Sunday - 14 January 2024 - 6:00 AM

‘ओमाइक्रोन’ है कोरोना के नये वेरिएंट का नाम, WHO चिंतित

जुबिली न्यूज डेस्क

दक्षिण अफ्रीका व बोत्सवाना में मिले कोरोना के नये वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ओमाइक्रोन नाम दिया है।
इस नये वेरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जाहिर की है।

डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह काफी तेजी से और बड़ी संख्या में म्यूटेट होने वाला वेरिएंट है और जो शुरुआती साक्ष्य मिले हैं उनके आधार पर कहा जा सकता है कि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ा है।

 

इस नये वेरिएंट के पहले मामले की जानकारी डब्ल्यूएचओ को 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में मिली थी। इसके अलावा बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग और इसराइल में भी इस वेरिएंट की पहचान की गई है।

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इस वेरिएंट के सामने आने के बाद दुनिया के कई देशों ने दक्षिणी अफ्रीका से आने-जाने पर प्रतिबंध लगाने फैसला किया है।

दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, जिम्बॉब्वे, बोत्सवाना, लेसोथो और इस्वातिनी से आने वाले लोग ब्रिटेन में प्रवेश नहीं कर पाएंगे बशर्ते वे ब्रिटेन या आयरिश नागरिक न हों।

वहीं अमेरिकी अधिकारियों ने भी दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, जिम्बॉब्वे, नामीबिया, लेसोथो, इस्वातिनी, मोजाम्बिक और मलावी से आने वाली उड़ानों पर रोक लगाने का फैसला किया है। यह प्रतिबंध सोमवार से लागू हो जाएगा।

कोरोना वायरस का समय के साथ बदलते जाना, म्यूटेट होना असामान्य नहीं है। वायरस का कोई वेरिएंट उस समय चिंता वाला वेरिएंट बन जाता है जब वह वैक्सीन की प्रभावशीलता जैसी चीजों को प्रभावित कर सकता है।

शुक्रवार को डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस वेरिएंट के मामलों की संख्या दक्षिणी अफ्रीका के सभी प्रांतों में बढ़ रही है। शुरुआत में इस वेरिएंट को बी.1.1.529 नाम दिया गया था।

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संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य निकाय ने अपने एक बयान में कहा, “यह वेरिएंट काफी तेजी से म्यूटेट हो रहा है और इनमें से कुछ चिंता का विषय हैं।”

यूएन ने कहा कि पहला ज्ञात बी.1.1.1.529 संक्रमण 9 नवंबर को जमा किए गए नमूने से मिला था। वहीं डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोरोना के नए वेरिएंट के प्रभाव को समझने के लिए कुछ सप्ताह का समय लगेगा।

यूके के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि कोरोना वैक्सीन इस नए वेरिएंट के खिलाफ करीब-करीब कम प्रभावी साबित होंगे।

लेकिन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक स्ट्रक्चरल बायोलॉजिस्ट प्रोफेसर जेम्स नाइस्मिथ ने कहा है कि यह बुरी खबर है लेकिन अंत नहीं। हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि यदि यह वेरिएंट अधिक तेजी से फैलता है, तो यह ब्रिटेन तक पहुंच जाएगा।

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