Saturday - 6 January 2024 - 2:49 PM

कांग्रेस नेतृत्व को भारी पड़ेगी यह लापरवाही

प्रीति सिंह

कांग्रेस में एक बार फिर सिर फुटव्वल का दौर शुरु हो गया है। बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद तमाम नेता एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं और सोनिया और राहुल गांधी चुप्पी साधे हुए हैं।

बिहार चुनाव परिणाम आने के बाद से कांग्रेस में घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के इंटरव्यू के बाद उपजे विवाद को थामने की कोई कोशिश कांग्रेस हाईकमान के तरफ से नहीं दिखाई दे रही है।

कपिल सिब्बल के बयान पर अशोक गहलोत, तारिक अनवर, सलमान ख़ुर्शीद और अधीर रंजन चौधरी तक बोले लेकिन इनके खिलाफ आलाकमान की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। जिस तरह से कांग्रेस में तमाशा चल रहा है उससे तो ऐसा लग रहा है कांग्रेस पार्टी का कोई माई-बाप नहीं है। पार्टी में कोई अनुशासन नहीं है।

कांग्रेस में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। ऐसा ही राजस्थान में गहलोत-पायलट की लड़ाई के दौरान हुआ था। महीने भर के तमाशे के बाद राहुल और प्रियंका पायलट को मनाने पहुंचे थे। यदि ये काम वे पहले कर लेते तो गहलोत पायलट को मीडिया के कैमरों के सामने नाकारा, निकम्मा कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाते और पार्टी का इतना तमाशा न बनता।

नेताओं के बगावती सुर के बाद कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी से तमाम सवाल उठ रहे हैं। जिस तरीके से कांग्रेस नेतृत्व लापरवाही बरत रही है उससे तय है कि इतने कठिन राजनीतिक माहौल के बीच उसे यह लापरवाही भारी पडऩे वाली है।

गिने-चुने राज्यों में सरकार चला रही कांग्रेस पार्टी अब अधिकतर राज्यों में मुख्य विपक्षी दल की हैसियत भी खो चुकी है। सवाल यह है कि क्या आलाकमान पार्टी का और ज़्यादा पतन होते देखना चाहता है।

ये भी पढ़े:  Video : सोशल मीडिया पर यूजर्स इस ASI को क्यों कर रहे हैं सलाम

ये भी पढ़े:  तो इस वजह से ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा #BoycottBingo

कई कांग्रेस नेताओं ने की इस्तीफे की पेशकश

कांग्रेस की लचरता का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि एक ओर नेताओं की बयानबाजी नहीं थम रही है तो वहीं बिहार में चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी में समीक्षा की मांग के साथ-साथ कई कांग्रेस नेताओं ने इस्तीफे की पेशकश की है।

कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष को भेज दिया है तो वहीं बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा सहित कई दूसरे प्रदेश कांग्रेस के नेताओ में भी अपने पद से त्यागपत्र देने की पेशकश की है। पार्टी महासचिव तारिक अनवर भी हार के कारणों पर विचार की वकालत कर चुके है।

हाल-फिलहाल यह ताजा मामला है लेकिन पिछले कुछ सालों में देखें तो कांग्रेस छोड़कर जाने वालों की एक लंबी फेहरिस्त है और इसमें विदेश मंत्री रहे एसएम कृष्णा से लेकर दिग्गज नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया तक शामिल हैं।

इसे राजनीतिक महत्वाकांक्षा का नाम दिया जा सकता है, मगर पार्टी कई राज्यों में धड़ाधड़ उसका साथ छोड़ रहे विधायकों के मामले में भी असहाय नजर आती है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री जैसे बड़े ओहदों पर रह चुके लोग भी शामिल हैं।

यह सीधे तौर पर कांग्रेस नेतृत्व की लचरता को दिखाता है, क्योंकि उत्तराखंड से लेकर गोवा और मणिपुर, महाराष्ट्र से लेकर गुजरात और मध्य प्रदेश तक में विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ा है।

