Saturday - 6 January 2024 - 7:32 AM

जानिए आपके जीवन में क्या है ज्योतिष की उपयोगिता

हरीश चन्द्र श्रीवास्तव

फलित ज्योतिष में ग्रहो के योग का अत्यधिक महत्व है। ज्योतिष एक मात्र माध्यम है, जिससे भविष्य की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

गणित एंव फलित ज्योति में लग्न का बड़ा महत्व है यही फलित ज्योतिष का मुख्य आधार है। व्यक्ति के जीवन या जन्म के समय स्थित ग्रह- ग्रहो की महादशा, अनर्तदशा, एंव गोचर ग्रहोका प्रभाव पड़ता है जिसके अनुसार सुख- दुख, लाभ-हानि जय-पराजय प्राप्त होता है।

प्रत्येक व्यक्ति का जीवन 120 वर्ष का मानकर महादशाओं का समय निर्धारित किया गया अर्थात व्यक्ति को कोई रोग न हो, बुरे व्यसन न हो तो वह दिर्घायु होगा व्यक्ति के दिर्घ जीवन से अनेक प्रकार की समस्याए आती रहती है।

अतः प्रस्तुत लेख का मुख्य विषय समस्या एंव उसके निराकरण से प्राम्भ कर रहा हूँ। इसे समझने के लिए लग्न कुण्डली एंव चन्द्र कुण्डली के चार्ट को ध्यान में रखने से समझना सरल होगा।

बृहस्पति एक घर में एक वर्ष राहू- केतु एक वर्ष 6 माह एंव शनि एक घर में 2 वर्ष 6 माह तक रहते है तदनुसार गोचर में शुभ – अशुभ फल प्राप्त होता है। शेष ग्रहो का गोचर एक घर में कम समय का होता है।

मारकेश

जन्म कुण्डली में द्रितीयेश सप्तमेश एंव अष्टम भाव के स्वामी यदि लग्नेश के मित्र नही है तो मारकेश का कार्य करते है ऐसी स्थित मे मारकेश ग्रह का दानव जप करना चाहिए।

मारकेश में मरण तुल्य़ , कष्ट , दुर्घटना, अपयश , नौकरी में है तो खराब तैनाती एंव परिवार में अशुभ समाचार भी प्राप्त हो सकता है। गोचर ग्रहोकी वस्तुओं का तुलादान एंव लग्नेश का रत्न धारण करना चाहिए। अंतिम विकल्प महामृत्यंजय मंत्र का जाप स्वंय / परिवार के व्यक्ति या ब्राम्हण द्वारा।

मांगलिक और मांगलिक दोष

जब मंगल 1,4,7,8 एंव 12 वे घर में बैठा हो व्यक्ति मांगलिक कहलाता है। यदि मंगल उक्त घरो में मेष, वृच्छिक या मकर राशी में बैठा हो व्यक्ति मांगलिक तो कहा जायेगा परन्तु विवाहनान मांगलिक से किया जा सकता है या विवाह हो गया है तो उपचार पूजा पाठ कराने की अवश्यक्ता नही है।

प्रशासनिक सेवा का योग

जन्म कुण्डली में यदि सूर्य , मंगल एंव बृहस्पति उच्च के हो प्रशासनिक सेवा का योग बनता है। सूर्य मेष का होना आईएएस के लिए आवश्यक है तथा लग्न कुण्डली में राजयोग होना चाहिए।

साढे साती

चन्द्र कुण्डली से एक घर पहले जब शनि ग्रह का प्रवेश होता है तो साढे साती का प्रारम्भ हो जाता है जो कि 7 वर्ष 6 माह का होता है। वृष , मिथुन, कन्या, तुला, मकर एंव कुम्भ लग्न के जातको को साढे साती के बुरे प्रभाव का असर अपेक्षा कृत कम पड़ता है।

