्यवस्था उनके लिए चुनौती रही है।

उन्होंने कहा कि ध्रुवीकरण से बाहर आना होगा। उन्होंने आम आदमी की पार्टी का जिक्र करते हुए कहा कि केजरीवाल ने राजनीति का नया ट्रेंड सेट किया है। उन्होंने कहा कि राममंदिर हो या फिर धु्रवीकरण से जैसे पुराने मुद्दों से अब चुनाव नहीं जीता सकता है। उन्होंने पोस्टर वार पर कहा कि योगी सरकार को इससे बाहर आना होगा। उन्होंने कहा कि याद रखना चाहिए हिंसा एक तरफ से नहीं होती है और कोई भी व्यक्ति कानून से बड़ा नहीं होता है।

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मैंडेट पर खरे नहीं उतरे योगी : हेमंत तिवारी

वरिष्ठ पत्रकार पत्रकार हेमंत तिवारी ने योगी सरकार के तीन साल को लेकर कहा कि बीजेपी को को मैंडेट जनता दिया है योगी उसपर खरे नहीं उतरे हैं। उन्होंने कहा कि योगी ने शुरुआती साल में कड़े तेवर दिखाया जरूर थे लेकिन बाद में उनका काम काज भी पहले की सरकारों की तरह रहा है। उन्होंने कहा कि योगी ने ब्यूरो क्रेसी पर ज्यादा विश्वास ज्यादा दिखाया है जो शायद उनकी सरकार के लिए ठीक नहीं रहा है।

उन्होंने कहा कि योगी के लिए राह इसलिए आसान नहीं है क्योंकि देश की राजनीति में केजरीवाल के आने से बड़ा बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि इस वजह से योगी के लिए अब अखिलेश यादव बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि योगी के विकास की चाल बहुत ही धीमी रही है। ऐसे में उनके लिए दोबारा सत्ता में लौटना आसान नहीं होगा। कुल मिलाकर बतौर मुख्यमंत्री के तौर पर उनका प्रदर्शन ठीक-ठाक कहा जा सकता है लेकिन ब्यूरो क्रेसी पर अति विश्वास के उनके लिए ठीक नहीं रहा है।

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योगी ने केवल अखिलेश के कामों का फीता काटा है : भास्कर दुबे

दूसरी ओर वरिष्ठ पत्रकार भास्कर दुबे का मनाना है कि योगी सरकार के पास तीन सालों में दिखाने को कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि योगी ने केवल अखिलेश की योजना का फीता काटा है। इतना ही नहीं योगी ने तीन साल अफसरशाही को समझने में लगा दिया है। ऐसे में योगी के पास तीन साल की कोई विशेष उपलब्धि नहीं है। कुल मिलाकर उनका कार्यकाल और मुख्यमंत्री की तरह ही रहा है।

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संगठित माफिया तंत्र पर लगाम लगी : सुरेश बहादुर

वहीं वरिष्ठ  पत्रकार सुरेश बहादुर ने योगी सरकार की तारीफ की है। उन्होंने कहा योगी राज में संगठित माफिया तंत्र पर लगाम लगी है। भ्रष्टाचार के मामले भी कम हुए है। सुरेश बहादुर ने यह भी माना योगी अपनी पुरानी छवि यानी कट्टर हिंदू नेता के तौर से बाहर नहीं निकले हैं।

उन्होंने कहा कि योगी ने कई मौकों पर कट्टर हिंदू नेता के तौर पर पेश किया है। इस छवि के चलते उन्होंने अयोध्या में दीप उत्सव और कुंभ मेला का आयोजन किया है। योगी ने एक बार कहा था कि मैं हिंदू हूं, ईद नहीं मनाता हूं।

भले ही उनके इस बयान पर कड़ी आलोचना हुई हो लेकिन कहीं न कहीं उनका यह बयान उनकी हिन्दूवादी छवि को उजागर करता है। योगी ने भ्रष्टाचार, गुंडाराज और अराजकता फैलाने वालों से प्रदेश को मुक्त कराया है लेकिन कानून व्यवस्था को लेकर अभी भी मेहनत करने की जरूरत है।

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कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि को बरकरार रखा है : रतनमणि लाल

वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी और अब भी वहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को एक ऐसे नेता की तलाश थी जो धार्मिक नेता के तौर उसकी पकड़ एक समुदाय पर हो और इस कड़ी में योगी को नाम सबसे ऊपर आया है। योगी की तारीफ करनी होगी उन्होंने अपनी छवि से कोई समझौता नहीं किया।

बीजेपी ने उन्हें यूपी की सत्ता के सिंहासन पर विराजमान कर दिया है लेकिन उसके पीछे उसकी पुरानी रणनीति रही है। दरअसल बीजेपी उनको अन्य राज्यों में उनकी कट्टर हिन्दू नेता की छवि को भुनाना चाहती है। रतनमणि लाल ने कहा कि जहां तक उनके तीन साल के कामकाज की बात है तो योगी ने जो वादे किये थे उसको लगभग पूरा किया है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों को योगी ने हाल के दिनों में बड़ी राहत दी है।

योगी आदित्यनाथ ने देश के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे समेत लखनऊ में हुए डिफेंस कॉरिडोर पर अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि बीते साल विरोध प्रदर्शन के नाम पर जो दंगा हुआ था, उस पर योगी सरकार ने कड़ा उठा कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि योगी के पोस्टर लगाने पर विरोध हो रहा हो लेकिन दंगा करने वालों को साफ संदेश मिला है, हालांकि उन्होंने कहा कि यह मामला कोर्ट में है।

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योगी को अब केवल विकास करना होगा : अजय कुमार

वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने मानना है जो तीन साल कार्यकाल वो अपनी जगह है लेकिन आगे अगर दोबारा सत्ता में लौटना है तो योगी सरकार को अब विकास पर लौटना होगा क्योंकि तीन सालों में विकास के नाम पर कुछ खास नहीं हुआ है। ऐसे में अगले दो साल उनके लिए काफी अहम है।

अजय कुमार का मानना है कि योगी ने एक काम सबसे अच्छा किया है कि साम्प्रदायिक दंगों को काबू किया है। उन्होंने कहा कि हालांकि योगी ने अपने दो उपमुख्यमंत्री को काबू में नहीं कर सके। उनके अनुसार दिनेश शर्मा को छोड़ केशव प्रसाद मौर्या के विभाग में किसी तरह से कोई एक्शन नहीं लिया जो कि उनके लिए हमेशा चुनौती भरा रहा है। उन्होंने कहा कि लखनऊ की सड़कों का हाल अब भी बेहाल है।

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