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112 दिन बाद टूटा मायावती-अखिलेश का गठबंधन

न्‍यूज डेस्‍क

लखनऊ के ताज होटल में 12 जनवरी 2019 को समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच हुआ गठबंधन उपचुनाव से पहले टूट गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगामी छह माह में होने वाले उपचुनाव में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अखिलेश यादव भी सामने आए। उन्होंने कहा कि गठबंधन के बारे में सोचकर विचार करेंगे, अगर रास्ते अलग हैं तो हम भी लोगों का स्वागत करेंगे। सपा प्रमुख बोले कि उपचुनाव में अगर अकेले लड़ने का फैसला हुआ है, तो फिर हम भी अकेले ही चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे।

डिंपल-अक्षय का हार जाना हमें सोचने पर मजबूर करता है

मायावती ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव नतीजों से साफ है कि बेस वोट भी सपा के साथ खड़ा नहीं रह सका है। सपा की यादव बाहुल्य सीटों पर भी सपा उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं। कन्नौज में डिंपल यादव और फिरोजबाद में अक्षय यादव का हार जाना हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है। उन्होंने कहा कि बसपा और सपा का बेस वोट जुड़ने के बाद इन उम्मीदवारों को हारना नहीं चाहिए था।

सपा का बेस वोट ही छिटक गया

मायावती ने गठबंधन पर कहा कि सपा का बेस वोट ही छिटक गया है तो उन्होंने बसपा को वोट कैसे दिया होगा, यह बात सोचने पर मजबूर करती है। मायावती ने कहा कि हमने पार्टी की समीक्षा बैठक में पाया कि बसपा काडर आधारित पार्टी है और खास मकसद से सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा गया था लेकिन हमें सफलता नहीं मिल पाई है।

हमें अकेले ही चुनाव लड़ना होगा

सपा के काडर को भी बसपा की तरह किसी भी वक्त के लिए तैयार रहने की जरूरत है। इस बार के चुनाव में सपा ने यह मौका गंवा दिया है। मायावती ने कहा कि सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों को करने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं और पार्टी को मिशनरी बनाते हैं तो फिर हम आगे साथ लड़ेगे, अगर वह ऐसा नहीं कर पाते तो हमें अकेले ही चुनाव लड़ना होगा।

खूब सम्मान करते हैं

मायावती ने कहा कि उपचुनाव में हमारी पार्टी ने कुछ सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला किया है लेकिन गठबंधन पर फुल ब्रेक नहीं लगा है। बसपा चीफ ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि यूपी में गठबंधन के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल उनका खूब सम्मान करते हैं। वह दोनों मुझे अपना बड़ा और आदर्श मानकर इज्जत देते हैं और मेरी ओर से भी उन्हें परिवार के तरह ही सम्मान दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे रिश्ते केवल स्वार्थ के लिए नहीं बने हैं और हमेशा बने भी रहेंगे। मायावती ने कहा कि निजी रिश्तों से अलग राजनीतिक मजबूरियों को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है।

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