Thursday - 11 January 2024 - 4:29 AM

लौट रहे प्रवासी मजदूरों ने राज्यों की बढ़ाई चिंता

  • प्रवासी मजदूरों के लौटने की रफ्तार के साथ बढ़ रहे कोरोना के मामले
  •  राज्यों के सामने महामारी को रोकने की चुनौती बढ़ी
  •  बिहार की 6 अंतरराज्यीय सीमाओं से हर दिन 10 हजार लोग पहुंच रहे हैं
  •  बिहार में कोरोना के नए मामलों की रफ्तार हुई 7.5 फीसदी

न्यूज डेस्क

जिन राज्यों में प्रवासी मजदूर लौट रहे हैं उन राज्यों के सामने कोरोना महामारी रोकने की चुनौती बढ़ गई है। अभी तक कोरोना का संक्रमण शहरों में फैला था, लेकिन प्रवासी मजजूदरों के लौटने के बाद ग्रामीण इलाकों में फैलने का खतरा बढ़ गया है। राज्य सकरारें भी इसको लेकर चिंतित हैं।

देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। हर दिन दो से चार हजार के बीच नए मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण कैसे होगा किसी को समझ में नहीं आ रहा।

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एक ओर लॉकडाउन में ढील और दूसरी ओर मजदूरों का पलायन ने इस समस्या को बढ़ा दिया है। बिहार से लेकर ओडिशा और तेलंगाना से लेकर कर्नाटक तक प्रवासी मजदूरों के लौटने की रफ्तार जैसे तेज हो रही है, वैसे ही इनके साथ कोरोनावायरस के घर तक पहुंचने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में राज्यों के सामने महामारी को रोकने की एक और चुनौती खड़ी हुई है।

रिकॉर्ड्स के मुताबिक, बिहार में 4 मई से लेकर 13 मई तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए 4275 प्रवासी मजदूरों के सैंपल्स इक_ा किए गए। इनमें 320 की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, यानी प्रवासियों में संक्रमण की दर 7.5 फीसदी है। जबकि पूरे बिहार में इक_ा हुए सैंपल्स में अब तक सिर्फ 2.75 फीसदी लोगों की ही टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। बिहार ने अब तक 35 हजार से ज्यादा टेस्ट किए हैं और उसके 953 केस पॉजिटिव मिले हैं।

बिहार सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या इसी राज्य से है और सभी का लौटना अभी बाकी है। बिहार की 6 अंतरराज्यीय सीमाओं से हर दिन 10 हजार लोग राज्य में पहुंच रहे हैं, जिनकी टेस्टिंग अभी शुरू की जानी है।

इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के संक्रमित मिलने की वजह से ही बिहार में कोरोना के मामले दोगुने होने में 8.5 दिन का समय अनुमानित है, जो कि देश में कोरोना के केस दोगुने होने के औसत- 12.65 दिन से काफी कम है।

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बिहार के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार का कहना है कि हमारे लिए बिहार में ही रह रही जनसंख्या से कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग के बाद भी हमें 10.40 करोड़ लोगों में से 4000 सैंपल्स ही जुटाने पड़े। हमारे सामने चुनौती है इस जनसंख्या को बाहर से लौटने वाले प्रवासियों से फैलने वाले संक्रक्रण से बचाना।

इसके अलावा ओडिशा में भी प्रवासियों के बड़ी संख्या में पहुंचने से संक्रमण के केसों में तेजी देखी गई। यहां के गंजम जिले में 5 मई से लेकर अब तक 10 दिनों में ही 249 पॉजिटिव केस मिले हैं।

आंध्र प्रदेश में इन्हीं 10 दिनों में बाहर से आए 105 लोगों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। यह राज्य के कुल एक्टिव केसेज का करीब 12.20 प्रतिशत है। आंध्र के इन 105 केसों में 67 महाराष्ट्र से आए हैं, 26 लोग गुजरात से हैं, 10 ओडिशा से लौटे हैं, जबकि पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के भी 1-1 केस हैं।

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