Friday - 5 January 2024 - 9:56 PM

यूपी और बिहार के बीच होगी सात गांवों की अदला-बदली, जानें क्यों लिया ये फैसला

जुबिली न्यूज डेस्क

उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच सात-सात गांवों की अदला-बदली होगी। जहां यूपी के कुशीनगर जिले के सात गांव बिहार के बगहा जिले के होंगे, तो वहीं बगहा के सात गांव यूपी के कहलाएंगे।

इसको लेकर दोनों राज्यों के बीच सहमति बनने के बाद राज्य केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज रहे हैं। केंद्र से अनुमोदन मिलते ही गांवों की अदला-बदली की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त ने इसको लेकर डीएम कुंदन कुमार को पत्र भेज कर उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे बिहार के सात गांवों का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है।

अपने पत्र में आयुक्त ने कहा है कि गंडक पार के पिपरासी प्रखंड का बैरी स्थान, मंझरिया, मझरिया खास, श्रीपतनगर, नैनहा, भैसही व कतकी गांव में जाने के लिए प्रशासन सहित ग्रामीणों को यूपी होकर आना-जाना पड़ता है। यूपी के रास्ते इस गांवों में जाने से प्रशासनिक परेशानी होती है। साथ ही समय भी अधिक लगता है। इससे विकास योजनाओं के संचालन में प्रशासनिक अधिकारियों को परेशानी होती है। यहां के लोगों को प्राकृतिक आपदा के समय राहत पहुंचाने में देरी होती है।

यही हाल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के मरछहवा, नरसिंहपुर, शिवपुर, बालगोविंद, बसंतपुर, हरिहरपुर व नरैनापुर गांव का है। ये गांव बिहार के बगहा पुलिस जिले से सटे हैं।

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यहां यूपी प्रशासन को जाने के लिए नेपाल और बिहार की सीमा से होकर जाना पड़ता है। यूपी प्रशासन को इन गांवों में पहुंचने के लिए 20 से 25 किलोमीटर की अतरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है।

दोनों राज्यों के गांवों की अदला-बदली होने पर विकास के साथ आवागमन का मार्ग भी प्रशस्त होगा। आयुक्त ने इसको लेकर डीएम को भूमि का प्रस्ताव तैयार कर भेजने को कहा है, ताकि प्रस्ताव के अनुमोदन को लेकर भारत सरकार को भेजा जा सके।

भूमि विवाद भी होंगे समाप्त

दोनो राज्यों के बीच गांवों की अदला-बदली से सीमा विवाद खत्म होने के साथ-साथ भूमि विवाद के मामले भी खत्म हो जाएंगे।

गौरतलब है कि बगहा अनुमंडल के नौरंगिया थाने के मिश्रौलिया मौजा के किसान विगत कुछ वर्षों से भूमि के सीमांकन को लेकर आमने सामने हो जा रहे हैं। साथ ही प्रशासनिक स्तर पर भी सीमा को लेकर कई बार मापी करवाई की जा चुकी है। प्रत्येक वर्ष आने वाली बा? से सीमांकन खत्म हो जाता है। इसके बाद किसानों के बीच भूमि विवाद शुरू हो जाता है।

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