Sunday - 7 January 2024 - 4:43 AM

‘राजनीतिक दलों को पैसा देने वाले आधे से अधिक लोगों का अता-पता नहीं’

जुबिली न्यूज डेस्क

राजनीतिक पार्टियों को करोड़ो-अरबों रुपये मिलने वाले चंदे को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने गुरुवार को अपने एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में क्षेत्रीय दलों को जो चंदा मिला, उनमें 55 प्रतिशत से अधिक का स्त्रोत ‘अज्ञातÓ है।

रिपोर्ट के अनुसार, “अज्ञात” स्रोतों से लगभग 95 फीसदी चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड का योगदान था। वैसे भी अधिकांश इलेक्टोरल बॉन्ड में भी लोग अपनी पहचान नहीं बताते।

रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 में 25 क्षेत्रीय दलों को कुल 803.24 करोड़ रुपये चंदा मिला था, जबकि 445.7 करोड़ रुपये मिलने के सोर्स की कोई जानकारी नहीं है।

“अज्ञात” स्रोतों से मिले चंदे में से 426.233 करोड़ रुपये (95.616 प्रतिशत) चुनावी बांड से और 4.976 करोड़ रुपये स्वैच्छिक योगदान से मिले।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय दलों को “अज्ञात” सोर्स से मिले चंदे की वजह से उनकी आय का 70.98 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ।

दिलचस्प बात यह है कि “अज्ञात” स्रोतों से सबसे अधिक आय वाले क्षेत्रीय दलों की सूची में दक्षिण भारत की पार्टियां जिसमें TRS, TDP, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी,  DMK और जद (एस) सबसे ऊपर हैं। इस सूची में ओडिशा की सत्तारूढ़ BJD भी शामिल है।

मालूम हो कि TRS (89.158 करोड़ रुपये), TDP (81.694 करोड़ रुपये), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (74.75 करोड़ रुपये), BJD (50.586 करोड़ रुपये) और DMK (45.50 करोड़ रुपये) का अज्ञात सोर्स दान घोषित किया है।

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इसको लेकर ADR ने कहा कि राजनीतिक दलों की आय का एक बहुत बड़ा हिस्सा देने वाले मूल दाता को ट्रैक नहीं किया जा सकता। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों को दान देने वालों का पूरा विवरण RTI के तहत सार्वजनिक जांच के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

वहीं BJP द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए विवरण के अनुसार, पार्टी ने इस साल असम, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल में हुए चुनावों में 252 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें से 151.18 करोड़ रुपये पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार के लिए खर्च किए गए।

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वहीं टीएमसी की तरफ से कहा गया कि उसकी तरफ से पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में 154.28 करोड़ रुपये खर्च किए।

मालूम हो कि राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में अधिक पारदर्शिता रखने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना शुरू की थी। इसमें हजार, दस हजार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रुपये के बॉन्ड की श्रेणी तय किये गए हैं, लेकिन इसको लेकर जानकारी सामने आई है कि चंदा देने वाले लोग इसमें भी अपनी पहचान नहीं बताते।

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