Sunday - 7 January 2024 - 6:00 AM

ये है मौलाना साद की हकीकत, जो न कानून मानता है और न ही फतवे

शबाहत हुसैन विजेता

मौलाना साद तब्लीगी जमात के संस्थापक मोहम्मद इलियास कंधल्वी का प्रपौत्र है। 10 मई 1965 को पैदा हुए साद ने निज़ामुद्दीन स्थित इसी मरकज़ से शिक्षा प्राप्त की है। तब्लीगी जमात के पूर्व मुखिया हसन कंधल्वी ने इस संस्थान के संचालन के लिए 10 सदस्यीय समिति का गठन किया था जो उनकी मृत्यु (1995) के बाद 20 साल तक बदस्तूर काम करती रही।

इन 20 सालों में उस समिति के अधिकाँश पदाधिकारियों का निधन हो गया। ऐसे में 16 नवम्बर 2015 को नई समिति बनाने के लिए बैठक हुई। इस बैठक में 13 सदस्यों का सर्वसम्मति से चुनाव हुआ लेकिन मौलाना साद ने इस समिति को मानने से इनकार करते हुए खुद को जमात का मुखिया घोषित कर दिया।

ये भी पढ़े: पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1336 नए केस: स्वास्थ्य मंत्रालय

तब्लीगी जमात का मुखिया बन जाने के बाद मौलाना साद के कई स्टेटमेंट उसके विरोध की वजह बन गए। भारत ही नहीं दुनिया के अन्य देशों में भी उसकी कही बातों का विरोध हुआ। दारुल उलूम देवबंद और दक्षिण अफ्रीका के मुफ्ती इब्राहीम देसाई ने उसके खिलाफ फ़तवा भी जारी किया। इस फतवे में मौलाना साद के तब्लीगी जमात के मुखिया घोषित होने को लेकर सवाल उठाये गए। लखनऊ के नदवतुल उलेमा ने भी मौलाना साद को लेकर सवाल खड़े किये।

ये भी पढ़े: फेक न्यूज को लेकर दुनिया के अन्य देश कितने सख्त है ?

विवादों से गहरा नाता रखने वाले मौलाना साद की असली मुश्किलें कोरोना वायरस के विस्तार में तब्लीगी जमात के योगदान के सामने आने के बाद बढ़ीं। भारत में कोरोना के आगमन के बाद भारत सरकार ने जब लोगों के एक जगह पर जमा होने पर रोक लगा दी तब भी मौलाना साद निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ में बड़ी संख्या में जमातियों को रोके रहा। जनता कर्फ्यू के बाद जब भारत में लॉक डाउन घोषित हो गया तब जमात की तरफ से दिल्ली पुलिस और एसडीएम को लिखित सूचना दी गई।

इस सूचना के बाद पुलिस और प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई में ढिलाई की और इस बीच कोरोना ने बड़ी संख्या में मौजूद जमातियों के बीच अपने पाँव पसार दिए। मौलाना साद से देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मुलाक़ात की। कई न्यूज़ चैनल भी उसका इंटरव्यू लेने पहुंचे लेकिन इसके बाद साद ने वहां से फरार होकर अपनी मुश्किलों में काफी इजाफा कर लिया। उसके खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गंभीर धाराओं में मुक़दमे कायम किये।

 

जानकारी मिली है कि कोरोना की भारत में दस्तक हो जाने के बाद तब्लीगी जमात के मुखिया मौलाना साद को उनके कई करीबी लोगों ने सलाह दी थी कि मौजूदा वक्त में जमात के कार्यक्रम को स्थगित कर देना बेहतर होगा लेकिन साद ने किसी की नही सुनी और हज़ारों जमातियों को निज़ामुद्दीन में जमा किया। यहाँ का कार्यक्रम निबट जाने के बाद हज़ारों की संख्या में जमाती यहाँ से निकलकर देश के विभिन्न राज्यों में चले गए और देश भर में कोरोना के विस्तार में भागीदार बन गए।

ये भी पढ़े: वेंटीलेटर पर आ गई कनपुरिया लेदर इंडस्ट्री

समझदार लोगों की राय को न मानने की गलती कर चुका साद तब्लीगी जमात के परिसर में अजित डोभाल, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के आने के बाद गलतियों पर गलतियाँ करता चला गया। पहली गलती उसने फरार होकर की। दूसरी गलती अपना वीडियो वायरल कर की जिसमें उसने कहा कि मरने के लिए मस्जिद से बेहतर कोई जगह नहीं है।

जमातियों को किसी भी सूरत में मस्जिद को नहीं छोड़ना चाहिए। इस वीडियो के बाद जब उसने खुद पर कसता शिकंजा देखा तो जमातियों को दूसरा सन्देश भेजा। इस नए सन्देश में सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दी गई हिदायतों का पालन करने की बात कही गई है।

मौलाना साद की फरारी के बाद जब उस पर शिकंजा कसना शुरू हुआ तो जांच अधिकारियों की आँखें भी खुली की खुली रह गईं। जमात के मुखिया के तौर पर धर्मगुरु की चादर ओढ़े साद के पास बेशुमार दौलत है। निजामुद्दीन स्थित जिस तब्लीगी जमात का वह मुखिया है उसी परिसर में उसका घर भी है। इस घर के अलावा एक घर दिल्ली के जाकिर नगर इलाके में है।

ये भी पढ़े: क्या एक व्यापक लॉकडाउन का कोई उचित विकल्प है!

इन घरों में साद नहीं मिला तो पुलिस को जानकारी हुई कि उत्तर प्रदेश के शामली में मौलाना साद का शानदार फार्म हाउस है। इस फ़ार्म हाउस में स्वीमिंग पूल से लेकर कौन सी लग्ज़री सुविधा है जो वहां मौजूद नहीं है। कई एकड़ में फैले इस फ़ार्म हाउस की कीमत 500 करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी गई है।

फिलहाल पुलिस को साद इस फ़ार्म हाउस में भी नहीं मिला। एक आडियो सन्देश में साद ने खुद को आइसोलेशन में बताया है लेकिन वह कहाँ आइसोलेशन में है इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है।

ये भी पढ़े: नौकरियां बचाने के लिए ट्रंप का ऐलान- अमेरिका में नये लोगों…

पुलिस ने उसके दोनों घरों और फ़ार्म हाउस के आसपास पुलिस तैनात कर दी है। पुलिस को जानकारी मिली है कि साद के इन तीनों ठिकानों पर आडियो सिस्टम लगे हैं। साद इन्हीं की मदद से आने वाले लोगों से बातचीत करता है। मुलाक़ात बस गिने-चुने लोगों से ही करता है।

साद के फ़ार्म हाउस पहुँची जांच टीम को पता चला कि साद बहुत लग्ज़री लाइफ जीता है। उसके पास लग्ज़री गाड़ियों की लम्बी कतार है। मर्सीडीज़ से लेकर तमाम कीमती गाड़ियाँ उसके बेड़े में शामिल हैं। साद को जिस तरह से कारों का शौक है उसी तरह उसके बेटे को स्पोर्ट्स बाइक बहुत पसंद हैं।

उसके घरों और फ़ार्म हाउस पर कारों बाइकों को देखकर उसकी रईसी का अंदाजा लगाया जा सकता है। कम वक्त में सब कुछ हासिल कर लेने की वजह से वह इतना जिद्दी हो गया है कि क़ानून के पालन को अपनी तौहीन समझने लगा है। मौलाना साद की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बताई गई है लेकिन यह टेस्ट कहाँ हुआ बताने वाला कोई नहीं है।

ये भी पढ़े: नॉर्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन की जिंदगी खतरे में?

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com