Saturday - 6 January 2024 - 12:51 PM

पाक में 70 साल बाद खोला गया मंदिर का कपाट

न्यूज डेस्क

पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय में जश्न का माहौल हैं। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। उनकी खुशी का कारण है एक हजार साल पुराने मंदिर का 70 साल बाद कपाट खुलना।

पाकिस्तान के सियालकोट में शिवाला तेजा सिंह मंदिर का कपाट खोल दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक हजार साल पुराना है। मंदिर के वास्तुशिल्प को देख कर पता चलता है कि मंदिर का निर्माण चोल राजाओं द्वारा किया गया था।

आजादी के बाद पूरी तरह उपेक्षित हो चुके इस मंदिर की हालत तब और खराब हो गई जब 1992 में अयोध्या बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान कट्टरपंथियों ने बम से उड़ा दिया था। फिलहाल अब इस मंदिर का कायाकल्प कर यहां के हिंदुओं के लिए खोल दिया गया है।

यहां के लोगों का कहना है कि मंदिर का द्वार खुलने से उन्हें महसूस हो रहा है कि वो हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। मंदिर में बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आ रहे हैं। मंदिर में एक ही परिवार की तीन पीढिय़ा भगवान के दर्शन करने पहुंच रही हैं।

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बीबीसी से बात करते हुए एक श्रद्धालु ने कहा , ‘हमारे जो बड़े थे उन्हें मंदिर में जाने मौका नहीं मिला। हालांकि हम आज बहुत खुश हैं। हम आज मंदिर में बैठे हैं। हम अपनी खुशी शब्दों में नहीं बता सकते हैं। पहले की तुलना में आज समय बदल चुका है।’

उन्होंने कहा, ‘हिंदू-मुस्लिम यहां एक साथ रहते हैं। हम इसी धरती में पैदा हुए और हमारा मरना जीना इसी धरती के साथ जुड़ा हुआ है। जब यहां अजान होती है तब पूजा-पाठ बंद कर दी जाती है। ऐसा एहतराम के तौर पर किया जाता है। हम एक साथ चलते हैं।’

उन्होंने आगे कहा, ‘दादा, बेटा और पोता, तीनों एक साथ एक जगह बैठकर पूजा कर रहे हैं। दादा ने वो माहौल नहीं देखा था जो आज देख रहे हैं। आज हम बहुत खुश हैं कि हमारी तीनों नस्लें एक साथ शिवाला मंदिर में पूजा करेंगी।’

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वहीं एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि शिवाला तेजा सिंह मंदिर एक हजार साल पुराना मंदिर है। पाकिस्तान अस्तित्व में आने के बाद मंदिर पूरी तरह बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘करीब 70-72 साल बाद सरकार ने हमारी सुनी है। जब लोग यहां से हिंदुस्तान चले गए तब यहां हिंदुओं की आबादी खासी कम हो गई थी। इसके बाद से मंदिर में पूजा नहीं की जा सकी। मंदिर भी जर्जर हालत में हो गया था। इसकी हालत खराब हो गई थी। अब जाकर मंदिर को ठीक किया गया है।’

उन्होंने कहा कि यहां मजहबी काम के बीच हिंदू-मुस्लिम दखल नहीं देते हैं। हम जगराता करते हैं तो कोई हमें मना नहीं करता। इस काम में मुस्लिम समुदाय के लोग भी हमारी मदद भी करते हैं। आज हमें अपने धर्म और मजहब का पता चल गया कि हमारा मजहब है। इससे पहले लोगों को हमारे धर्म के बारे में पता नहीं चलता था। अब लोगों को खासतौर पर पता चल गया कि हम हिंदू हैं और हमें हिंदू बनकर ही रहना है।

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