लेकिन कांग्रेस नेतृत्व कभी भी प्रदेशों में पार्टी के विधायकों-नेताओं तक पहुंचने की गंभीर कोशिश करते नहीं दिखी।

जिस तरह से कांग्रेस में बयानबाजी हो रही है उससे तो लगता ही नहीं कि यह इंदिरा गांधी जैसी सख़्त प्रशासक की विरासत वाली पार्टी है।

साल 1969 में कांग्रेस में विभाजन के बाद इंदिरा गांधी ने पार्टी में बगावत के बुलंद आवाज को दबाते हुए पार्टी को अपने दम पर खड़ा किया था और दिखाया था कि अगर नेतृत्व में दम हो तो नेता-कार्यकर्ता पार्टी की नीतियों के हिसाब से ही चलते हैं।

लेकिन आज की कांग्रेस में सभी नेता अपनी मर्जी के मालिक है। जिसको जो समझ में आ रहा है वह बोल रहा है और पार्टी की छिछालेदर कर रहा है। नेताओं के व्यवहार को देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि उन्हें पार्टी के अनुशासन या किसी सख़्त कार्रवाई का कोई डर ही नहीं है।

डर हो भी क्यों? कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं की चिट्ठी मीडिया में लीक होने के बाद पार्टी की कितनी फजीहत हुई, पर पार्टी हाईकमान ने इनके खिलाफ कौन सी कार्रवाई की।

नेताओं की लिखी चिट्ठी में नेतृत्व पर सवाल उठाए गए, नेताओं का आपसी झगड़ा चौराहे पर आ गया और इस झगड़े में बहुत सीनियर नेता ग़ुलाम नबी आजाद से लेकर कपिल सिब्बल तक के खिलाफ बयान दिए गए लेकिन पार्टी नेतृत्व चुप्पी साधे रहा।

ये भी पढ़े: नेपाल में सियासी खींचतान बढ़ी, ओली ने मांगा 10 दिन का समय

ये भी पढ़े:  भारत में साझे में चल रही विमानन सेवा कंपनी से निकल सकता है एयर एशिया 

जाहिर है ऐसी घटनाओं पर कांग्रेस नेतृत्व की चुप्पी साध रहा है तो इससे साफ है कि ये पार्टी के बिखरने के लक्षण हैं।

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दुबे कहते हैं जिस तरह से कांग्रेस में बयानबाजी चल रही है उससे साफ है कि नेताओं को किसी का डर नहीं है। कांग्रेस नेतृत्वविहीन हो चुकी है। सोनिया, राहुल और प्रियंका बीजेपी को हराने की बात करते हैं लेकिन ऐसा वह कैसे कर पायेंगे। अपने नेता तो उनसे संभल नहीं रहे।

वह कहते हैं, कांग्रेस बीजेपी से मुकाबला करती है लेकिन शायद उसे एहसास नहीं है कि उसका मुकाबला उस बीजेपी से है, जो लगातार दो लोकसभा चुनावों में  उसे धूल चटा चुकी है। जो पिछले छह सालों में वह देश के लगभग सभी जिलों में अपना स्थायी ऑफिस खड़ी कर चुकी है। बीजेपी कांग्रेस से सोशल मीडिया की तिकड़मों में कहीं आगे है और निश्चित रूप से लोकसभा, राज्यसभा और अधिकतर राज्यों में उससे बेहद ताकतवर भी है। लेकिन लगता है कि कांग्रेस यह समझने के लिए तैयार नहीं है वरना पार्टी नेताओं के बीच चल रहे घमासान में आलाकमान दखल जरूर देता।

ये भी पढ़े: क्या हटाए जाएंगे शिक्षामंत्री मेवालाल चौधरी

ये भी पढ़े: नगरोटा में सेना ने 4 आतंकियों को मार गिराया, देखें VIDEO 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com