हिन्दी गजल के सशक्त हस्ताक्षर देवेन्द्र आर्य की गज़लों और कविताओं में हमेशा से ही सर्वहारा समाज का स्वर रहा है । लाक डाउन के दौरान सड़कों पर चलते मजदूरों की व्यथा को भी उन्होंने स्वर दिया था और वर्तमान किसान आंदोलन पर उन्होंने कई गजलें और कविताएं लिखी है। …
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किसान आंदोलन ने तो कवियों और शायरों को भी जगा दिया है
शबाहत हुसैन विजेता पूस के महीने की ठंडी रातों में भी दिल्ली के चारों तरफ किसान आंदोलन की गर्मी सभी को महसूस हो रही है। दिल्ली जाने वाली हर सड़क पर किसानों का डेरा है। जब सत्ता इस आंदोलन को सियासी कुचक्रों में फँसाने के लिए पैंतरे चल रही है …
Read More »किसानों के बहाने सत्ता की हकीकत बता रही है देवेन्द्र आर्य की गज़ल
देश में चल रहे किसान आंदोलन ने कवियों को भी छुआ है । गजलगो देवेन्द्र आर्य ने वर्तमान माहौल पर एक सचेत साहित्यकार की तरह हमेशा ही टिप्पणी की है । उनकी इन गज़लों में भी आप इसे महसूस कर सकते हैं। गोरखपुर में रहने वाले देवेन्द्र आर्य अपनी हिन्दी गज़लों …
Read More »“चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती” – देवेन्द्र आर्य की कविता
गोरखपुर में रहने वाले देवेन्द्र आर्य अपनी हिन्दी गज़लों के लिए पहचाने जाते हैं और सामान्य बोलचाल की भाषा में लिखी उनकी गजलें सहज ही मन में उतर जाती हैं। “चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती” शीर्षक से कवि और गजलगो देवेन्द्र आर्य ने कविताओं की शृंखला लिख दी है …
Read More »त्रासदी की कविता : देवेन्द्र आर्य ने देखा “पैदल इंडिया”
संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । देवेन्द्र आर्य की …
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