Sunday - 7 January 2024 - 9:06 AM

वैज्ञानिकों ने बनाया कोरोना वायरस को मारने वाला एयर फिल्टर

  •  वैज्ञानिकों ने बनाया “कैच एंड किल” एयर फिल्टर
  • वैज्ञानिकों का दावा- कोरोना को तुरंत मार सकता है एयर फिल्टर

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में शोध चल रहा है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस काम में जुटे हुए हैं। कोई वैक्सीन बना रहा है तो कोई दवा। इसी कड़ी में ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सहयोगियों के साथ मिलकर एक “कैच एंड किल” एयर फिल्टर डिजाइन किया है जो कोरोना वायरस को तुरंत मार सकता है।

फिल्टर बनाने वाले शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि गैल्वेस्टोन नेशनल लेबोरेटरी में फिल्टर के परीक्षण में इसने सार्स-सीओवी-2 के 99.8 प्रतिशत वायरस को मार दिया था। यह वही वायरस है जिसे कोविड-19 के रूप में जाना जाता है। यह फिल्टर व्यावसायिक रूप से उपलब्ध निकल फोम से बना है।

ये भी पढ़े: मौजूं है प्रियंका गांधी का यह सवाल

ये भी पढ़े:  बंधन है, मगर यह जरुरी भी है 

ये भी पढ़े:  दिल्ली पहुंचने के बाद भी राष्ट्रीय एजेंडे में नहीं

इस फिल्टर के संपर्क में जैसे ही वायरस आता है, यह 200 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म हो जाता है और वायरस मर जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास मेडिकल शाखा द्वारा चलाई जाने वाली नेशनल लैब में परीक्षण के दौरान फिल्टर ने 99.9 प्रतिशत एंथ्रेक्स स्पोर को भी मार दिया था। एंथ्रेक्स स्पोर – एंथ्रेक्स बैक्टीरिया द्वारा बनते हैं जो दुनिया के अधिकांश हिस्सों में मिट्टी, हवा में स्वाभाविक रूप से होते हैं।

यह शोध मटेरियल टुडे फिजिक्स में प्रकाशित हुआ है। एमडी एंडरसन ऑफ फिजिक्स यूएच के प्रोफेसर और सह-शोधकर्ता जीफेंग रेन ने कहा कि यह फिल्टर कोविड-19 के प्रसार को रोकने में कारगर साबित होगा। यह हवाई अड्डों और हवाई जहाजों में, कार्यालय भवनों, स्कूलों और क्रूज जहाजों के लिए उपयोगी हो सकता है।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद करने की इसकी क्षमता लोगों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि वायरस लगभग तीन घंटे तक हवा में रह सकता है, जिसका अर्थ है कि यह फिल्टर इसे जल्दी से हटा सकता है। व्यवसायों के फिर से खुलने के साथ, वातानुकूलित स्थानों में प्रसार को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक वायरस 70 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान से नहीं बच सकता है, इसलिए उन्होंने एक गर्म फिल्टर का उपयोग करने का फैसला किया। फिल्टर के तापमान को बढ़ाकर लगभग 200 डिग्री सेंटीग्रेड कर दिया जाता है, जो वायरस को तुरंत मारने में सक्षम है।

रेन ने निकल फोम का उपयोग करने का सुझाव दिया, यह कहते हुए कि यह कई प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करता है जैसे- यह छिद्रयुक्त है, इसमें से हवा आसानी से बह सकती है, और विद्युत संवाहक है, जिससे यह गर्म होता है, यह लचीला भी होता है।

ये भी पढ़े:   एमपी भाजपा में ये विरोध तो होना ही था

ये भी पढ़े:  कोरोना : कहां-कहां चल रहा है वैक्सीन पर काम

ये भी पढ़े:   इस उम्र में छत छिनी तो कहां जायेंगे ये लोग?

लेकिन निकल फोम में कम प्रतिरोधकता होती है, जिससे वायरस को मारने के लिए तापमान को पर्याप्त मात्रा में बढ़ाना मुश्किल हो जाता है।

शोधकर्ताओं ने इस इस समस्या को हल करने के लिए फोम को मोड़ करके, बिजली के तारों के साथ कई डिब्बों (कम्पार्टमेंट) को जोड़कर, प्रतिरोध को बढ़ा दिया जिससे तापमान 250 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

फिल्टर को बाहरी स्रोत से गर्म करने के बजाय, विद्युत से गर्म करके, शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने फिल्टर से बची गर्मी की मात्रा को कम कर दिया, जिससे भवनों मे लगे एयर कंडीशनिंग कम से कम प्रभावित हो।

शोधकर्ता चीमा ने कहा यह नया बायोडेफेंस इंडोर एयर प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी है, जो हवा में सार्स-सीओवी-2 के फैलने की रोकथाम करता है। यह मौजूदा और भविष्य के किसी भी एयरबोर्न बायोथ्रेट्स से निपटने के लिए उपलब्ध तकनीकों में सबसे आगे है।

होयुरनी और पील ने इस डिवाइस को चरणबद्ध तरीके से लगाने की अपील की, उन्होंने कहा इसे प्राथमिकता वाले स्थानों पर सबसे पहले लगया जाना चाहिए। जहां लोग अधिक खतरे में हैं विशेषकर स्कूलों, अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं, साथ ही साथ सार्वजनिक जगहों, कार्यालय भवनों हवाई अड्डों, हवाई जहाजों में क्रूज जहाजों आदि में।

ये भी पढ़े:   एमपी भाजपा में ये विरोध तो होना ही था

ये भी पढ़े:  कोरोना : कहां-कहां चल रहा है वैक्सीन पर काम

ये भी पढ़े:   इस उम्र में छत छिनी तो कहां जायेंगे ये लोग?

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com