Friday - 5 January 2024 - 12:52 PM

वैज्ञानिकों ने कोरोना की जांच के लिए इजाद की नई तकनीक

  • नई तकनीक न केवल स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों को भीड़-भाड़ से बचाने में होगी उपयोगी
  • स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों की गंभीर कमी को भी रोकेगी नई तकनीक

न्यूज डेस्क

कोविड 19 को लेकर जहां हर दिन कोई न कोई खुलासा हो रहा है तो वहीं वैज्ञानिक इसके संक्रमण की जांच के लिए भी आसान तकनीक इजाद करने में जुटे हैं। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की जांच के लिए नई तकनीक इजाद की है। यह तकनीक न केवल स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों को भीड़-भाड़ से बचाने में उपयोगी साबित होगी बल्कि स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों की गंभीर कमी को भी रोकेगी।

अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ने कहा है कि नैनो टेक्नोलॉजी से डॉक्टर न केवल कोविड-19 संक्रमण की जांच कर सकते हैं, बल्कि यह भी पहचान सकते हैं कि कौन से मरीज अधिक प्रभावित हैं, जिन्हें मृत्यु का अधिक खतरा है।

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एमएसयू के कॉलेज ऑफ ह्यूमन मेडिसिन में प्रेसिजन हेल्थ प्रोग्राम, रेडियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर, मोर्तेजा महमौदी ने एक पॉइंट-ऑफ केयर जांच का एक नए पेपर में सुझाव दिया है। यह अध्ययन मॉलिक्यूलर फार्मसूटिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

यह संक्रमण का उपचार करने और भविष्य में खतरे का आकलन करने के लिए नैनोकणों या चुंबकीय उत्तोलन का उपयोग करता है।

प्रोफेसर महमौदी ने कहा कि ऐसी तकनीक न केवल स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों को भीड़-भाड़ से बचाने में उपयोगी होगी, बल्कि यह स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों की गंभीर कमी को भी रोक सकता है।

उन्होंने कहा कि यह तकनीक न केवल मृत्यु दर को कम कर सकता है और भविष्य की महामारियों और महामारी के प्रबंधन में सुधार कर सकता है।

प्रोफेसर महमौदी के मुताबिक इसका सिद्धांत संक्रमण के विभिन्न स्तरों और बीमारी के चरणों पर आधारित है जो आंसू, लार, मूत्र और प्लाज्मा जैसे जैविक तरल पदार्थों की संरचना को बदल देती है। विभिन्न संक्रमण और बीमारियां वायरस के प्रभाव और बीमारी के चरण के लिए अलग-अलग पैटर्न बनाती हैं। कुछ हद तक यह एक फिंगरप्रिंट के समान होता है।

उन्होंने कहा कि उन पैटर्नों की पहचान करना और उन्हें सूचीबद्ध करना जांच करने वाली तकनीक की किसी भी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

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अध्ययन के मुताबिक इसे शुरू करने के लिए, एक मरीज के जैविक तरल पदार्थ को मानव बाल के एक-हजारवें व्यास से भी कम नैनोकणों के एक छोटे संग्रह में लागू किया जाता है। कण की अनूठी सतह तरल पदार्थ से प्रोटीन, लिपिड और अन्य अणुओं को एक पैटर्न में इक_ा करती है जिसे महमौदी जैव-रासायनिक कोरोना या मुकुट कहते हैं।

महमौदी ने कहा अधिक खतरे वाले रोगियों की प्रारंभिक अवस्था की पहचान के लिए ऐसी नैनोटेक्नोलोजी स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों की भारी कमी को रोक सकती है। मृत्यु दर को कम कर सकती है और भविष्य की महामारियों और उनके प्रबंधन में सुधार कर सकती है।

महमौदी ने कहा कि सांख्यिकीय दृष्टिकोण के साथ छोटे कणों की सतह पर जैव-रासायनिक कोरोना की संरचना का विश्लेषण करके, तकनीक उन रोगियों के लिए ‘फिंगर प्रिंट’ पैटर्न बना सकती है, जिनकी मृत्यु होने का अधिक खतरा होता है।

इन दो नए जांच के तरीकों को उन जगहों पर लगाया जा सकता है जहां रोगियों की देखभाल की जाती है, क्योंकि रोगी के आवश्यक नमूने आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं, इसलिए विशेषज्ञ चिकित्सा पेशेवरों को परीक्षण का संचालन करने की आवश्यकता नहीं होगी।

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिर्सिटी के अनुसार दुनिया भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 50 लाख पार कर गई है। अभी दुनिया भर में संक्रमितों की कुल संख्या 50 लाख 38 है। पिछले 24 घंटों में केवल एक लाख 6 संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं।  यह एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।

जॉन्स हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के डैशबोर्ड के अनुसार अमरीका में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की संख्या अब 93,439 तक पहुंच चुकी है। जानकार मानते हैं कि जल्द ही ये आंकड़ा एक लाख के पार हो जाएगा। अमरीका में कुल संक्रमितों की संख्या अब 1,551,853 हो गई है।

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