Thursday - 11 January 2024 - 12:43 PM

यूपी के स्वास्थ्य विभाग में डेंटल सर्जनो के तबादलों में भी झोल

जुबिली न्यूज डेस्क

महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य में हुए स्थानांतरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितता का खुलासा हो चुका है, जिसको लेकर पिछले दिनों स्वास्थ्य राज्यमंत्री और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने पत्र लिखकर तबादलों पर सवाल उठाए थे । अब स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादले में गड़बड़ियों का सीएम योगी ने भी संज्ञान लिया है और तबादले पर रिपोर्ट तलब की है जिसकी आख्या तैयार कर दो दिनों में महानिदेशालय को देनी है।

ट्रांसफर से दंत सर्जन विहीन हुए जिला अस्पताल, मरीज हुए बेहाल–

जिला अस्पतालों से जिन दंत सर्जन के स्थानांतरण हुए उनकी जगह किसी भी दंत सर्जन को पोस्ट नहीं किया गया जिसके कारण मुख्यालय के अस्पतालों में अब दंत चिकित्सक नहीं हैं और जिन मरीजों का इलाज चल रहा था उनका इलाज तो बीच में रुका ही दूसरे मरीज भी इलाज से वंचित हो रहे हैं।

जहां सुविधायें और उपकरण नहीं वहां किया ट्रांसफर–

अधिकांश दंत सर्जन को सुदूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजा गया जहां डेंटल चेयर और जनरल सर्जरी के उपकरण हैं ही नहीं डेंटल चेयर और दंत सर्जरी के उपकरण के बिना क्या करेंगे ये डाक्टर। महानिदेशालय के अधिकारियों को इस बात की परवाह नहीं है या जानकारी नहीं है या वह जानकारी करना नहीं चाहते हैं कि कहां इलाज की सुविधा है कहां नहीं। जब सुविधायें नहीं होंगी तो सीएम ओ को सुविधा शुल्क दे़कर डाक्टर महीने में 4दिन जायेंगे और सैलरी लेंगे पूरे महीने की। और नहीं तो फिर ट्रांसफर कैंसिल कराने के लिये महानिदेशालय के अधिकारियों की मुंहमांगी मुराद पूरी करेंगे।

एक डेंटल सर्जन को दो जगह कर दिया स्थानांतरित 

लापरवाही का आलम ये है कि डॉक्टर शिव आरती यादव मानव संपदा नंबर 19159 को मंडली जिला चिकित्सालय आजमगढ़ से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चहनिया चन्दौली और सीएमओ सोनभद्र के अधीन कर दिया गया है। अब सवाल उठता है कि दोनों जगह कैसे स्थानांतरण हुआ क्या इस बात की जानकारी महानिदेशालय को नहीं थी।अब स्थानांतरण निरस्त कराने को लेकर वह अधिकारियों से गुहार लगा रही हैं।

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सूत्रों के अनुसार इसी तरह से एक महिला डेंटल सर्जन डा लकी सिन्हा को लालबहादुर शास्त्री जिला चिकित्सालय रामनगर से सुदूर जनपद सोनभद्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बभनी भेज दिया गया है जहां न तो डेंटल चेयर है और ना ही सर्जरी के आवश्यक उपकरण।

बताया जा रहा है कि सुरक्षित केन्द्र न होने के कारण कि कर्मचारी भी शाम 4:00 बजे वह केंद्र छोड़ देते हैं और 40किमी की दूरी पर रहने को विवश हैं,यह भी पता चला है कि उस केंद्र पर महिला प्रसाधन तक की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में महिला चिकित्सा अधिकारी क ट्रांसफर किया जाना कितना उचित है और क्या मरीजों को पूरी चिकित्सा सुविधा मिल पायेगी,ये एक बड़ा सवाल है।अधिकांश स्थानांतरण इसी प्रकार के मनमाने ढंग से किये गये हैं।

बड़ा सवाल?

बड़ा सवाल है कि क्या स्थानांतरण के नाम पर जिला अस्पतालों को डेंटल सर्जन से खाली करने का क्या कोई सरकारी आदेश दिया गया है या फिर महानिदेशालय की नीति है।देखना है कि सरकार डेन्टल सर्जन के इस मनमानी ट्रांसफर को कैंसिल किया जाता है या नहीं और महानिदेशालय के जिम्मेदार अफसरों पर क्या कारवाई होती है।

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