Thursday - 11 January 2024 - 3:35 PM

मजदूर बोले… सोचा नहीं था ऐसे भी दिन देखने पड़ेंगे

न्यूज़ डेस्क

लखनऊ। लॉकडाउन में मजूदरों की जिंदगी ठहर सी गई है। इस मुश्किल घड़ी में जब श्रमिकों की रोटी पर आफत टूटा तो वह अपने गांव की और चल पड़े। आंखों में आंसू लिए नंगे पैर हाजरों किलोमीटर का सफर पैदल तय कर रहे हैं। इस दौरान देश के कई हिस्सों से मर्मिक तस्वीरें सामने आ रहीं हैं। ऐसी ही एक तस्वीर लखनऊ से सामने आई है, जो भूख की विवशता को दिखा रही है।

दरअसल, मजदूरों के बेबसी की यह तस्वीर लखनऊ के अमर शहीद पथ की है। जहां लॉकडाउन के चलते काम धंधा बंद हो जाने के बाद तीनों युवक पांच दिन पहले अपने घर बिहार के लिए पैदल निकले थे।

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यह तीनों आगरा की एक मिठाई बनाने वाली फैक्टरी में मजदूरी करते हैं। आज साइकिल से लखनऊ पहुंचे तो यहां खाना वितरण कर रहे लोगों ने उनकी मदद की तो वह तीनों उस पर ऐसे टूटे जैसे वह कई दिनों से भूखें हो।

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भूख से तड़पते जब इन मजदूर के सामने जब उम्मीद की रौशनी नजर आयी तो वह इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग भी भूल गए। खाली पेट जब होता है तो कुछ पता नहीं रहता है। इसके आगे इंसान सब भूल जाता है।

उनमें से एक बृजेश ने बताया कि सोचा नहीं था कि कभी ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे। अब लगता है कि जीवन का बुरा वक्त शुरू हो गया है। सोचिए जरा आज एक प्लेट खाना खाने के तीनों मजबूर हैं। पता नहीं और भगवान कैसे दिन दिखाएगा।

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भोजन वितरण करने वाले देवेंद्र, अजमल और अभिषेक ने बताया कि ऐसे कई मजदूर से वो मिले जो बड़े स्वाभिमानी थे, उन्हें अपनी मेहनत की रोटी ही खानी थी, लेकिन ऐसी घड़ी में वो अब मजबूर हो चुके है। उनमें एक ऐसा मजदूर भी मिला जो पैदल था और अपनी गृहस्ती का सामान अपनी पीठ पर लादे हुए था, ताकि उसे कही किसी से मदद न मांगनी पड़े।

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