Friday - 12 January 2024 - 7:19 PM

सियासी मँझधार मे राम : रामराज्य के दावे के विरुद्ध रामधुन

उत्कर्ष सिन्हा

एक तरफ राम राज्य के दावे और दूसरी तरफ दावा करने वालों के सामने रामधुन का कीर्तन, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ फिलहाल इसी तमाशे की चश्मदीद बनी हुई है ।

इसकी वजह बनी है चर्चित उन्नाव रेप केस की पीडिता के साथ हुई दुर्घटना, पीडिता जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है, राम राज्य का दावा करने वाली योगी सरकार बैकफुट पर है और राख हो चुकी कांग्रेस राम धुन के सहारे फिर से जिंदा होने की कोशिश में है।

सोमवार की रात भर कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता लखनऊ के दिल कहे जाने वाले हजरतगंज में गांधी जी की प्रतिमा के सामने रामधुन गाते रहे। इस जगह एक तरफ यूपी की विधान सभा है और दूसरी तरफ सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का मुख्यालय ।

एक के बाद एक दो घटनाओं ने सूबे में राम राज्य लाने के योगी सरकार के दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं । पहले सोनभद्र में सामूहिक नरसंघार और इसके फौरन बाद रेप पीडिता की कार की संदेहभरी दुर्घटना ने यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया है ।

सियासत मौके को भुनाने का नाम है, और इन मौकों को कांग्रेस की नई नेता प्रियंका गांधी ने अवसर गँवाए बिना अपने पक्ष में कर लिया है। सोनभद्र में नरसंघार के फौरन बाद प्रियंका वहाँ पहुंची और प्रशासन ने जब उन्हे रोका तो वे पूरी रात धरने पर बैठी रही। रेप पीडिता के केस में भी यही हुआ, और अब कांग्रेसी लखनऊ में रात भर धरना देते रहे ।

उधर सरकार इन दोनों मामलों में बचाव की लचर कोशिश करती दिखाई दी । सोनभद्र मामले में सरकार का पूरा ध्यान इसका ठीकरा दशकों पहले की कांग्रेस की सरकार पर फोड़ने में रहा, और जब मामले की परते खुली तो जमीन के कागजों में हेरफेर मौजूदा सरकार के वक्त का निकाला।

उन्नाव केस में भी सरकार ने शुरू से गलतियाँ की हैं । आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर को पहले बचाने की कोशिश हुई मगर जब सरकार की छवि पर हमले तेज हुए तो उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया । लेकिन भाजपा के पास इस बात का कोई जवाब नहीं हैं कि कुलदीप सिंह सेंगर पर इतने संगीन आरोपों के बावजूद अभी तक उन्हे पार्टी से बाहर क्यों नहीं किया गया है।

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फिलहाल यूपी सरकार ने इस ताजा दुर्घटना की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है, लेकिन की मामलों में अपनी पुलिस पर ज्यादा भरोसा जताने वाली सरकार की यह कोशिश, मामले से अपना पीछा छुड़ाने की कवायद से ज्यादा कुछ नहीं लग रही।

राम भाजपा की राजनीति के लिए हमेशा मुफीद रहे हैं, राम मंदिर आंदोलन से शबाब पर आई भाजपा ने राम राज्य बनाने का दावा हमेशा ही किया । सूबे को अपराध मुक्त बनाना उसके चुनावी एजेंडा में सबसे ऊपर भी रहा , लेकिन घटनाओं की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि सरकार के दावे उसके सामने बौने पड़ते दिखाई दे रहे हैं ।

दूसरी तरफ प्रियंका गांधी हैं , जिन्हे यूपी में एक मुर्दा और बेजान कांग्रेस का नेतृत्व करना है, कांग्रेस की वे आखिरी उम्मीद हैं ये बात प्रियंका को भी पता है और कांग्रेस को भी । इसलिए जब वे सोनभद्र गईं तो कांग्रेस समर्थकों ने सालों पुरानी इंदिरा गांधी की एक तस्वीर का भरपूर इस्तेमाल किया। ये तस्वीर 1977 में बुरी तरह पराजित होने के बाद अचानक बिहार के बेल्छी गाँव की थी, जहां से इंदिरा ने वह अवसर तलाशा था जिसने उन्हे दोबारा सत्ता तक पहुँच दिया।

यूपी में विपक्ष की की स्थिति मजबूत नहीं है। मायावती ट्विटर के भरोसे बयानबाजी तक सीमित हैं और सड़क पर संघर्ष के लिए पहचानी जाने वाली समाजवादी पार्टी भी सुस्त दिखाई दे रही है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पीडिता से मिले जरूर मगर पार्टी ने अब तक किसी बड़े कार्यक्रम का ऐलान नहीं किया है ।

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भाजपा के रामराज्य के दावों के सामने कांग्रेस ने राम धुन को अपना हथियार बना लिया है । यूपी की राजनीति के केंद्र में राम हैं । मगर इस्तेमाल करने वालों के प्रतीक अलग अलग हैं । देखने वाली बात ये होगी कि जनता किस प्रतीक के साथ खड़ी हो रही है ।

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