Sunday - 7 January 2024 - 1:36 PM

‘देश के हालात ठीक नहीं, क्लास की जगह सड़कों पर छात्र’

न्यूज डेस्क

देश के मौजूदा हालात पर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने चिंता व्यक्त की है। एक माह से देश में जिस तरीके के हालात हैं उसे लेकर पूरे देश में उथल-पुथल मची हुई। देश के अधिकांश विश्वविद्यालय के छात्र सरकार के विरोध में सड़क पर उतर गए हैं। वह सीएए और एनआरसी के लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

वहीं पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने भरोसा जताया है कि भारत देश भर में छात्रों के विरोध प्रदर्शन से बने मौजूदा ‘मुश्किल’  हालात से उबर जाएगा, जैसे अतीत में वह कई संकट की स्थितियों से निपटने में सफल रहा है।

गौरतलब है कि पिछले एक माह से देशभर में सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। पहले इसके विरोध में आम आदमी और राजनीतिक दल प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन कुछ समय बाद विश्वविद्यालय के छात्र भी इसके लिए सड़क पर उतर आए।

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ सबसे पहले जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में विरोध देखने को मिला जबकि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नकाबपोश लोगों ने हिंसा फैलाई।

26वें लाल बहादुर शास्त्री स्मृति व्याख्यान के दौरान सुनील गावस्कर ने कहा, ‘देश मुश्किल में है। हमारे कुछ युवा सड़कों पर उतरे हुए हैं जबकि उन्हें अपनी कक्षाओं में होना चाहिए। सड़कों पर उतरने के लिए उनमें से कुछ को अस्पताल जाना पड़ा।’

उन्होंने कहा, ‘इनमें से अधिकतर कक्षाओं में हैं, अपना भविष्य बनाने और भारत को आगे ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। एक देश के रूप में हम तभी आगे बढ़ सकते हैं जब हम सभी एकजुट हों। जब हम सभी सामान्य भारतीय होंगे। खेल ने हमें यही सिखाया है।’

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इस मौके पर पूर्व कप्तान ने रणजी ट्रॉफी को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि देश के शीर्ष प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी में जब तक खिलाडिय़ों की मैच फीस में भारी भरकम इजाफा नहीं किया जाता तब तक यह लुभावनी इंडियन प्रीमियर लीग की बराबरी नहीं कर सकती।

गवास्कर ने कहा कि रणजी ट्रॉफी खेलने के लिए एक खिलाड़ी को प्रति मैच लगभग ढाई लाख रुपये मिलते हैं लेकिन कुछ समय पहले तक खिलाडिय़ों को काफी कम मैच फीस मिलती थी। इस इजाफे के बावजूद इस प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट से खिलाड़िय़ों को होने वाली कमाई मामूली है।

गावस्कर ने कहा, ‘रणजी ट्राफी पर आईपीएल का दबदबा रहता है। जब तक कि मैच फीस में बड़ा इजाफा नहीं किया जाता तब इसे अनाथ और भारतीय क्रिकेट का रिश्ते का गरीब भाई ही माना जाएगा।’

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