यह भी पढ़ें : LIC के IPO पर क्यों मंडराने लगा है खतरा, इस वजह से हो रही देरी

सर्वाधिक बुरा प्रभाव वृच्छिक राशि के लोगो पर पड़ता है। इस समय ( दिनांक 24-01-2020 से) धनु, मकर एंव कुम्भ राशि के जातक साढे साती से प्रभावित है। ऐसे व्यक्तियो को हनुमान जी की पूजा तथा शनि की वस्तुओं का तुलादान करना चाहिए।

शनि की ढैया

वर्ष 2020 – 2021 में मिथुन एंव तुला राशि के लोग शनि की ढैया से प्रभावित रहेंगे। तुला राशि के लिए यह ढैया अत्यधिक नुकशानदेह रहेगा। नौकरी वालों का निलम्वन या जाँच हो सकता है। व्यापारी वर्ग का व्यापार में नुकसान होने की संम्भावना है। राहू एंव शनि दोनों का जपदान आवश्यक है।

शुभ कार्य का योग (विवाह सन्तान प्राप्ती)

गोचर में चन्द्र कुण्डली से जब वृहस्पति दूसरे , पाँचवे, सातवे, नौवे व ग्यारहवे भाव में जाते है या रहते है तब घर में शुभ कार्य पुत्र का विवाह एंव सन्तान सुख की प्राप्ती होती है। यह समय नूतन भवन में गृह प्रवेश का भी है।

नौकरी में निलम्वन / महत्वहीन पद या तैनाती

शनि जब गोचर में पंचम भाव में हो। राहू अष्टम भाव में हो इसके अतिरिक्त सामान्यतया यदि शनि लग्नेश, पंचमेश एंव भाग्येश नही है तो साढे साती में एंव गोचर में शनि कर्म भाव में हो तो भी अपयश का सामना करना पड़ता है।

भूमि / भवन क्रय करने का योग

जब शनि तीन, छः ब ग्यारहवे भाव में जाते हैं तो निश्चित रुप से भूमि / भवन व्यक्ति क्रय करता है। निर्मित भवन में गृह प्रवेश तभी होगा जब वृहस्पति का गोचर 2,5,7,9 व 11 वे भाव में रहेगा।

रत्न धारण करना

जन्म कुण्डली अर्थात लग्न कुण्डली के अनुसार केवल लग्नेश, पंचमेश, नवमेश का ही रत्न धारण करना चाहिए। शर्त यह है कि उक्त भाव के स्वामी ग्रह लग्न कुण्डली के अनुसार छः, आठ एंव बारहवे भाव में न बैठे हों।

जिस ग्रह का रत्न हो उसे उसी के वार/ दिन में धारण करना चाहिए। शत्रु ग्रहो से सम्बन्धित रत्न की अंगुठी धारण नही करना चाहिए। अंगुठी पहनने से बहुत बड़ा चमत्कार नही होता है। धनात्मक प्रभाव में वृद्धि हो जाती है।

पूजा एंव दान की सरल विधि

जिस निमिन्त पूजा करना हो पहले हाथ में चावल (अक्षत) पुष्प लेकर उस कार्य का संकल्प करे तदोयरान्त ग्रह शांति का जप या तुलादान कर दें।

विभिन्न योग

गजकेशरी योग, सुनफा, अनफा, दुरुधरा, केमदुम , वसुमती, चतुः सागर, राजलक्षण, शकट, अधियोग, शश योग, मंगल- चन्द्र योग, गुरु-राहू, चाण्डल योग, राजयोग, काल सर्प योग भी जन्म कुण्डली में व्यक्ति को प्रभावित करते है।

(लेखक ऊँ अस्था ज्योतिष केन्द्र के संस्थापक हैं)

यह भी पढ़ें : सुशांत केस में बेटे का नाम जोड़े जाने पर बोले उद्धव, पहली बार दिया बयान

यह भी पढ़ें : प्रेमी की चाहत में पत्नी हुई अंधी, हिस्ट्रीशीटर को दी पति की सुपारी

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com