Sunday - 7 January 2024 - 2:06 AM

…तो पेगासस के जरिए हुई इन पत्रकारों की जासूसी!

जुबिली न्यूज डेस्क

‘द वायर’ और 16 मीडिया सहयोगियों की एक पड़ताल की रिपोर्ट सामने आने के बाद से भारत में तहलका मच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के चोटी के पत्रकारों के टेलीफोन को टैप किया गया था और उनकी जासूसी की गई थी। यह जासूसी पेगासस सॉफ्टवेअर के जरिए की गई है।

‘द वायर’ ने अपनी एक खबर में कहा है कि लीक हुए एक दस्तावेज में देश के 40 बड़े पत्रकारों के नाम शामिल हैं, जिन पर निगरानी रखी गई है। इनमें से कुछ की जासूसी की गई है और उनके टेलीफोन भी टैप किए गए हैं।

निष्पक्ष व स्वतंत्र एजेंसी ने 10 टेलीफोन नंबरों की डिजिटल फोरेंसिक टेस्ट ने कहा है कि उनकी जासूसी की गई है या कम से कम जासूसी की कोशिश की गई है।

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अब तक मिली जानकारी के अनुसार इन पत्रकारों की पेगासस के जरिए जासूसी की गई। जिनकी जासूसी हुई उनमें ‘द वायर’ के संस्थापक सदस्य सिद्धार्थ वरदराजन, ‘द वायर’ के एम. के. वेणु, रोहिणी सिंह, देवीरूपा मित्रा, प्रेम शंकर झा, स्वाति चतुर्वेदी और सुशांत सिंह शामिल हैं।

इसके अलावा ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के कार्यकारी संपादक शिशिर गुप्ता, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के संपादकीय पेज के प्रभारी प्रशांत झा’ रक्षा मामलों के रिपोर्टर राहुल सिंह, औरंगजेब नक्शबंदी, चुनाव आयोग कवर करने वाली ऋ तिका चोपड़ा, जम्मू-कश्मीर कवर करने वाले मुजम्मल जमील, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के संदीप उन्नीथन, ‘इंडिया टुडे’ के मनोज गुप्ता, ‘द हिन्दू’ की विजेयता सिंह, ‘द पायनियर’ के जे. गोपीकृष्णन, ईपीडब्लू के सैकत दत्त, परंजय गुहाठाकुरता, स्मिता शर्मा, एस. एन. एम. आब्दी, इफ़्तिख़ार गिलानी] कई व्यापारी व उद्योगपति, कई प्रशासनिक अफसर, संवैधानिक पद पर बैठा एक व्यक्ति, एक जज और विपक्ष के तीन नेता शामिल हैं।

फ्रांस की गैरसरकारी संस्था ‘फोरबिडेन स्टोरीज’ और ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने लीक हुए दस्तावेज का पता लगाया और ‘द वायर’ और 15 दूसरी समाचार संस्थाओं के साथ साझा किया। इसका नाम रखा गया पेगासस प्रोजेक्ट।

‘द गार्जियन’, ‘वाशिंगटन पोस्ट’, ‘ला मोंद’ ने 10 देशों के 1,571 टेलीफ़ोन नंबरों के मालिकों का पता लगाया और उनकी छानबीन की। उसमें से कुछ की फोरेंसिक जांच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनके साथ पेगासस स्पाइवेअर का इस्तेमाल किया गया था।

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