Wednesday - 10 January 2024 - 7:25 AM

खुलासा : बढ़ते तापमान के कारण खतरनाक होते जा रहे हैं चक्रवाती तूफान

  • अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन के वैज्ञानिकों ने 40 सालों के दौरान आए तूफानों का किया है अध्ययन
  • प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है अध्ययन
  • बढ़ते तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) ने तूफानों को और मजबूत बना दिया है

न्यूज डेस्क

इस समय अंफान तूफान चर्चा में हैं। ऐसी आशंका है कि सुपर साइक्लोन बन चुके अंफान चक्रवात ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटीय इलाकों में भारी तबाही मचा सकता है। वहीं इस बीच एक रिचर्स में खुलासा हुआ है कि बढ़ते तापमान के कारण चक्रवाती तूफान लगातार खतरनाक होते जा रहे हैं।

अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन के वैज्ञानिकों ने चक्रवाती तूफान को लेकर अध्ययन किया है, जिसमें अध्ययनकर्ताओं ने कहा है कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान की वजह से चक्रवाती तूफान जैसी घटनाएं अधिक होंगी।

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अध्ययन में यह भी कहा गया है कि दुनिया भर में तूफान आते हैं और बढ़ते तापमान की वजह से वहां बहने वाली हवाएं लगातार मजबूत हो रही हैं। लगभग 40 सालों के दौरान आए तूफानों से संबंधित उपग्रह के चित्रों का विश्लेषण के बाद यह जानकारी दी गई है।

प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में तूफान को लेकर जो खुलासा हुआ है उसका सार यही है कि ग्लोबल वार्मिंग ही इसकी असल वजह है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तूफान मजबूत हुए हैं और आने वाले समय में चक्रवाती तूफानों की घटनाएं भी बढ़ेंंगी।

यूडब्ल्यू-मैडिसन, नोवा के वैज्ञानिक और प्रमुख अध्ययनकर्ता जेम्स कोसिन कहते हैं कि मॉडलिंग और वायुमंडलीय भौतिकी के अनुसार, अध्ययन में बताया गया है कि इस गर्म होती जलवायु में हमें इसी तरह की घटनाएं देखने को मिलेंगी।

जेम्स कोसिन के 2013 में प्रकाशित शोध के अनुसार 28 साल के डेटा सेट से तूफान की तीव्रता के रुझानों की पहचान की गई थी। हालांकि, कोसिन कहते हैं कि यह समयावधि निर्णय लेने के लिए काफी नहीं थी और महत्वपूर्ण परिणामों के लिए सांख्यिकीय रूप से अधिक तूफानों के अध्ययन की आवश्यकता होती है।

परिणामों की सटीकता के लिए शोधकर्ताओं ने 1979-2017 तक के दुनिया भर में आए तूफान के आंकड़ों को अध्ययन में शामिल किया।

तूफान की तीव्रता का अनुमान लगाने के लिए, भू स्थैतिक उपग्रहों (जियो स्टेशनरी सेटेलाइट) से इंफ्रारेड तापमान माप पर निर्भर सीआईएमएसएस उन्नत ड्वोरक तकनीक सहित विश्लेषणात्मक तकनीकों का उपयोग किया है। कोसिन और उनके सहयोगियों ने रुझानों की पहचान करने के लिए एक से अधिक समान डेटा सेट बनाए।’

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वैज्ञानिक और प्रमुख अध्ययनकर्ता जेम्स कोसिन कहते हैं कि रुझानों को जानने के लिए उस समय सर्वश्रेष्ठ तकनीक का उपयोग करके आंकड़े एकत्र किए गए थे। हर साल के आंकड़े पिछले साल की तुलना में थोड़ा अलग होते है, प्रत्येक नए उपग्रह में डेटा कैप्चर करने के तरीके और उपकरण अलग होते हैं। इसलिए हमारे पास सभी उपग्रह से लिए गए अलग-अलग आंकड़े हैं, जिसे एक साथ जोड़ा गया है।

कोसिन के पिछले शोध ने दशकों में तूफान के व्यवहार में आए परिवर्तनों को दिखाया है, जैसे कि तूफान किस क्षेत्र में यात्रा कर रहे हैं और उनकी गति कितनी है। 2014 में, उन्होंने तूफान के ध्रुवीय में आने की पहचान की, जहां उष्णकटिबंधीय चक्रवात उत्तर और दक्षिण की ओर यात्रा कर रहे थे, जो पहले से प्रभावित तटीय आबादी के लिए और अधिक खतरा होने की आशंका व्यक्त करते हैं।

2018 में, कोसिन ने साबित किया कि पृथ्वी की जलवायु में बदलाव के कारण तूफान पूरे देश में अधिक धीमी गति से बढ़ रहा है। इससे बाढ़ के खतरे बढ़ गए हैं क्योंकि शहरों और अन्य क्षेत्रों में तूफान अक्सर मंडराते रहते हैं।

कोसिन कहते हैं परिणामों से पता चलता है कि ये तूफान वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर मजबूत हो गए हैं। बढ़ते तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) ने तूफानों को और मजबूत बना दिया है।

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