Friday - 5 January 2024 - 5:24 PM

कभी कांग्रेस की ताकत होती थी ये राजकुमारी , अब छोड़ गई साथ

न्‍यूज डेस्‍क

प्रतापगढ़ का राजघराना कभी कांग्रेस की ताकत हुआ करता था । इंदिरा गांधी के जमाने से इस राजपरिवार ने अपने इलाके में कांग्रेस का झण्डा बुलंद कर रखा था । मगर प्रियंका के आते ही इस राजघराने का कांग्रेस से मोहभंग हो गया है ।

उत्‍तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। लेकिन एक-एक करके पार्टी के बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ते जा रहे हैं। अमेठी के राजा डॉ. संजय सिंह का कांग्रेस से मोहभंग होने के बाद अब प्रतापगढ़ राजघराना की राजकुमारी रत्ना सिंह की बारी है।

कांग्रेस को प्रतापगढ़ में चार दशक से मजबूती देने वाले परिवार की राजकुमारी रत्ना सिंह आज भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई। बताया जा रहा है कि वे काफी दिनों से पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से नाराज चल रही थी।

तीन बार प्रतापगढ़ की सांसद रह चुकी कालाकांकर राजघराने की राजकुमारी राजकुमारी रत्ना सिंह ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावी जनसभा बीजेपी ज्‍वाइन की। इस मौके पर उनके पुत्र भुवन्यु सिंह भी मौजूद रहे।

गौरतलब है कि रत्ना उस कालाकांकर राजपरिवार से हैं, जो शुरू से कांग्रेसी रहा है। इनके परिवार के रामपाल सिंह कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं। पिता राजा दिनेश सिंह कांग्रेस की सरकार में विदेश मंत्री रहे। वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बहुत करीबी थे। उनको तो कांग्रेस का संकटमोचक भी माना जाता था।

इसके चलते नेहरू-गांधी परिवार उनको बहुत महत्व देता था। उनको बिना सांसद रहे भी मंत्री बनाया गया था। अचानक राजकुमारी रत्ना के कांग्रेस से नाता तोड़ने के फैसले पर प्रदेश के कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता हतप्रभ हैं।

बता दें कि पहले राजकुमारी रत्ना के भाजपा में शामिल होने का कार्यक्रम लखनऊ में था, लेकिन इस बीच विधानसभा उपचुनाव की सरगर्मी बढ़ने से इसमें बदलाव किया गया।

प्रतापगढ़ में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। राजा दिनेश सिंह प्रतापगढ़ से चार बार और पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह तीन बार 1996, 99 व 2009 में सांसद रह चुकी हैं। कांग्रेस के साथ कई दशक से रहा कालाकांकर राजघराना अब उनसे टूट गया।

राजकुमारी रत्ना सिंह का परिवार शुरू से ही कांग्रेस से जुड़ रहा है। कालाकांकर की राजकुमारी रत्ना सिंह प्रतापगढ से सांसद रह 2004 में लोकसभा का चुनाव पड़ोस की रियासत के अक्षय प्रताप सिंह से चुनाव हार चुकी हैं। 2004 में राजा भैया ने उनकी राह रोकने के लिए अपने चचेरे भाई को सपा के टिकट से मैदान में उतारा। इस चुनाव में राजकुमारी रत्ना सिंह को अक्षय प्रताप के हाथों शिकस्त मिली।

अक्षय प्रताप को 238137 मत मिले, जबकि राजकुमारी रत्ना सिंह को 168865 मतों से संतोष करना पड़ा। 2009 के चुनाव में एक बार फिर रत्ना सिंह के सामने अक्षय प्रताप थे, इस चुनाव में रत्ना सिंह ने अक्षय प्रताप को हराया। राजकुमारी रत्ना सिंह को 1,69,137, अक्षय प्रताप को 1,21,252 मत मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के प्रोफेसर शिवाकांत ओझा थे। अक्षय प्रताप सिंह चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे। यह चुनाव इसलिए भी रोचक था कि बाहुबली अतीक अहमद भी मैदान में थे, जो अपना दल के प्रत्याशी थे, और चुनाव परिणाम जब आए तो वह चौथे नंबर पर थे।

लोकसभा चुनाव के बाद अमेठी के राजा डॉ संजय सिंह पत्नी अमीता सिंह के साथ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह पार्टी लाइन के खिलाफ हैं तो रायबरेली के हरचंदपुर से कांग्रेसी विधायक राकेश सिंह लगातार बगावती बयान दे रहे हैं। अब अगर अदिति और राकेश सिंह पाला बदलते हैं तो प्रतापगढ़ के बाद रायबरेली में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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