न्यूज डेस्क
जापान की महिला पत्रकार शिओरी इतो ने जब ‘मी टू’ अभियान के तहत आवाज उठाया था तो इस खबर ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी थी। इसका कारण था कि जापान में बलात्कार पीडि़ताओं का अपराध की सूचना पुलिस को देना असाधारण बात है। फिलहाल इस मामले में तोक्यो की एक अदालत ने बुधवार को शिओरी को ‘मी टू’ के हाई प्रोफाइल मामले में 30,000 डॉलर (करीब 21 लाख रुपये) मुआवजा देने का आदेश दिया है।
पत्रकार शिओरी इतो ने जापान में चले ‘मी टू’ अभियान के दौरान टीवी के एक पूर्व रिपोर्टर पर बलात्कार का आरोप लगाया था। 30 वर्षीय इतो, जापान में ‘मी टू’ अभियान की मुखर आवाज बन गईं थीं। उन्हें यौन उत्पीडऩ और दुव्र्यवहार के खिलाफ आंदोलन को अपनी जमीन बनाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। पत्रकार इतो ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से नजदीकी संपर्क रखने वाले टीवी के एक पूर्व रिपोर्टर नोरियुकी यामागुची से 1,00,000 डॉलर का मुआवजा मांगा था।
इतो इसलिए चर्चा में आई थी, क्योंकि जापान में अधिकांश महिलाएं अपने साथ हुए बलात्कार की शिकायत दर्ज नहीं कराती। 2017 के एक सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक जापान में केवल चार प्रतिशत महिलाएं ही अपने साथ हुए बलात्कार की शिकायत दर्ज कराती हैं।
महिला पत्रकार ने यामागुची पर आरोप लगाते हुए कहा था कि 2015 में उन्होंने नौकरी का झांसा देकर इतो को खाने पर बुलाया और बलात्कार किया था। हालांकि यामागुची लगातार इन आरोपों से इनकार करते रहे और उन्होंने इतो के खिलाफ जवाबी वाद दर्ज कराया था और मुआवजे में 13 करोड़ येन मांगा था।
आज जब अदालत का फैसला इतो के पक्ष में आया तो उन्होंने कहा कि, ”हम जीत गए। जवाबी वाद निरस्त कर दिया गया।” उन्होंने हाथ में एक बैनर उठाया हुआ था जिसमें ”जीत” लिखा था।
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